Valentine's day Shayari: प्यार का इज़हार शायरी के बिना अधूरा है और मौका वैलेंटाइन वीक (Valentine Week) का हो तो अपने साथी को शायरी (Shayari) से अपने प्यार का इज़हार करना जरूरी हो जाता है. आज 7 फरवरी (7 February) है, रोज़ डे (Rose Day) मौका है. हर कोई अपने पार्टनर को गुलाब और मैसेज से जरिए अपना प्यार जता रहा है लेकिन आप कुछ अलग करें. इस रोज़ डे पर अपने पार्टनर को स्टेटस या मैसेज से नहीं बल्कि शायरी से विश करें. यहां आपके लिए खास शायरी (Rose Day Shayari) दी जा रही हैं, जिन्हें आप पूरे वैलेंटाइन वीक (Valentine Week) अपने साथी से प्यार का इज़हार कर सकते हैं. तो भेजिए ये शायरी और बनाएं इस वैलेंटाइन्स डे (Valentine's day) को और भी खास.
7 फरवरी को है Rose Day, जानिए Valentine Week के इस पहले दिन से जुड़ी खास बातें
मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूं
वो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता
अफ़ज़ल इलाहाबादी
'अनवर' मिरी नज़र को ये किस की नज़र लगी
गोभी का फूल मुझ को लगे है गुलाब का
अनवर मसूद
दिन में आने लगे हैं ख़्वाब मुझे
उस ने भेजा है इक गुलाब मुझे
इफ़्तिख़ार राग़िब
Valentine Week 7 फरवरी से शुरू, जानिए Rose Day से Valentine's Day के बीच के सभी Love Days
मेरे होंटों पे ख़ामुशी है बहुत
इन गुलाबों पे तितलियां रख दे
शकील आज़मी
ग़ालिब और मीरज़ा 'यगाना' का
आज क्या फ़ैसला करे कोई
यगाना चंगेज़ी
'ग़ालिब' ओ 'मीर' 'मुसहफ़ी'
हम भी 'फ़िराक़' कम नहीं
फ़िराक़ गोरखपुरी
हम-अस्रों में ये छेड़ चली आई है 'अज़हर'
याँ 'ज़ौक़' ने 'ग़ालिब' को भी ग़ालिब नहीं समझा
अज़हर इनायती
Rose Day के लिए खास मैसेजेस, Valentine Week की करें शुरुआत इन प्यार भरें SMS के साथ
किसी ने मुझ से कह दिया था ज़िंदगी पे ग़ौर कर
मैं शाख़ पर खिला हुआ गुलाब देखता रहा
अफ़ज़ाल फ़िरदौस
निकल गुलाब की मुट्ठी से और ख़ुशबू बन
मैं भागता हूँ तिरे पीछे और तू जुगनू बन
जावेद अनवर
भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब
कि जैसे तू ने हथेली पे गाल रक्खा है
अहमद फ़राज़
वाह क्या इस गुल-बदन का शोख़ है रंग-ए-बदन
जामा-ए-आबी अगर पहना गुलाबी हो गया
मुज़फ़्फ़र अली असीर
अज़ाब होती हैं अक्सर शबाब की घड़ियां
गुलाब अपनी ही ख़ुश्बू से डरने लगते हैं
बद्र वास्ती
है लुत्फ़ हसीनों की दो-रंगी का 'अमानत'
दो चार गुलाबी हों तो दो चार बसंती
अमानत लखनवी
गुलाब टहनी से टूटा ज़मीन पर न गिरा
करिश्मे तेज़ हवा के समझ से बाहर हैं
शहरयार
वो क़हर था कि रात का पत्थर पिघल पड़ा
क्या आतिशीं गुलाब खिला आसमान पर
ज़फ़र इक़बाल
तू छोड़ अब तो असीर-ए-क़फ़स को ऐ सय्याद
कली चटकने लगी मौसम-ए-गुलाब आया
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
दिल में तिरे ख़ुलूस समोया न जा सका
पत्थर में इस गुलाब को बोया न जा सका
हसन अकबर कमाल
आख़िर को रूह तोड़ ही देगी हिसार-ए-जिस्म
कब तक असीर ख़ुशबू रहेगी गुलाब में
सैफ़ी सिरोंजी
रंगत उस रुख़ की गुल ने पाई है
और पसीने की बू गुलाब में है
सख़ी लख़नवी
बंद-ए-क़बा में बांध लिया ले के दिल मिरा
सीने पे उस के फूल खिला है गुलाब का
अहमद हुसैन माइल
VIDEO: वैलेंटाइन डे को बनाना है खास, तो पार्टनर के साथ करें ये 3 काम
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