दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह को लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से बीजेपी ने टिकट दिया है.
आपको याद होगा कि कुछ समय पहले यूपी में बीजेपी के नेता दयाशंकर सिंह अचानक सुर्खियों में आ गए थे. दरअसल बीएसपी सुप्रीमो मायावती के खिलाफ अमर्यादित, अभद्र टिप्पणी के चलते वह राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बनें. बीजेपी ने उसकी सख्त सजा भी दी और दयाशंकर को पार्टी से बाहर कर दिया गया. बसपा ने भी लखनऊ में उनके खिलाफ जबर्दस्त मोर्चा खोला और उनकी पत्नी एवं बेटी के खिलाफ टिप्पणियां भी कीं. दयाशंकर सिंह की पत्नी स्वाति सिंह उनसे विचलित हो गईं और परिवार की रक्षा के लिए मैदान में उतरते हुए उन्होंने बसपा को जवाब दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि बसपा रक्षात्मक मुद्रा में आ गई और स्वाति सिंह अचानक नेता बन गईं. बीजेपी ने उनको महिला विंग की अध्यक्ष बना दिया. उसके बाद से लगातार चर्चा में रहीं स्वाति सिंह को अब बीजेपी ने आगामी यूपी चुनाव में लड़ने के लिए टिकट दे दिया है. पार्टी उनको लखनऊ की सरोजनी नगर सीट से उतारने जा रही है. हालांकि इससे पहले बलिया सदर से भी उनको टिकट दिए जाने की अटकलें लगाई गईं थीं.
पिछली बार इस सीट से सपा के प्रत्याशी शारदा प्रताप शुक्ला विजयी हुए थे. मुलायम सिंह के करीबी माने जाने वाले शुक्ला को इस बार अखिलेश यादव ने टिकट देने से इनकार कर दिया. अबकी बार अखिलेश ने रिश्ते में चचेरे भाई अनुराग यादव को यहां से सपा का उम्मीदवार बनाया है. बसपा के शिव शंकर सिंह भी चुनाव मैदान में हैं. शुक्ला ने बगावत का परचम लहराते हुए रालोद से इसी सीट पर उतरने का फैसला कर लिया है. इन सियासी परिस्थितियों में देखा जाए तो स्वाति सिंह की इस सीट पर राह आसान नहीं होगी.
घरेलू महिला से बनीं एकाएक नेता
पिछले साल जुलाई में अमर्यादित टिप्पणी के बाद जब दयाशंकर सिंह के खिलाफ बसपा ने पुलिस में मामला दर्ज कराया और वे नौ दिन तक पुलिस से बचते रहे. उस दौर में बसपा कार्यकर्ताओं ने उनके घर के बाहर भी प्रदर्शन किया और पत्नी, मां एवं बेटी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की. तब स्वाति पहली बार घर से बाहर निकलीं और मायावती के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. यूपी की सियासत में यह एक बड़ी बात मानी जाती है क्योंकि सीधे तौर पर मायावती का विरोध करने की हिम्मत विरोधी दलों के नेताओं में भी नहीं होती. इसी घटना के बाद स्वाति सिंह की किस्मत बदल गई और वह घरेलू महिला से एकाएक नेता बनकर उभरीं. उसके बाद बीजेपी ने उनको यूपी महिला विंग का अध्यक्ष बना दिया.
पिछली बार इस सीट से सपा के प्रत्याशी शारदा प्रताप शुक्ला विजयी हुए थे. मुलायम सिंह के करीबी माने जाने वाले शुक्ला को इस बार अखिलेश यादव ने टिकट देने से इनकार कर दिया. अबकी बार अखिलेश ने रिश्ते में चचेरे भाई अनुराग यादव को यहां से सपा का उम्मीदवार बनाया है. बसपा के शिव शंकर सिंह भी चुनाव मैदान में हैं. शुक्ला ने बगावत का परचम लहराते हुए रालोद से इसी सीट पर उतरने का फैसला कर लिया है. इन सियासी परिस्थितियों में देखा जाए तो स्वाति सिंह की इस सीट पर राह आसान नहीं होगी.
घरेलू महिला से बनीं एकाएक नेता
पिछले साल जुलाई में अमर्यादित टिप्पणी के बाद जब दयाशंकर सिंह के खिलाफ बसपा ने पुलिस में मामला दर्ज कराया और वे नौ दिन तक पुलिस से बचते रहे. उस दौर में बसपा कार्यकर्ताओं ने उनके घर के बाहर भी प्रदर्शन किया और पत्नी, मां एवं बेटी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की. तब स्वाति पहली बार घर से बाहर निकलीं और मायावती के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. यूपी की सियासत में यह एक बड़ी बात मानी जाती है क्योंकि सीधे तौर पर मायावती का विरोध करने की हिम्मत विरोधी दलों के नेताओं में भी नहीं होती. इसी घटना के बाद स्वाति सिंह की किस्मत बदल गई और वह घरेलू महिला से एकाएक नेता बनकर उभरीं. उसके बाद बीजेपी ने उनको यूपी महिला विंग का अध्यक्ष बना दिया.
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