मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान.
भोपाल:
मतपेटी खुलने से चंद दिन पहले 11 दिसंबर को शिवराज सिंह चौहान के मंत्री आखिरी कैबिनेट बैठक में बैठे. इस बैठक पर कांग्रेस की नज़रें टेढ़ी थीं. उसने आचार संहिता लागू होने के बावजूद इस कैबिनेट की बैठक के खिलाफ चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया. लेकिन सरकार ने कैबिनेट के कामों की फेहरिस्त गिनाते हुए कहा वह जनता की समस्याओं के प्रति जवाबदेह है.
कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा हमने उर्वरक आपूर्ति की समीक्षा की, हमने धान और सोयाबीन की खरीदी की समीक्षा की, जीका वायरस की वजह से जो आशंका पैदा हुई हमारी ड्यूटी है हम आचार संहिता के नाम पर जनता को भाग्य के भरोसे नहीं छोड़ सकते. उन्होंने कहा कि 11 को परिणाम आएगा. सरकार बनते-बनते और समय लगता है. तब तक हमारी ड्यूटी है कि कोई समस्या है तो उसका समाधान करें.
यह भी पढ़ें : मध्यप्रदेश : उमा भारती ने कहा, ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग करे शंकाओं का समाधान
वहीं कांग्रेस को लगता है सरकार का यह कदम अनैतिक है. कांग्रेस प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा नैतिकता के आधार अनैतिक हैं. कानून की जो स्थिति है उसमें रुटीन काम करने की इजाजत रहती है. उसमें भी चुनाव आयोग की अनुमति लेने पड़ती है, उन्होंने नहीं ली, इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि अन्य उद्देश्यों के लिए एक उद्देश्य नौकरशाही को ये संदेश देना हो सकता है कि आप हमारे नियंत्रण में रहिए.
VIDEO : ज्यादा वोटिंग किसके फायदे में?
परिणाम से पहले लगभग पौने दो लाख करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी राज्य सरकार ने 800 करोड़ का कर्ज लेने की इजाजत मांगी है. इसे लेकर भी सियासी गलियारों में हलचल मची है.
कैबिनेट बैठक के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा हमने उर्वरक आपूर्ति की समीक्षा की, हमने धान और सोयाबीन की खरीदी की समीक्षा की, जीका वायरस की वजह से जो आशंका पैदा हुई हमारी ड्यूटी है हम आचार संहिता के नाम पर जनता को भाग्य के भरोसे नहीं छोड़ सकते. उन्होंने कहा कि 11 को परिणाम आएगा. सरकार बनते-बनते और समय लगता है. तब तक हमारी ड्यूटी है कि कोई समस्या है तो उसका समाधान करें.
यह भी पढ़ें : मध्यप्रदेश : उमा भारती ने कहा, ईवीएम को लेकर चुनाव आयोग करे शंकाओं का समाधान
वहीं कांग्रेस को लगता है सरकार का यह कदम अनैतिक है. कांग्रेस प्रवक्ता भूपेन्द्र गुप्ता ने कहा नैतिकता के आधार अनैतिक हैं. कानून की जो स्थिति है उसमें रुटीन काम करने की इजाजत रहती है. उसमें भी चुनाव आयोग की अनुमति लेने पड़ती है, उन्होंने नहीं ली, इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि अन्य उद्देश्यों के लिए एक उद्देश्य नौकरशाही को ये संदेश देना हो सकता है कि आप हमारे नियंत्रण में रहिए.
VIDEO : ज्यादा वोटिंग किसके फायदे में?
परिणाम से पहले लगभग पौने दो लाख करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी राज्य सरकार ने 800 करोड़ का कर्ज लेने की इजाजत मांगी है. इसे लेकर भी सियासी गलियारों में हलचल मची है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं