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This Article is From Sep 19, 2011

कार्यवाही रोकने के लिए मोदी ने दी थी वकीलों को रिश्वत : साराभाई

साराभाई ने नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि गुजरात दंगों पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल उनकी एक जनहित याचिका पर कार्यवाही बाधित करने के लिए मोदी ने उनके वकीलों को रिश्वत देने के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल किया।
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अहमदाबाद: जानीमानी नृत्यांगना मल्लिका साराभाई ने रविवार को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि वर्ष 2002 के गुजरात दंगों पर उच्चतम न्यायालय में दाखिल उनकी एक जनहित याचिका पर कार्यवाही बाधित करने के लिए मोदी ने उनके वकीलों को रिश्वत देने के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल किया। साराभाई ने अप्रैल 2002 में एक जनहित याचिका दाखिल की जिसमें उन्होंने दलील दी थी कि राज्य में 2002 के दंगों में प्रदेश प्रशासन और मोदी की मिलीभगत थी। उन्होंने आरोप लगाया, मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीक प्रदेश खुफिया ब्यूरो प्रमुख आर बी श्रीकुमार और एक अन्य आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट, जो उस वक्त एसआईबी में उप प्रमुख थे, को बुलाया और उनसे मेरे वकीलों को उच्चतम न्यायालय में दाखिल मेरी जनहित याचिका पर कार्यवाही रोकने के लिए 10 लाख रुपये देने को कहा था। साराभाई ने मीडिया को उस हलफनामे की प्रति भी मुहैया कराई जो श्रीकुमार ने दंगों की जांच कर रहे जी टी नानावटी तथा अक्षय मेहता आयोग को हाल ही में दी थी। उन्होंने आरोप लगाया, पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट ने भी मई में नानावटी आयोग के समक्ष गवाही देते हुए कहा था कि नरेंद्र मोदी ने उन्हें वकीलों को रिश्वत देने के लिए गोपनीय सेवाओं का धन इस्तेमाल करने का निर्देश दिया था। साराभाई ने कहा, उसके बाद मैं :नानावटी: आयोग के पास गयी और उनसे पूछा कि क्या मैं संजीव भट्ट से जिरह कर सकती हूं और उस वक्त संजीव भट्ट का आला अधिकारी कौन था और क्या श्रीकुमार भी शामिल थे। साराभाई ने कहा, आयोग ने मुझसे इनकार कर दिया और तब मैंने उनसे पत्र लिखकर कहा कि श्रीकुमार को इस बारे में हलफनामा दाखिल करने के लिए कहना चाहिए। आयोग ने मुझे इजाजत दे दी और मैंने आयोग की तरफ से श्रीकुमार से हलफनामा दाखिल करने का अनुरोध किया, जो उन्होंने शुक्रवार को दाखिल किया। उन्होंने आरोप लगाया कि श्रीकुमार के हलफनामे में जो बात सामने आई है वह न केवल चौंकाने वाली बल्कि आपराधिक गतिविधि की ओर इशारा करती है। यह अदालत की अवमानना भी है। श्रीकुमार द्वारा दाखिल हलफनामे के तथ्यों का जिक्र करते हुए साराभाई ने कहा, श्रीकुमार द्वारा आईबी के प्रमुख का पद संभालने के एक दिन बाद और उच्चतम न्यायालय में मेरी जनहित याचिका दाखिल किये जाने के कुछ दिन बाद संजीव भट्ट और श्रीकुमार को मुख्यमंत्री कार्यालय बुलाया गया। हलफनामे का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, श्रीकुमार के हलफनामे के अनुसार जैसे ही वे मुख्यमंत्री कार्यालय में घुसे तो मोदी ने उनसे पूछा कि क्या आप मल्लिका साराभाई के मामले के बारे में जानते हैं। श्रीकुमार ने कहा कि नहीं मैं नहीं जानता। उन्होंने कहा, तो मुख्यमंत्री ने कहा कि जो जनहित याचिका उन्होंने दाखिल की है वह सरकार के लिए बहुत खतरनाक है और मैंने 10 लाख रुपये मंजूर किये हैं जो इसे रोक सकते हैं, संजीव भट्ट इस बारे में जानते हैं, कृपया अपने गुप्त कोष से उन्हें 10 लाख रुपये दें। साराभाई ने कहा, इस पर श्रीकुमार ने कहा कि गुप्त कोष में कोई धन नहीं है। तब मुख्यमंत्री ने उनसे कहा, मैं देखूंगा कि मुख्य सचिव इस धन का बंदोबस्त करें और संजीव को इस बारे में सारी जानकारी है।

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