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This Article is From Jun 25, 2015

बच्‍चे तो बच्‍चे, यहां टीचर ही अंग्रेजी के टेस्‍ट में फेल हो गए, शिक्षा मंत्री परेशान

बच्‍चे तो बच्‍चे, यहां टीचर ही अंग्रेजी के टेस्‍ट में फेल हो गए, शिक्षा मंत्री परेशान
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर...
चंडीगढ़: पंजाब के सरकारी स्‍कूलों में पढ़ने वाले 80 हजार बच्‍चों का रिजल्‍ट क्‍यों बिगड़ा और आखिर इसके पीछे वजह क्‍या थी, राज्‍य के शिक्षा मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने जब यह जानने की कोशिश की तो वे खुद दांतों तले उंगलियां दबा बैठे। मंत्री जी ने सरकारी स्‍कूलों के टीचरों से इसकी वजह अंग्रेजी में पूछ ली, तो 'मास्‍टर जी ही फेल' हो गए।

दैनिक भास्‍कर की खबर के अनुसार, ज्‍यादातर टीचरों की अंग्रेजी के जवाब में मामूली नहीं, बल्कि भारी गलतियां पाईं। और तो और शिक्षकों ने बच्‍चों का रिजल्‍ट स्‍तर खराब रहने के ऐसे-ऐसे उदाहरण दे डाले, जिन्‍हें सुनकर मंत्री जी अवाक रह गए। अब शिक्षा मंत्री ने आदेश दिए हैं कि फेल हुए सभी टीचरों को दो महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी।

दरअसल, बुधवार को पंजाब के शिक्षा मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने राज्य के 22 जिलों के 220 टीचर्स का अंग्रेजी का टेस्ट ले लिया। उन्‍होंने टीचरों से इस वर्ष हाईस्कूल परीक्षा में सरकारी स्कूलों के 80 हजार बच्‍चों के अंग्रेजी में फेल होने की वजह पूछी। साथ सुझाव भी दीजिए लेकिन अंग्रेजी में। सभी टीचरों को अंग्रेजी में जवाब लिखकर लाने को कहा। केवल अमृतसर के रामदास स्कूल की एक टीचर की अंग्रेजी मंत्री को प्रभावित कर पाई।

'फेल टीचरों' के जवाब कुछ इस तरह थे...

गुरुदासपुर के भराड़ा सीनियर सेकेंडरी स्कूल के एक मास्टर ने सुझाव में लिखा कि 'इंग्लिश आर इंटरनेशनल लैंग्वेज।' मंत्री ने कॉपी चैक की तो वाक्‍य में गलतियां पाईं। इसकी वजह पूछी तो मास्‍टर जी का जवाब था 'जनाब, मैं चश्‍मा भूल गया हूं। इसी वजह से गलती हो गई।' फिर मंत्री ने पूछा कि चश्मे और ग्रामर का आपस में क्या ताल्लुक है? तो वे जवाब न दे सके।

कुछ इसी तरह का जवाब फतेहगढ़ साहिब के पोला गांव की एक टीचर ने लिखा, 'इट क्लास वाज वैरी वीक फ्रॉम 6 बाई चांस।' जब मंत्री ने उन्‍हें भी वाक्‍य की गलती बताई तो मैडम ने दलील दी कि वे दो महीने से बच्‍चों को पढ़ाने में खूब मेहनत कर रही हैं। पता नहीं बच्‍चों का रिजल्‍ट कैसे बिगड़ गया।

फजिल्का की एक टीचर ने कहा, उनके सेंटेंस घबराने की वजह से गलत हो गए।

कांगड़ गांव की एक टीचर ने रिजल्ट खराब होने की वजह बताई, 'अधिकांश बच्‍चे गरीब तबके से आते हैं। उनके माता-पिता पीटीएम में नहीं आते।'  

फतेहगढ़ साहिब के एक गांव की शिक्षक ने दलील दी, 'प्रैक्टिकल के दिनों में बच्चे स्कूल ही नहीं आते। इसीलिए रिजल्ट खराब हो गया। क्‍या किया जाए।'

लुधियाना के कोट गांव के एक टीचर से पंजाबी के बजाय अंग्रेजी में बोलने को कहा गया तो कहने लगे, 'टीचर्स पर दूसरे कामों का दबाव ज्यादा है। इसलिए पढ़ाई का टाइम ही नहीं मिल पाता।'

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