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This Article is From Dec 25, 2017

स्मार्ट सिटी में स्ट्रीट लाइटें रखेंगी संदिग्ध हरकतों पर नजर, मौसम का हाल भी बताएंगी

आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस से बहुउपयोगी स्ट्रीट लाइटों को बहुउपयोगी बनाने का प्रस्ताव केन्द्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने आगे बढ़ाया

स्मार्ट सिटी में स्ट्रीट लाइटें रखेंगी संदिग्ध हरकतों पर नजर, मौसम का हाल भी बताएंगी
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली: स्मार्ट सिटी परियोजना में शामिल देश के शहरों में स्ट्रीट लाइटें सिर्फ सड़कों को रोशन ही नहीं करेंगी बल्कि हर संदिग्ध गतविधि की खबर पुलिस को पहुंचाएंगी. यही नहीं स्ट्रीट लाइट के खंभे हर इलाके के मौसम का रियल टाइम अपडेट भी देंगे. इन शहरों को अत्याधुनिक तकनीक से लैस कर नागरिक सुविधाओं और सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए सरकार कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस) को मुख्य हथियार बनाने जा रही है.

इसके लिए बिजली के खंभे को सिर्फ अंधेरी राहों को रोशन करने के बजाय एआई के माध्यम से बहुउपयोगी बनाने के प्रस्ताव को केन्द्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने आगे बढ़ाया है. हाल ही में ‘‘अर्बन मिशन’’ पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में ब्राजील की तर्ज पर भारत में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत विकसित होने वाले शहरों में इस तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर सहमित बनी है. ब्राजील में इस परियोजना को अंजाम देने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी पोलसेक द्वारा एलईडी लाइट युक्त स्ट्रीट लाइट को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) से लैस करने के प्रयोग को कार्यशाला में प्रतिभागी राज्यों ने अपनाने में रुचि दिखाई है.

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आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी ने कार्यशाला में स्मार्ट सिटी परियोजना के हिस्सेदार राज्यों से एआई को शहरों में नागरिक सुविधाएं और सुरक्षा सुनिश्चित करने का हथियार बनाने का प्रस्ताव रखा. पुरी ने बताया कि ब्राजील में स्ट्रीट लाइट के मार्फत एआई के सफल प्रयोग को भारत में स्मार्ट शहरों के विकास में संबद्ध राज्य सरकारें लागू कर सकती हैं. मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि एआई युक्त स्ट्रीट लाइट के ब्राजील के इस प्रयोग को भारत में अपनाने संबंधी सभी पहलुओं के परीक्षण के बाद मंत्रालय द्वारा सभी राज्य सरकारों को यह तकनीक अपनाने का प्रस्ताव भेजा जा रहा है. स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत केन्द्र सरकार राज्यों को सिर्फ सहायता राशि और अंतरराष्ट्रीय तकनीकी सहयोग के विभिन्न विकल्प मुहैया कराती है. इच्छुक राज्य सरकार ब्राजील की इस तकनीक को केन्द्र सरकार के माध्यम से लागू कर सकेंगी.

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कार्यशाला में इसकी खूबियां गिनाते हुए पोलसेक के प्रतिनिधि ने बताया कि स्ट्रीट लाइट में खास तौर से तैयार एलईडी लाइट को मोबाइल एप आधारित आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस सॉफ्टवेयर से जोड़ा जा सकेगा. इससे 24 घंटे कार्यरत रहने वाले साफ्टवेयर के माध्यम से प्रत्येक स्ट्रीट लाइट का एक आईडी कोड होगा, जो शहर के केन्द्रीय पुलिस नियंत्रण कक्ष से जुड़ा होगा. स्ट्रीट लाइट में गुप्त कैमरा निश्चित दूरी तक के क्षेत्र की निगरानी करेगा और किसी भी संदिग्ध गतिविधि को एआई सॉफ्टवेयर खुद ब खुद पहचान कर पुलिस नियंत्रण कक्ष को आगाह कर देगा. इतना ही नहीं पुलिस गुमशुदा व्यक्तियों या फरार संदिग्ध अपराधियों की तस्वीर या रेखाचित्र नियंत्रण कक्ष से एआई सॉफ्टवेयर में अपलोड कर स्ट्रीट लाइट के कैमरों के माध्यम से इन लोगों तक पहुंच सकेगी. स्ट्रीट लाइट में लगा एआई आधारित फोटोइलेक्ट्रिक सेंसर युक्त कैमरा गुमशुदा या फरार आरोपी की तस्वीर से मिलती जुलती शक्ल वालों के गुजरने पर उनकी तस्वीर लेकर पुलिस नियंत्रण कक्ष को भेज कर जीपीएस के माध्यम से उनकी लोकेशन बता देगा. इससे न सिर्फ पुलिस का काम आसान होगा बल्कि स्थानीय सुरक्षा को पुख्ता करने में भी मदद मिलेगी.

उन्होंने बताया कि एआई आधारित सेंसर युक्त स्ट्रीट लाइट का पांच स्तरीय बहुउपयोग सुनिश्चित करने के लिए इसमें मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए इन्हें तापमान और आद्रता मापक सेंसर, माइक्रोफोन, लाउडस्पीकर और वाईफाई से भी लैस किया गया है. इसमें तापमान और आद्रता सेंसर से मौसम और हवा की गुणवत्ता का रियल टाइम डाटा हर पल सुरक्षित कर संबद्ध इलाके में प्रदूषण उपायों को दुरुस्त किया जा सकेगा. साथ ही इलाके में सरकारी या गैरसरकारी स्तर पर चल रहे विकास कार्यों के अलावा वैध अथवा अवैध निर्माण कार्यों पर निगरानी रखी जा सकेगी.

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उल्लेखनीय है कि स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत एक दिसंबर तक चार दौर में चली चयन प्रक्रिया के दौरान सभी राज्यों के 90 शहरों को चयनित किय जा चुका है. इनमें स्मार्ट सिटी के विकास से जुड़ी 2855 परियरेजनाओं के लिए इन शहरों को 135459 करोड़ रुपये मंत्रालय द्वारा जारी किए गए हैं. इनमें से 1872 करोड़ रुपये की लागत वाली 147 परियोजनाएं पूरी कर ली गई हैं, 396 परियोजनाओं पर काम जारी है और 283 परियोजनायें निविदा प्रक्रिया के दौर में हैं.
(इनपुट भाषा से)

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