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संसद पर हमला मामले में दोषी करार दिए गए जैश-ए-मोहम्मद आतंकी अफजल गुरु को शनिवार को उच्च सुरक्षा वाले तिहाड़ जेल में फांसी देने से जुड़े अति गोपनीय अभियान का कूट नाम ‘ऑपरेशन थ्री स्टार’ रखा गया था।
यह अभियान 4 फरवरी को शुरू किया गया था जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरु की दया याचिका को खारिज करते हुए उसे फांसी दिए जाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया था।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि गृहमंत्रालय और तिहाड़ जेल के कुछ गिने चुने अधिकारियों को इस अभियान के बारे में जानकारी थी और इस मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए इसे अति गोपनीय रखा गया था। इस अभियान में शामिल सभी लोगों ने गोपनीयता बरकरार रखी।
उत्तरी कश्मीर के सोपोर के निवासी गुरु को शनिवार की सुबह आठ बजे फांसी दी गई और तिहाड़ जेल परिसर में दफनाया गया।
अभियान के तहत 6 फरवरी के मजिस्ट्रेट से सम्पर्क किया गया ताकि गुरु को फांसी दिए जाने के लिए ब्लैक वारंट प्राप्त किया जा सके।
तिहाड़ जेल को 6 फरवरी की रात साढ़े ग्यारह बजे ब्लैक वारंट की प्रति प्राप्त हुई और अधिकारियों को 7 फरवरी की मध्य रात्रि को 12 बजकर 10 मिनट पर गुरु को भेजे जाने के लिए पत्र प्राप्त हुआ। पत्र परिवार को 7 फरवरी की सुबह को भेजा गया जिसमें फांसी का समय और तारीख दर्ज थी।
इस बारे में जानकारी देने के लिए 6 फरवरी की तिथि का पत्र 7 फरवरी की सुबह ही भेज दिया गया था लेकिन यह परिवार को सोमवार की सुबह मिला।
अजमल कसाब को फांसी दिए जाने के अभियान का कूट नाम ऑपरेशन ‘एक्स’ था और उसे 21 नवंबर 2012 को पुणे के यरवदा जेल में फांसी दी गई थी।
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