प्रतीकात्मक फोटो.
नासिक:
त्र्यंबकेश्वर देवस्थान न्यास ने नीले नस्साक हीरे को वापस लाने की मांग की है. यह हीरा किसी समय त्र्यंबकेश्वर मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा के मुकुट में जड़ा था.
त्र्यंबकेश्वर देवस्थान की न्यासी ललिता शिंदे ने पीटीआई-भाषा को आज बताया कि प्राचीन काल में इस हीरे को कथित रूप से कई शासकों ने लूटा था लेकिन अब यह लेबनान में एक निजी संग्रहालय में रखा हुआ है.
शिंदे ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और अन्य संबद्ध विभागों को पत्र लिखकर हीरा वापस लाने की मांग की है.
नीले नस्साक हीरे को भगवान शिव का ‘नेत्र’ भी कहा जाता है. इसका वजन 43.38 कैरट या 8,676 ग्राम है. इसे 15वीं सदी में तेलंगाना के महबूबनगर स्थित अमारागिरी खदान से निकाला गया था.
शिंदे ने कहा कि हीरे को वापस लाने की मांग को लेकर वे अदालत का दरवाजा भी खटखटाएंगी. यह दुनिया के सबसे बड़े हीरों में से एक है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
त्र्यंबकेश्वर देवस्थान की न्यासी ललिता शिंदे ने पीटीआई-भाषा को आज बताया कि प्राचीन काल में इस हीरे को कथित रूप से कई शासकों ने लूटा था लेकिन अब यह लेबनान में एक निजी संग्रहालय में रखा हुआ है.
शिंदे ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और अन्य संबद्ध विभागों को पत्र लिखकर हीरा वापस लाने की मांग की है.
नीले नस्साक हीरे को भगवान शिव का ‘नेत्र’ भी कहा जाता है. इसका वजन 43.38 कैरट या 8,676 ग्राम है. इसे 15वीं सदी में तेलंगाना के महबूबनगर स्थित अमारागिरी खदान से निकाला गया था.
शिंदे ने कहा कि हीरे को वापस लाने की मांग को लेकर वे अदालत का दरवाजा भी खटखटाएंगी. यह दुनिया के सबसे बड़े हीरों में से एक है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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