योगी आदित्यनाथ का जन्म वर्ष 1972 में उत्तराखंड के पंचूर गांव में अजय सिंह बिष्ट के रूप में हुआ था...
पौड़ी (उत्तराखंड):
जब रविवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 44-वर्षीय योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ले रहे थे, ठीक उसी वक्त लगभग 600 किलोमीटर दूर पड़ोसी उत्तराखंड राज्य के गांव पंचूर में सभी लोग टीवी स्क्रीन से चिपके बैठे थे, क्योंकि वर्ष 1972 में इसी गांव में अजय सिंह बिष्ट के रूप में योगी आदित्यनाथ का जन्म हुआ था...
योगी आदित्यनाथ के पुश्तैनी गांव में जिस दिन उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की ख़बर पहुंची थी, खुशी के मारे खाना भी नहीं बनाया गया था... उनके सभी रिश्ते-नातेदारों और दोस्तों के जश्न के बीच छह भाई-बहनों में से एक योगी आदित्यनाथ की बड़ी बहन शशि ने बताया, "मैं खेतों में घास काटने गई थी, जब मुझे कॉल आया... मैंने सब कुछ छोड़ दिया और घर लौट आई... हमने सारा दिन टीवी देखा, और खुशी के मार खाना तक नहीं बनाया... इस बात का पता भी तब चला, जब लोगों ने घर पर आना शुरू कर दिया, और हमें मिठाइयों का इंतज़ाम करना पड़ा..."
शशि को ठीक से याद नहीं कि 22 साल की उम्र में गोरखपुर चले गए उनके भाई अजय कब आदित्यनाथ बने थे... उन्होंने कहा, "मुझे बस इतना याद है, जब वह बच्चा था, वह पिता से कहा करता था, आप हमेशा इसी घर की चारदीवारी में रहे हो, लेकिन मैं समाज की सेवा करना चाहता हूं..."
अब कई साल बीत जाने के बाद राज्य वन विभाग से रेंज ऑफिसर के रूप में सेवानिवृत्त हो चुके पिता आनंद सिंह बिष्ट अपने पुत्र को एक सलाह देना चाहते हैं - "लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति में प्रवेश करना पड़ता है, और मैं खुश हूं कि मेरा बेटा कई साल से यही करता आ रहा है... हिन्दुत्व और सांप्रदायिकता के साथ उनका जो जुड़ाव रहा है, उन्हें उसे त्यागना होगा, और उन्होंने यही किया... (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी जी के पास एक ख्वाब है - सबका साथ, सबका विकास, और किसी के साथ भी भेदभाव नहीं होना चाहिए..."
योगी आदित्यनाथ के मामा ने भी बताया, "हाल ही में जब मैं उनसे मिला था, मैंने उनसे कहा था कि उन्हें अपनी नई भूमिका निभाते हुए सांप्रदायिक भावनाओं से एकदम अलग रहना होगा, और उन्होंने मुझे ऐसा ही करने का आश्वासन दिया है..."
योगी आदित्यनाथ के सबसे छोटे भाई महेंद्र को उनके बचपन की कुछ बातें धुंधली-धुंधली याद हैं... महेंद्र के मुताबिक, "वह मुझसे लगभग 10 साल बड़े हैं... जब मैंने होश संभाला, वह गोरखपुर जा चुके थे... जब भी वह घर आते थे, हमें पढ़ने-लिखने के लिए ही कहते रहते थे..."
अजय सिंह बिष्ट की स्कूली पढ़ाई पौड़ी और ऋषिकेश में हुई, और वह गणित में स्नातक उपाधि पाने के लिए कोटद्वार गए थे... इसी जगह उनका झुकाव छात्र राजनीति और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की तरफ हुआ, जो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की छात्र शाखा है... उन्हीं दिनों योगी आदित्यनाथ ने हिन्दू युवा वाहिनी का गठन भी किया था...
योगी आदित्यनाथ के पिता बताते हैं, "कोटद्वार में जब वह बीएससी की पढ़ाई कर रहे थे, अन्य छात्र ट्यूशन पढ़ने के लिए उनके पास आया करते थे... धीरे-धीरे वह उन छात्रों को अपने विचारों से प्रभावित करते गए... फिर वह एमएससी करने के लिए ऋषिकेश गए, जहां उनकी मुलाकात महंत अवैद्यनाथ जी से हुई... एक दिन अवैद्यनाथ जी ने मुझसे कहा, 'तुम्हारे चार पुत्र हैं, एक मुझे दे दो...', मैंने कहा - मेरा पुत्र तो पहले से ही उनका हो चुका है..."
जो योगी आदित्यनाथ को करीब से जानते हैं, बताते हैं कि पांच बार सांसद रह चुके आदित्यनाथ बहुत छोटी आयु से ही साधु और राजनेता का मिलाजुला स्वरूप रहे हैं... उनके मित्र शशिधर उनियाल कहते हैं, "इन बातों ने हमेशा उनके पक्ष में काम किया कि वह लोगों को जुटाने और प्रभावित करने में हमेशा सक्षम रहे हैं, आध्यात्म, राष्ट्रवाद और देशभक्ति को लेकर अपनी मजबूत मान्यताओं से कभी नहीं हटे हैं... देश में (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी ही एकमात्र दूसरे नेता हैं, जो इसी तरह के हैं..."
योगी आदित्यनाथ के पुश्तैनी गांव में जिस दिन उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की ख़बर पहुंची थी, खुशी के मारे खाना भी नहीं बनाया गया था... उनके सभी रिश्ते-नातेदारों और दोस्तों के जश्न के बीच छह भाई-बहनों में से एक योगी आदित्यनाथ की बड़ी बहन शशि ने बताया, "मैं खेतों में घास काटने गई थी, जब मुझे कॉल आया... मैंने सब कुछ छोड़ दिया और घर लौट आई... हमने सारा दिन टीवी देखा, और खुशी के मार खाना तक नहीं बनाया... इस बात का पता भी तब चला, जब लोगों ने घर पर आना शुरू कर दिया, और हमें मिठाइयों का इंतज़ाम करना पड़ा..."
योगी आदित्यनाथ की बड़ी बहन शशि कहती हैं, "वह बचपन से ही समाज की सेवा करना चाहते थे..."
शशि को ठीक से याद नहीं कि 22 साल की उम्र में गोरखपुर चले गए उनके भाई अजय कब आदित्यनाथ बने थे... उन्होंने कहा, "मुझे बस इतना याद है, जब वह बच्चा था, वह पिता से कहा करता था, आप हमेशा इसी घर की चारदीवारी में रहे हो, लेकिन मैं समाज की सेवा करना चाहता हूं..."
अब कई साल बीत जाने के बाद राज्य वन विभाग से रेंज ऑफिसर के रूप में सेवानिवृत्त हो चुके पिता आनंद सिंह बिष्ट अपने पुत्र को एक सलाह देना चाहते हैं - "लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति में प्रवेश करना पड़ता है, और मैं खुश हूं कि मेरा बेटा कई साल से यही करता आ रहा है... हिन्दुत्व और सांप्रदायिकता के साथ उनका जो जुड़ाव रहा है, उन्हें उसे त्यागना होगा, और उन्होंने यही किया... (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी जी के पास एक ख्वाब है - सबका साथ, सबका विकास, और किसी के साथ भी भेदभाव नहीं होना चाहिए..."
योगी आदित्यनाथ के मामा ने भी बताया, "हाल ही में जब मैं उनसे मिला था, मैंने उनसे कहा था कि उन्हें अपनी नई भूमिका निभाते हुए सांप्रदायिक भावनाओं से एकदम अलग रहना होगा, और उन्होंने मुझे ऐसा ही करने का आश्वासन दिया है..."
योगी आदित्यनाथ के सबसे छोटे भाई महेंद्र को उनके बचपन की कुछ बातें धुंधली-धुंधली याद हैं... महेंद्र के मुताबिक, "वह मुझसे लगभग 10 साल बड़े हैं... जब मैंने होश संभाला, वह गोरखपुर जा चुके थे... जब भी वह घर आते थे, हमें पढ़ने-लिखने के लिए ही कहते रहते थे..."
उत्तराखंड के गांव पंचूर में योगी आदित्यनाथ का परिवार...
अजय सिंह बिष्ट की स्कूली पढ़ाई पौड़ी और ऋषिकेश में हुई, और वह गणित में स्नातक उपाधि पाने के लिए कोटद्वार गए थे... इसी जगह उनका झुकाव छात्र राजनीति और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की तरफ हुआ, जो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की छात्र शाखा है... उन्हीं दिनों योगी आदित्यनाथ ने हिन्दू युवा वाहिनी का गठन भी किया था...
योगी आदित्यनाथ के पिता बताते हैं, "कोटद्वार में जब वह बीएससी की पढ़ाई कर रहे थे, अन्य छात्र ट्यूशन पढ़ने के लिए उनके पास आया करते थे... धीरे-धीरे वह उन छात्रों को अपने विचारों से प्रभावित करते गए... फिर वह एमएससी करने के लिए ऋषिकेश गए, जहां उनकी मुलाकात महंत अवैद्यनाथ जी से हुई... एक दिन अवैद्यनाथ जी ने मुझसे कहा, 'तुम्हारे चार पुत्र हैं, एक मुझे दे दो...', मैंने कहा - मेरा पुत्र तो पहले से ही उनका हो चुका है..."
जो योगी आदित्यनाथ को करीब से जानते हैं, बताते हैं कि पांच बार सांसद रह चुके आदित्यनाथ बहुत छोटी आयु से ही साधु और राजनेता का मिलाजुला स्वरूप रहे हैं... उनके मित्र शशिधर उनियाल कहते हैं, "इन बातों ने हमेशा उनके पक्ष में काम किया कि वह लोगों को जुटाने और प्रभावित करने में हमेशा सक्षम रहे हैं, आध्यात्म, राष्ट्रवाद और देशभक्ति को लेकर अपनी मजबूत मान्यताओं से कभी नहीं हटे हैं... देश में (प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी ही एकमात्र दूसरे नेता हैं, जो इसी तरह के हैं..."
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