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आज भी खलती है दूरदर्शन के इन प्रोग्राम की कमी
याद किए जाते हैं 'बुनियाद', 'हम लोग', 'मालगुड़ी डेज' जैसे शो
'रामायण', 'महाभारत' के जादू में फंसे रहे दर्शक
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आज के 'किंग खान' और रोमांस के बादशाह शाहरुख खान भी सबसे पहले दूरदर्शन के सीरियल में ही नजर आए थे. अगर आपका भी जन्म 1990 के दशक में हुआ है तो दूरदर्शन के कुछ फेवरिट सीरियल्स की लिस्ट आपके भी पास जरूर होगी. दूरदर्शन के अपने हर सीरियल का एक फ्लेवर था और हर कोई अपने पसंदीदा सीरियल का इंतजार करता था. 'शांति' की मंदिरा बेदी से 'देख भाई देख' के शेखर सुमन तक कई कलाकारों को इन्हीं सीरियल ने पहचान दी. लंबे समय से हमारे साथी रहे दूरदर्शन के 7 ऐसे दिलचस्प शो हम आपको बताने जा रहे हैं, जिनमें कई यादें जुड़ी हैं...
बुनियाद
वर्ष 1947 में अंग्रेजों से मिली आजादी के साथ-साथ हिन्दुस्तानियों ने विभाजन की त्रासदी झेली थी, इसी को शब्दों में पिरोया था मनोहर श्याम जोशी ने और धारावाहिक 'बुनियाद' के निर्देशन का जिम्मा संभाला था हिन्दुस्तान की सबसे लोकप्रिय फिल्मों में से एक 'शोले' के निर्देशक रमेश सिप्पी ने.

बंटवारे के बाद के घटनाक्रम को केंद्र मे रखते हुए दिलों में उतर जाने वाली एक ऐसे परिवार की कहानी थी वर्ष 1986 में आया 'बुनियाद', जिससे दर्शक खुद को बेहद आसानी से जोड़ पाए थे. इसी धारावाहिक से मशहूरी पाए और घर-घर में जाना-पहचाना चेहरा बन गए आलोकनाथ, कंवलजीत और कृतिका देसाई खान आज भी टीवी और फिल्म दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं. रमेश सिप्पी की पत्नी किरण ने भी शो में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
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हम लोग
भारतीय टेलीविजन पर धारावाहिक के जनक मनोहर श्याम जोशी को कहा जा सकता है. उनका शो 'हम लोग' इसकी मिसाल है. 154 एपिसोड वाला यह धारावाहिक 7 जुलाई, 1984 को शुरू हुआ और 17 दिसंबर, 1985 तक दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ. इसके निम्न मध्यवर्गीय पात्र न सिर्फ दर्शकों से कनेक्ट करने में कामयाब रहे, बल्कि वे आम लोगों की बात उन्हीं की जुबान में करते दिखे. फिर अशोक कुमार का आना, छन पकैया, छप पकैया...कहना वाकई मजेदार था.
रामायण
भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच को छोड़ दिया जाए तो बाकी किसी चीज में इतनी कुव्वत नहीं कि सड़कों पर सन्नाटा फैला सके. लेकिन रामानंद सागर का रामायण यह कारनामा कर चुका है.

25 जनवरी, 1987 को इसका टीवी पर आगाज हुआ और 31 जुलाई, 1988 तक इसने दर्शकों और उनके इमोशंस को बांधकर रखा. दिलचस्प यह कि कई लोग तो इसे देखते हुए माला फेरने तक शुरू कर देते थे.
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मालगुडी डेज़
एक नन्हा बच्चा और उसकी शरारतें, ऐसा बच्चा जो हर वयस्क अपने बचपन में रहता है. इस किताब को आर.के. नारायण ने लिखा है और इसका डायरेक्शन शंकर नाग ने किया था. इस सीरीज का निर्माण 1986 में किया गया था.

फौजी
फौजी (1989) दूरदर्शन का वह सीरियल था, जिसने बॉलीवुड का अपना सबसे चहेता सितारा दिया और वह है शाहरुख खान. शाहरुख इस शो में एक सैनिक बने नजर आए थे. भारतीय सेना के जीवन को दिखाता यह सीरियल हर किसी की पसंद था.

ब्योमकेश बक्शी
शरलॉक होम्स को दुनियाभर में लोग जानते हैं, लेकिन हमें उनकी कमी भारत में ज्यादा कभी महसूस नहीं हुई क्योंकि हमारे पास हमारा खुद का ब्योमकेश बक्शी था. जासूस ब्योमकेश बक्शी ने लोगों में जो क्रेज पैदा किया था, उसे आज तक कोई इंडियन टीवी का जासूस दोबारा नहीं जगा सका है.
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चंद्रकांता
द्रकांता (1994-96) कोई शो नहीं बल्कि एक पूरा दौर था. इस शो का लगभग हर किरदार लोगों के दिल और दिमाग में चढ़कर बोलता था. चाहे वह क्रूर सिंह या खुद चंद्रकांता हो. क्रूर सिंह का 'यक्कू' तो लोगों को आज भी याद है. पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी की लेखनी का ही जादू है कि इन दिनों दो सीरियल इसी पर चल रहे हैं.

महाभारत
अगर आपने दूरदर्शन देखा है तो एक आवाज से आप जरूर रूबरू होंगे और वह है 'मैं समय हूं...' महाभारत अपने समय का सबसे चर्चित शो था, जिसे लोग सब कुछ छोड़कर देखते थे.
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