उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मणिपुर जैसे राज्यों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून (Monsoon) अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर रहा है. इस दौरान कम बारिश (Rain) होने की सूचना मिली है, जिसका प्रभाव सीधा धान की फसल पर पड़ा है. मौसम कार्यालय ने यह जानकारी दी. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में बुधवार तक लंबी मॉनसून अवधि के औसत से 44 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है. बिहार में 38 प्रतिशत, झारखंड में 27 प्रतिशत, मणिपुर में 45 प्रतिशत, त्रिपुरा में 29 प्रतिशत और दिल्ली में 31 प्रतिशत कम बारिश हुई है.
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून एक जून से शुरू होता है और 30 सितंबर तक चलता है. कृषि मंत्रालय के अनुसार 26 अगस्त तक किसानों ने 367.55 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर धान की बुवाई की थी, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 23.44 लाख हेक्टेयर कम है. कृषि मंत्रालय ने कहा, 'मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना राज्यों में कम रकबे पर चावल की बुवाई की गई.'
इस महीने की शुरुआत में, मौसम कार्यालय ने कहा था कि सितंबर के पहले सप्ताह में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वापसी के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो जाएंगी. ऐसा सामान्य से कम से कम एक पखवाड़े पहले होने का अनुमान है. मौसम कार्यालय के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 1 जून से 31 अगस्त के बीच 332.6 मिमी बारिश हुई, जबकि मौसम में औसतन 593.1 मिमी बारिश होती है. बिहार में सामान्य 775.7 मिमी की तुलना में 477.2 मिमी बारिश हुई है, झारखंड में औसतन 798.9 मिमी के मुकाबले 585.6 मिमी बारिश हुई है.
पूरे देश में मॉनसून की बारिश सामान्य से छह प्रतिशत अधिक रही और मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु व तेलंगाना जैसे राज्यों में अधिक बारिश हुई. मौसम कार्यालय ने कहा कि 1 जून से 31 अगस्त के बीच, भारत में सामान्य 700.7 मिमी के मुकाबले 743.8 मिमी बारिश हुई.
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