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This Article is From Mar 04, 2018

बीजेपी ऐसा 'तिलचट्टा' है जो पंख लगाकर मोर बनने का सपना देख रहा है : ममता बनर्जी

ममता बनर्जी ने दावा किया कि 2019 लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए विनाशकारी साबित होगा और पार्टी सत्ता बरकरार नहीं रख पाएगी.

बीजेपी ऐसा 'तिलचट्टा' है जो पंख लगाकर मोर बनने का सपना देख रहा है : ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल फोटो)
कोलकाता: त्रिपुरा में भाजपा की जीत को तवज्जो नहीं देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि भगवा पार्टी कभी भी पश्चिम बंगाल और ओडिशा में नहीं जीतेगी. उन्होंने भाजपा को ‘‘ऐसा तिलचट्टा बताया जो पंख लगाकर मोर बनने का सपना देख रहा है.’’ उन्होंने दावा किया कि 2019 लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए विनाशकारी साबित होगा और पार्टी सत्ता बरकरार नहीं रख पाएगी. ममता ने कहा कि त्रिपुरा में परिणाम का कारण माकपा का ‘आत्मसमर्पण’ और गठबंधन के लिए कांग्रेस का सहमत नहीं होना है. उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी तृणमूल कांग्रेस और स्थानीय पहाड़ी दलों के साथ गठबंधन के लिए राजी हो जाते तो परिणाम अलग हो सकते थे. उन्होंने दावा किया कि चुनाव परिणाम से भाजपा को कई राज्यों में होने वाले चुनावों में फायदा नहीं मिलेगा.

त्रिपुरा में वामपंथ के 25 वर्ष के शासन का अंत होने और भाजपा की जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए ममता ने कहा, ‘‘ऐसे राज्य में जीत पर खुश होने की बात नहीं है जहां महज 26 लाख मतदाता हैं और दो संसदीय सीट हैं. साथ ही वोट का अंतर केवल पांच फीसदी है.’’ ममता ने कहा, ‘‘चुनावों में माकपा ने अच्छा प्रदर्शन किया है. यह केवल पांच फीसदी मतों का अंतर है. लेकिन त्रिपुरा में माकपा ने भगवा दल के विरोध में गंभीरता नहीं दिखाई.’’

उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में भाजपा की जीत के बावजूद ‘‘पश्चिम बंगाल और ओडिशा में जीत आसान नहीं होगी. भाजपा को कर्नाटक, राजस्थान और मध्यप्रदेश में हार का सामना करना पड़ेगा. गुजरात में उनके लिए नैतिक हार थी.’’ पश्चिम बंगाल और ओडिशा को भाजपा द्वारा लक्ष्य बनाने पर ममता ने कहा, ‘‘कभी-कभी तिलचट्टा भी पंख लगाकर मोर बनना चाहता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा कभी नहीं होगा और यह सपना ही रह जाएगा.’’

VIDEO: त्रिपुरा में बीजेपी ने ढहाया लेफ्ट का किला

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि भाजपा को 50 फीसदी मत मिले जबकि माकपा को 45 फीसदी. यह केवल पांच फीसदी का अंतर रहा. उन्होंने कहा, ‘‘अगर राहुल गांधी ने कांग्रेस, तृणमूल और स्थानीय पहाड़ी दलों के बीच गठबंधन के मेरे प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया होता तो त्रिपुरा में स्थिति अलग होती.’’

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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