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This Article is From Feb 09, 2016

एशिया का सबसे बड़ा शिप ब्रेकिंग यार्ड अलंग, कभी यहां होते थे दर्जनों जहाज, अब है सन्‍नाटा

एशिया का सबसे बड़ा शिप ब्रेकिंग यार्ड अलंग, कभी यहां होते थे दर्जनों जहाज, अब है सन्‍नाटा
गुजरात का अलंग शिप ब्रेकिंग यार्ड (फाइल फोटो)
अहमदाबाद: गुजरात के भावनगर के इस अलंग यार्ड पर बड़े-बड़े जहाज तोड़े जाते हैं, लेकिन एशिया के इस सबसे बड़े शिप ब्रेकिंग यार्ड में इन दिनों कुछ सन्नाटा है। पहले यहां दर्जनों जहाज खड़े रहते थे, वहीं अब गिनती के जहाज दिख रहे हैं। दो साल से यहां भारी मंदी है। जहाज तोड़े जाते हैं तो सबसे ज़्यादा स्टील निकलता है। कई तैयार सामान भी मिलते हैं। इन्हें बेचकर धंधा चलता है। लेकिन बीते दो साल में ऐसी कई चीजें हुईं जिनका नुकसान बड़े पैमाने पर इस शिप ब्रेकिंग यार्ड को भुगतना पड़ा।

अलंग का महत्‍व इस कारण हो गया कम
एक तो स्टील के दाम नीचे आए, दूसरे चीन का तैयार सामान सस्ते दाम पर मिलने लगा। साथ ही अलंग के मुकाबले बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी जहाज तोड़ने का कारोबार तेजी से बढ़ा। रुपया, डॉलर के मुकाबले कमजोर पड़ा तो जहाज खरीदना महंगा हो गया। लेकिन भारत के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए और बांग्लादेशी टका का अवमूल्यन उतना ज्यादा नहीं हुआ। पाकिस्तान का रुपया दो साल पहले डॉलर के मुकाबले जितना था, उतना ही आज भी करीब 105 रुपए है। बांग्लादेश का टका भी उतना नहीं गिरा जबकि रुपया दो साल पहले करीब 62 रुपए प्रति डॉलर था जो गिरकर आज 68 रुपए के करीब है।

कायम है रौनक लौटने की उम्‍मीद
हालांकि इस मंदी में से अलंग की रौनक लौटने की उम्मीद बन रही है। दुनियाभर के जहाज मालिकों के लिए जहाज चलाना भारी पड़ रहा है मजबूरन वो जहाज तेजी से बेच रहे हैं।
पाकिस्तान-बांग्लादेश में जितना खपा सकते हैं, खपा चुके हैं बाकी जहाज भारत आ रहे हैं। बांग्लादेश में वैसे भी फिलहाल सीजन सुस्त है इसलिए वहां ज्यादा जहाज नहीं खरीद रहे हैं। इसीलिए जो यार्ड सूना पड़ा था वहां पिछले एक महीने में कुछ जहाज टूटने आए हैं।

गुजरात सरकार की पॉलिसी भी बनी मददगार
इसी बीच, गुजरात सरकार ने भी 2002 के बाद पहली बार शिप ब्रेकिंग पॉलिसी बनाई है। इसके तहत शिप ब्रेकिंग यार्ड में प्‍लॉट रखना अब आसान बना दिया गया है। पहले एक बार प्‍लॉट लेने के बाद इस व्यवसाय से बाहर जाने का रास्ता नहीं था, जो राज्य सरकार ने आसान बना दिया है। साथ ही प्‍लॉट भी जो पहले सिर्फ पांच साल के लिए दिये जाते थे, वह अब 10 साल के लिए कर दिए गए हैं। सब बस यही उम्मीद लगाकर बैठे हैं कि अलंग की वह चमक दोबारा लौटे और लोगों का व्यवसाय और रोजगार, दोनों बढ़े।

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