
Russian woman in Karnataka cave: रूस की नीना कुटिना (Nina Kutina) की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं लगती. गोकर्ण की एक गुफा में दो बेटियों संग रह रही इस महिला को जब पुलिस ने 'रेस्क्यू' किया, तो सोशल मीडिया पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आने लगीं, लेकिन खुद नीना ने जो सच्चाई बताई, वो चौंकाने वाली भी है और सोचने पर मजबूर भी कर देती है.
कर्नाटक के जंगल में गुफा में रह रही थी रूसी महिला (Russian Woman Rescued From Gokarna cave)
नीना कहती हैं, लोग झूठी बातें फैला रहे हैं. मेरी बेटियां बिल्कुल स्वस्थ हैं. हमने जंगल में नहीं, प्रकृति की गोद में जिया. वहां एक सुंदर गुफा थी, समुद्र दिखता था, पास ही गांव था, खाना अच्छा बनता था और कला सिखाई जाती थी. उन्होंने बताया कि उनकी बेटियां पहली बार अस्पताल गईं और डॉक्टरों ने उन्हें एकदम स्वस्थ बताया. नीना ने भावुक होकर कहा कि उनके शरीर में कोई दर्द नहीं, कोई बीमारी नहीं. कभी बीमार भी नहीं पड़ीं.
#WATCH | Bengaluru | Russian national Nina Kutina, who was found living with her two daughters in a remote cave near Gokarna in Karnataka, says, "We have a lot of experience staying in nature and we were not dying. I did not bring my children to die in the jungle...We used to… pic.twitter.com/iY0Bi8I6xb
— ANI (@ANI) July 14, 2025
गुफा में रहने वाली महिला की भावुक दास्तां (russian woman with two children in cave)
उनकी कहानी सिर्फ 'स्पिरिचुअलिटी' या सन्यास की नहीं है, बल्कि एक ऐसे जीवन की है जो घरों की दीवारों से बाहर खुली हवा में सांस लेना चाहता है. नीना ने बताया कि वे 20 से ज्यादा देशों में रह चुकी हैं. कोस्टा रिका, थाईलैंड, बाली, नेपाल, यूक्रेन...हर जगह उन्होंने जंगल में रहना पसंद किया, क्योंकि प्रकृति सबसे बड़ी हीलर है. गुफा में उन्होंने बच्चों को पेंटिंग, क्ले आर्ट, पढ़ना-लिखना और जीवन जीने की कला सिखाई. हमने हर दिन कुछ नया बनाया, सीखा. खाना गैस पर बनता था, स्वादिष्ट होता था, सब कुछ था हमारे पास. हम बस अलग तरह से जी रहे थे.
पागल नहीं हूं…मेरे बच्चे प्रकृति में खुश थे (Russian woman Nina Kutina)
जब वीज़ा विवाद पर सवाल उठे तो नीना ने कहा कि, हमारा वीज़ा हाल ही में एक्सपायर हुआ, 2017 वाली बात झूठ है. हम बीच में भारत से बाहर भी गए थे. उनकी इस कहानी में एक मां की जिद, प्रकृति से प्रेम और आज़ादी की गूंज साफ सुनाई देती है. शायद ये कहानी बताती है कि जिंदगी की किताब में हर कोई एक ही पन्ना नहीं पढ़ता. कोई शहर की चकाचौंध में सुकून ढूंढ़ता है, तो कोई जंगल की शांति में घर बसा लेता है.
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