
वाशिंगटन:
किशोरों में 'सेक्सटिंग', यानि अश्लील तस्वीरों और संदेशों का फोन के जरिये आदान-प्रदान, बेरोकटोक जारी है... और सिर्फ इतना ही नहीं, एक नये अध्ययन के अनुसार ये किशोर पकड़े जाने के बाद होने वाली कानूनी कार्रवाइयों के बारे में जानने के बावजूद गन्दी, अश्लील सामग्री भेजने से बाज़ नहीं आते...
उटाह विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि लगभग 20 प्रतिशत किशोरों ने स्वीकार किया कि वह 'सेक्सटिंग' करते हैं... आमतौर पर फोन में टाइप कर एसएमएस या टेक्स्ट संदेश भेजने को 'टेक्सटिंग' कहा जाता है, जिसके आधार पर ही यह नया शब्द 'सेक्सटिंग' चला है...
'आर्काइव्स ऑफ सेक्सुअल बिहेवियर' पत्रिका में प्रकाशित हुए इस अध्ययन में शोधकर्ता दल के प्रमुख डोनाल्ड स्ट्रॉसबर्ग ने कहा कि उनके दल ने दक्षिण-पश्चिम अमेरिका के एक निजी हाईस्कूल के 606 छात्रों का सर्वेक्षण किया और उनसे 'सेक्सटिंग' के उनके अनुभवों के बारे में पूछा गया।
साथ ही उनसे यह भी पूछा गया कि क्या वह जानते हैं कि पकड़े जाने पर उनके साथ क्या हो सकता है... इस पर लगभग 20 प्रतिशत छात्रों, जिनमें लड़के और लड़कियां दोनों ही शामिल थे, ने स्वीकार किया कि वह 'सेक्सटिंग' करते हैं... इनके अलावा औसतन 40 प्रतिशत छात्रों के मुताबिक उन्हें अपने सेलफोन (मोबाइल फोन) पर कभी न कभी ऐसी तस्वीरें मिली हैं...
लड़कों में जहां ऐसी तस्वीरें रिसीव करने वाले 50 प्रतिशत थे, वहीं 31 प्रतिशत लड़कियों ने भी इसे स्वीकारा... 'सेक्सटिंग' प्राप्त करने वालों में से लगभग 25 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि उन्होंने भी ये अश्लील फोटो दूसरों को भेजें... अध्ययन का एक तथ्य बेहद उल्लेखनीय है कि लगभग एक तिहाई छात्र पकड़े जाने के बाद होनी वाली कानूनी कार्रवाई के बारे में जानते हैं, लेकिन फिर भी वे बाज़ नहीं आते...
उटाह विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि लगभग 20 प्रतिशत किशोरों ने स्वीकार किया कि वह 'सेक्सटिंग' करते हैं... आमतौर पर फोन में टाइप कर एसएमएस या टेक्स्ट संदेश भेजने को 'टेक्सटिंग' कहा जाता है, जिसके आधार पर ही यह नया शब्द 'सेक्सटिंग' चला है...
'आर्काइव्स ऑफ सेक्सुअल बिहेवियर' पत्रिका में प्रकाशित हुए इस अध्ययन में शोधकर्ता दल के प्रमुख डोनाल्ड स्ट्रॉसबर्ग ने कहा कि उनके दल ने दक्षिण-पश्चिम अमेरिका के एक निजी हाईस्कूल के 606 छात्रों का सर्वेक्षण किया और उनसे 'सेक्सटिंग' के उनके अनुभवों के बारे में पूछा गया।
साथ ही उनसे यह भी पूछा गया कि क्या वह जानते हैं कि पकड़े जाने पर उनके साथ क्या हो सकता है... इस पर लगभग 20 प्रतिशत छात्रों, जिनमें लड़के और लड़कियां दोनों ही शामिल थे, ने स्वीकार किया कि वह 'सेक्सटिंग' करते हैं... इनके अलावा औसतन 40 प्रतिशत छात्रों के मुताबिक उन्हें अपने सेलफोन (मोबाइल फोन) पर कभी न कभी ऐसी तस्वीरें मिली हैं...
लड़कों में जहां ऐसी तस्वीरें रिसीव करने वाले 50 प्रतिशत थे, वहीं 31 प्रतिशत लड़कियों ने भी इसे स्वीकारा... 'सेक्सटिंग' प्राप्त करने वालों में से लगभग 25 प्रतिशत छात्रों ने कहा कि उन्होंने भी ये अश्लील फोटो दूसरों को भेजें... अध्ययन का एक तथ्य बेहद उल्लेखनीय है कि लगभग एक तिहाई छात्र पकड़े जाने के बाद होनी वाली कानूनी कार्रवाई के बारे में जानते हैं, लेकिन फिर भी वे बाज़ नहीं आते...
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
सेक्सटिंग, अश्लील संदेश, अश्लील एसएमएस, Dirty SMS, Dirty Messaging, Sexting, Research On Sexting, सेक्सटिंग पर अध्ययन