Teachers' Day 2018: पढ़िए Sarvepalli radhakrishnan से जुड़े 3 किस्से.
शिक्षक दिवस (Teachers' Day 2018) 5 सितंबर को मनाया जाता है. भारत के पहले राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Sarvepalli radhakrishnan) के जन्मदिन पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है. उनका जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था. गूगल (Google) ने डूडल (Google Doodle) के जरिए सर्वपल्ली राधाकृष्णन का बर्थडे सेलीब्रेट कर रहा है. उनका जन्मदिन (5 September) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. वो भारत के दूसरे राष्ट्रपति भी रहे. राष्ट्रपति और दो बार उपराष्ट्रपति का पद सुशोभित करने वाले सर्वपल्ली राधाकृष्णन बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के वर्ष 1939 से 1948 तक वाइस चांसलर भी रहे. 5 सिंतबर को शिक्षक से भारत के राष्ट्रपति तक का पद संभालने वाले डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 131वीं जयंति है. ऐस मौके पर हम आपको पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन से जुड़ी एक किस्सा बता रहे हैं जो शायद आपने पहले नहीं सुनी होगी.
Teachers' Day 2018: 5 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस?
जब माओ के थपथपाए थे गाल
साल 1957 का वाक्या है. भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन चीन के दौरे पर गए थे. उस वक्त माओ चीन के प्रसिद्ध नेता थे, या यूं कहें कि उस देश की राजनीति इन्हीं के इर्द-गिर्द घुम रही थी. माओ ने राधाकृष्णन को मिलने के लिए अपने घर पर आमंत्रित किया. राधाकृष्णन कुछ भारतीय अधिकारियों के साथ माओ से मिलने उनके घर चुग नान हाई पहुंचे. यहां माओ उनकी अगवानी के लिए अपने आंगन में खड़े थे. आंगन में दाखिल होते ही दोनों नेताओं ने आपस में हाथ मिलाया. इसके बाद राधाकृष्णन ने माओ के गाल को थपथपा दिए. इस बर्ताव पर माओ के कुछ बोलने से पहले राधाकृष्णन ने ऐसी बात कह दी कि शायद वे चाहकर भी कुछ नहीं कह सके. गाल थपथपाने के बाद सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने माओ से कहा, 'अध्यक्ष महोदय, परेशान मत होइए. मैंने यही स्टालिन और पोप के साथ भी किया है.'
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वेजीटेरियन राधाकृष्णन की थाली में माओ ने डाला मांसाहार खान
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के इसी चीन यात्रा से जुड़ा एक और वाक्या बेहद रोचक है. बताया जाता है कि माओ और राधाकृष्णन एक साथ बैठकर भोजन कर रहे थे. तभी माओ ने खाते-खाते बहुत अपनापन दर्शाने के लिए चॉपस्टिक से अपनी प्लेट से खाने का एक कौर उठा कर राधाकृष्णन की प्लेट में रख दिया. दिलचस्प बात यह है कि माओ को नहीं पता था कि राधाकृष्णन पूरी तरीके से शाकाहारी हैं. माओ के इस प्यार का राधाकृष्णन ने भी सम्मान किया. उन्होंने ऐसा माओ को अहसास नहीं होने दिया कि उन्होंने कोई गलती की है.
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राधाकृष्णन की कटी अंगुली देखकर द्रवित हो गए माओ
राधाकृष्णन और माओ से जुड़ा एक और किस्सा बेहद रोचक है. चीन यात्रा पर जाने से पहले राधाकृष्णन कंबोडिया गए थे. यहां उनके साथ गए सहयोगी की गलती के चलते कार के दरवाजे से राधाकृष्णन की अंगुली की हड्डी टूट गई थी. राधाकृष्णन जब चीन पहुंचकर माओ से मिले तो उनकी नजर अंगुली पर गई. उन्होंने पहले तत्काल अपने डॉक्टर को बुलाकर उसका मलहम-पट्टी कराया. इसी दौरान उन्होंने उनसे अंगुली के चोटिल होने की वजह जानी.
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जब माओ के थपथपाए थे गाल
साल 1957 का वाक्या है. भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन चीन के दौरे पर गए थे. उस वक्त माओ चीन के प्रसिद्ध नेता थे, या यूं कहें कि उस देश की राजनीति इन्हीं के इर्द-गिर्द घुम रही थी. माओ ने राधाकृष्णन को मिलने के लिए अपने घर पर आमंत्रित किया. राधाकृष्णन कुछ भारतीय अधिकारियों के साथ माओ से मिलने उनके घर चुग नान हाई पहुंचे. यहां माओ उनकी अगवानी के लिए अपने आंगन में खड़े थे. आंगन में दाखिल होते ही दोनों नेताओं ने आपस में हाथ मिलाया. इसके बाद राधाकृष्णन ने माओ के गाल को थपथपा दिए. इस बर्ताव पर माओ के कुछ बोलने से पहले राधाकृष्णन ने ऐसी बात कह दी कि शायद वे चाहकर भी कुछ नहीं कह सके. गाल थपथपाने के बाद सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने माओ से कहा, 'अध्यक्ष महोदय, परेशान मत होइए. मैंने यही स्टालिन और पोप के साथ भी किया है.'
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डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के इसी चीन यात्रा से जुड़ा एक और वाक्या बेहद रोचक है. बताया जाता है कि माओ और राधाकृष्णन एक साथ बैठकर भोजन कर रहे थे. तभी माओ ने खाते-खाते बहुत अपनापन दर्शाने के लिए चॉपस्टिक से अपनी प्लेट से खाने का एक कौर उठा कर राधाकृष्णन की प्लेट में रख दिया. दिलचस्प बात यह है कि माओ को नहीं पता था कि राधाकृष्णन पूरी तरीके से शाकाहारी हैं. माओ के इस प्यार का राधाकृष्णन ने भी सम्मान किया. उन्होंने ऐसा माओ को अहसास नहीं होने दिया कि उन्होंने कोई गलती की है.
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राधाकृष्णन की कटी अंगुली देखकर द्रवित हो गए माओ
राधाकृष्णन और माओ से जुड़ा एक और किस्सा बेहद रोचक है. चीन यात्रा पर जाने से पहले राधाकृष्णन कंबोडिया गए थे. यहां उनके साथ गए सहयोगी की गलती के चलते कार के दरवाजे से राधाकृष्णन की अंगुली की हड्डी टूट गई थी. राधाकृष्णन जब चीन पहुंचकर माओ से मिले तो उनकी नजर अंगुली पर गई. उन्होंने पहले तत्काल अपने डॉक्टर को बुलाकर उसका मलहम-पट्टी कराया. इसी दौरान उन्होंने उनसे अंगुली के चोटिल होने की वजह जानी.
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