माता-पिता अपने बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए किस हद तक जा सकते हैं, इस बारे में जितना कहा जाए उतना कम है. ऐसी ही एक कहानी फेसबुक पर बार बार शेयर की जा रही है जिसमें एक पिता और बेटी के रिश्ते को खूबसूरती से दिखाया गया है. पत्रकार जीएमबी आकाश ने एक पिता के अपने बच्चों के प्रति प्यार की भावना को साझा करती हुई एक पोस्ट लिखी है. यह कहानी बांग्लादेश के रहने वाले एमडी कवसर हुसैन की है जो आखिर दो साल बाद अपनी बेटी के लिए नई ड्रेस खरीद पाए. 5 अप्रैल को शेयर की गई स पोस्ट को 11 हजार से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका है.
पोस्ट में हुसैन के अपनी बेटी के लिए ड्रेस खरीदने के अनुभव के बारे में बात की गई है. लिखा गया है - जब मैंने दुकानदार को पांच टका नोट के 60 हिस्से थमाए तो वह मुझे भिखारी समझकर चिल्लाया. मेरी बेटी ने मेरा हाथ पकड़ा और रोते हुए कहने लगी कि उसे यह ड्रेस नहीं खरीदनी. मैंने एक हाथ से उसके आंसू पोंछे. हां मैं भिखारी हूं.'
हुसैन ने बताया कि किस तरह उन्होंने अपना एक हाथ गंवा दिया. पोस्ट में लिखा गया है - 'दस साल पहले मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे भीख मांगनी पड़ेगी.' हुसैन की बेटी सुमैया अपने हाथों से उन्हें खाना खिलाती थी और कहती थी कि वह जानती है कि एक हाथ से काम करना कितना मुश्किल है. पोस्ट में लिखा गया है 'जब मैं अपना हाथ आगे बढ़ाता हूं और वह मुझे देखती है तो मुझे शर्म आती है. लेकिन वह कभी मुझे अकेला नहीं छोड़ती.'
मुश्किल हालातों के बावजूद हुसैन ने अपने बच्चों को पढ़ने लिखने से पीछे नहीं रखा और आखिरकार वह दिन आया जब दो साल बाद वह अपनी बेटी के लिए नया ड्रेस खरीद पाए. लिखा गया है 'दो साल बाद मेरी बेटी ने नया ड्रेस पहना है और इसलिए मैं उसे यहां खिलाने के लिए लाया हूं. आज यह पिता भिखारी नहीं है, राजा है और यह रही उसकी राजकुमारी.'
हालांकि हम इस पोस्ट की सत्यता की पुष्टि नहीं करते, आप यह पूरी पोस्ट यहां पढ़ सकते हैं -
पिता और बेटी की इस भावुक कर देनी वाली कहानी पर आपका क्या कहना है.
पोस्ट में हुसैन के अपनी बेटी के लिए ड्रेस खरीदने के अनुभव के बारे में बात की गई है. लिखा गया है - जब मैंने दुकानदार को पांच टका नोट के 60 हिस्से थमाए तो वह मुझे भिखारी समझकर चिल्लाया. मेरी बेटी ने मेरा हाथ पकड़ा और रोते हुए कहने लगी कि उसे यह ड्रेस नहीं खरीदनी. मैंने एक हाथ से उसके आंसू पोंछे. हां मैं भिखारी हूं.'
हुसैन ने बताया कि किस तरह उन्होंने अपना एक हाथ गंवा दिया. पोस्ट में लिखा गया है - 'दस साल पहले मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे भीख मांगनी पड़ेगी.' हुसैन की बेटी सुमैया अपने हाथों से उन्हें खाना खिलाती थी और कहती थी कि वह जानती है कि एक हाथ से काम करना कितना मुश्किल है. पोस्ट में लिखा गया है 'जब मैं अपना हाथ आगे बढ़ाता हूं और वह मुझे देखती है तो मुझे शर्म आती है. लेकिन वह कभी मुझे अकेला नहीं छोड़ती.'
मुश्किल हालातों के बावजूद हुसैन ने अपने बच्चों को पढ़ने लिखने से पीछे नहीं रखा और आखिरकार वह दिन आया जब दो साल बाद वह अपनी बेटी के लिए नया ड्रेस खरीद पाए. लिखा गया है 'दो साल बाद मेरी बेटी ने नया ड्रेस पहना है और इसलिए मैं उसे यहां खिलाने के लिए लाया हूं. आज यह पिता भिखारी नहीं है, राजा है और यह रही उसकी राजकुमारी.'
हालांकि हम इस पोस्ट की सत्यता की पुष्टि नहीं करते, आप यह पूरी पोस्ट यहां पढ़ सकते हैं -
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