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This Article is From Feb 02, 2023

17वीं शताब्दी से विलुप्त हो चुका विशालकाय 'डोडो पक्षी' धरती पर दिखेगा, वैज्ञानिक जिंदा करेंगे

DW की एक रिपोर्ट के अनुसार, डोडो पक्षी 17वीं सदी तक भी दुनिया में मौजूद था. यह धरती पर रहने वाला पक्षी था. उड़ नहीं सकता था. आकार में ये टर्की की तरह था. जानकारी के मुताबिक, 1681 में डोलो पक्षी का आखिरी शिकार मॉरिशस देश में किया गया था.

17वीं शताब्दी से विलुप्त हो चुका विशालकाय 'डोडो पक्षी' धरती पर दिखेगा, वैज्ञानिक जिंदा करेंगे

मानव सभ्यता के विकास के साथ धरती पर कई जीव-जंतुओं का विनाश हुआ है. या तो वो इस धरती पर है या फिर उनकी प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं. 17वीं शताब्दी से पहले इस धरती पर डोलो नाम के पक्षी रहा करते थे. मगर इंसानों के कारण वो धरती से बिलुप्त हो चुके हैं. हालांकि एक कंपनी ने दावा किया है कि वो धरती पर फिर से डोलो पक्षी को ज़िंदा कर सकते हैं. इस खबर के बाद लोगों को इस विशालकाय पक्षी के बारे में उत्सुकता बढ़ी है.

कोलोसल बायोसाइंसेज (Colossal Biosciences) नाम की एक कंपनी जीन तकनीक पर काम करती है. कंपनी के सीईओ और संस्थापक बेन लैम का कहना है कि वो डोलो पक्षी को ज़िंदा करना चाह रहे हैं. इस पर उनकी कंपनी काम कर रही है. उनका मानना है कि इंसानों के कारण डोलो पक्षी खत्म हुए हैं. कंपनी के सीईओ का मानना है कि वो और उनकी टीम इस दिशा में काम कर रहे हैं.

DW की एक रिपोर्ट के अनुसार, डोडो पक्षी 17वीं सदी तक भी दुनिया में मौजूद था. यह धरती पर रहने वाला पक्षी था. उड़ नहीं सकता था. आकार में ये टर्की की तरह था. जानकारी के मुताबिक, 1681 में डोलो पक्षी का आखिरी शिकार मॉरिशस देश में किया गया था.

कोलोसल बायोसाइंसेज (Colossal Biosciences) अमेरिका की एक स्टार्टअप कंपनी है, जो कई क्षेत्रों में मौजूद है. इसका काम वैज्ञानिक खोज करना है. कोलोसल की वैज्ञानिक सलाहकार टीम में शामिल एक मॉलीक्यूलर बायोलॉजिस्ट बेथ शापिरो कहती हैं कि डोडो का सबसे नजदीकी रिश्तेदार निकोबारी कबूतर है. बायोलॉजिस्ट बेथ शापिरो का मानना है कि कबूतर की जीन्स में बदलाव करके डोडो का ज़िंदा किया जा सकता है. 

कोलोसल बायोसाइंसेज (Colossal Biosciences) कंपनी ने कहा कि उसे 15 करोड़ डॉलर का निवेश मिला है. इसमें अमेरिका की कई ऐसी कंपनियां हैं, जो विज्ञान में बदलाव चाहती हैं.

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