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This Article is From Jan 23, 2017

क्या बीजेपी के सभी शीर्ष नेताओं के बेटे-बेटियों को भाती है राजनीति?

क्या बीजेपी के सभी शीर्ष नेताओं के बेटे-बेटियों को भाती है राजनीति?
फाइल फोटो
नई दिल्‍ली: यूपी और उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जमकर परिवारवाद किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नसीहत के बावजूद कई नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिया गया. इसके बाद से ही सवाल उठ रहा है कि कांग्रेस पर एक ही परिवार की सियासत करने और वंशवाद को बढ़ावा देने के बीजेपी के आरोपों का क्या हुआ?

आपको बता दें कि रविवार को ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी ने अपनी दूसरी लिस्ट जारी की जिसमें 155 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की गई. इस लिस्‍ट में भी परिवारवाद जमकर झलका. कई नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट मिले. इसके अलावा दूसरी पार्टी छोड़कर आए नेताओं को भी टिकट दिए गए हैं. गृह मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह को नोएडा से टिकट दिया गया है. राजनाथ सिंह के बेटे के अलावा वरिष्‍ठ भाजपा नेता लालजी टंडन के बेटे, बीजेपी सांसद हुकुम सिंह की बेटी को भी टिकट मिला. कल्याण सिंह के पोते को पहले ही टिकट मिल चुका था.

16 जनवरी को ही उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के लिए जारी बीजेपी की लिस्‍ट में भी परिवारवाद हावी रहा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील को दरकिनार करते हुए उत्तराखंड में बीजेपी ने 'अपनों' को टिकट बांटे. उत्तराखंड में भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पुत्र सौरभ बहुगुणा को टिकट दिया है जो कांग्रेस से पार्टी में शामिल हुए. सोमवार को भाजपा में शामिल होने वाले प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष यशपाल आर्य और उनके पु़त्र संजीव आर्य को टिकट दिया गया है. पूर्व मुख्यमंत्री बी सी खंडूरी की पु़त्री रितू खंडूरी भूषण को यमकेश्‍वर सीट से टिकट दिया गया है.

हालांकि बीजेपी के ऐसे कई शीर्ष नेता हैं जिनके परिवारजन राजनीति से बहुत दूर हैं. आइए जानते हैं ऐसे ही नेताओं और उनके बच्‍चों के बारे में. बीजेपी मार्गदर्शक मंडल और संसदीय बोर्ड के करीब-करीब सारे नेताओं ने अपने परिवार के लोगों को राजनीति से दूर रखा है.

मार्गदर्शक मंडल
लालकृष्ण आडवाणी
बीजेपी के शीर्षस्थ नेताओं में से एक लालकृष्‍ण आडवाणी का एक बेटा और एक बेटी है. दोनों ही राजनीति से दूर हैं. बेटी प्रतिभा कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में पिता के साथ दिखती हैं लेकिन चुनावी राजनीति से दूर हैं.

मुरली मनोहर जोशी
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष जोशी की दोनों बेटियां राजनीति से दूर हैं. इनमें से एक योग सिखाती हैं.

संसदीय बोर्ड
नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिवार के सारे सदस्य राजनीति से दूर हैं. कई तो उनके पीएम बनने के ढाई साल के बाद भी उनके आधिकारिक निवास तक नहीं आए हैं. सब अपने पुराने कामों में ही लगे हैं और कई की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है.

अमित शाह
शाह के बेटे पिता की तरह क्रिकेट की सियासत से जुड़े हैं मगर चुनावी सियासत से दूर हैं. वो स्वयं का कारोबार करते हैं.

राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह के दो बेटों में से एक पंकज सिंह को बीजेपी ने नोएडा से चुनाव मैदान में उतारा है. दूसरे बेटे पिता के संसदीय क्षेत्र लखनऊ में सक्रिय रहते हैं.

सुषमा स्वराज
उनकी बेटी वकालत कर रही हैं और राजनीति से दूर हैं.

अरुण जेटली
जेटली का एक बेटा और एक बेटी है. बेटी वकालत कर रही है जबकि बेटे ने कानून की पढ़ाई पूरी कर ली है. दोनों राजनीति से दूर हैं.

एम वेंकैया नायडू
नायडू का एक बेटा और एक बेटी है. बेटे का गाड़ियों का शोरूम है जबकि बेटी गृहणी है. दोनों चुनावी राजनीति से दूर हैं.

नितिन गडकरी
दो बेटे और एक बेटी है. दोनों बेटे व्यवसाय में हैं. बेटी का अभी विवाह हुआ और उनके पति अमेरिका में हैं. तीनों बच्चों की राजनीति से दूरी है.

अनंत कुमार
दो बेटियां हैं. दोनों ही राजनीति से दूर हैं.

थावरचंद गहलोत
दो बेटे और एक बेटी है. एक बेटे जितेंद्र गहलोत राजनीति में हैं. आलोट से बीजेपी विधायक हैं जबकि दूसरे फैक्ट्री में नौकरी करते हैं.

शिवराज सिंह चौहान
इनके दो बेटे हैं : कार्तिकेय और कुणाल. बड़े बेटे अमेरिका में हैं और चुनाव के वक्त पिता के चुनाव अभियान में हाथ बंटाते हैं. जबकि छोटे बेटे पुणे में नौकरी कर रहे हैं.

जगत प्रकाश नड्डा
जेपी नड्डा के दो बेटे हैं. दोनों पढ़ाई कर रहे हैं और राजनीति से दूर हैं.

राम लाल
संगठन मंत्री रामलाल आरएसएस से बीजेपी में आए हैं और अविवाहित हैं.
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