पुणे:
हमारे समाज में शादी नहीं करने वाली लड़कियों के साथ भेदभाव घट तो हो रहा है, लेकिन इसे पूरी तरह खत्म होने में अभी वक्त लगेगा. जो लोग लड़कियों की शादी को अनिवार्य समझते हैं, उनके सामने पुणे की एक महिला मिसाल पेश कर रही हैं. 79 साल की इस महिला ने अब तक शादी नहीं की है और वह अपने इस फैसले से खुश हैं. उन्हें खुशी है कि उन्होंने अपने जीवन को अपने तरीके से जीया. वही सारे काम किए, जिसमें उनका दिल लगता था.
'ह्यूमन ऑफ इंडिया' फेसबुक अकाउंट से इस महिला की कहानी को दुनिया के सामने पेश किया गया है. वो कहती हैं, 'मैंने इसलिए शादी नहीं की क्योंकि मेरे जमाने में लड़का चाय के बहाने लड़की पसंद करने आता था. ये बात मुझे पसंद नहीं थी. मैंने अपने पिता से कहा कि मैं इस तरह से शादी नहीं कर सकती. मैंने बिना झिझक के ईमानदारी से उनके सामने अपनी बात रख दी, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया.'
इसके बाद वह अपने कुछ चाहने वालों से मिलीं. फिर मेरे पिता ने मुझसे कभी भी कुछ नहीं कहा. इस दौरान उनके कई सामाजिक संपर्क बन गए थे.
उन्होंने बताया कि वह अपनी इच्छा से पिछले 16 साल से ट्रैफिक नियंत्रित करती हैं. वो कहती हैं कि पुणे में ट्रैफिक की हालत बेहद खराब है, इसलिए वह इस काम में पुलिस की मदद करती हैं. वह बताती हैं कि इस दौरान उन्होंने 'निराधार' संस्था के साथ काम करना शुरू किया. साल 2000 में उन्होंने 'स्कूलगेट वॉलेंटियर्स' योजना शुरू की. इसके तहत स्कूल खुलने और बंद होने के दौरान ट्रैफिक नियंत्रित किया जाता है.
वह कहती हैं कि आज भले ही 79 साल की हो गई हैं, लेकिन वो शरीर के साथ देने तक ये सारे काम जारी रखेंगी. उन्हें ड्राइविंग करना बेहद पसंद है. उन्होंने बताया कि 1970 में पहली बार उन्होंने स्कूटर रैली में हिस्सा लिया था. कई प्रतियोगिताओं में उन्होंने पुरस्कार भी जीते. मुंबई और नागपुर में आयोजित कई रैलियों में भी हिस्सा लिया.
अपने अनुभव को साझा करते हुए वह कहती हैं कि उस जमाने में वेस्पा स्कूटर से 896 किलोमीटर की यात्रा करने वाली वह भारत की पहली प्रतीभागी थीं. उन्होंने 1934 मॉडल के आस्टिन जीप से अपने ड्राइविंग के शौक को पूरा किया है. वह विदर्भ, मुंबई हैदराबाद तक ड्राइविंग कर चुकी हैं. उनकी अपनी एक एंबेसडर कार भी है.
इस महिला की जिंदगी खुले ख्यालों की लड़कियों के लिए मिसाल है. वो कहती हैं कि जीवन को अपने तरीके से जीयो, शादी लड़की अंतिम लक्ष्य नहीं है.
'ह्यूमन ऑफ इंडिया' फेसबुक अकाउंट से इस महिला की कहानी को दुनिया के सामने पेश किया गया है. वो कहती हैं, 'मैंने इसलिए शादी नहीं की क्योंकि मेरे जमाने में लड़का चाय के बहाने लड़की पसंद करने आता था. ये बात मुझे पसंद नहीं थी. मैंने अपने पिता से कहा कि मैं इस तरह से शादी नहीं कर सकती. मैंने बिना झिझक के ईमानदारी से उनके सामने अपनी बात रख दी, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया.'
इसके बाद वह अपने कुछ चाहने वालों से मिलीं. फिर मेरे पिता ने मुझसे कभी भी कुछ नहीं कहा. इस दौरान उनके कई सामाजिक संपर्क बन गए थे.
उन्होंने बताया कि वह अपनी इच्छा से पिछले 16 साल से ट्रैफिक नियंत्रित करती हैं. वो कहती हैं कि पुणे में ट्रैफिक की हालत बेहद खराब है, इसलिए वह इस काम में पुलिस की मदद करती हैं. वह बताती हैं कि इस दौरान उन्होंने 'निराधार' संस्था के साथ काम करना शुरू किया. साल 2000 में उन्होंने 'स्कूलगेट वॉलेंटियर्स' योजना शुरू की. इसके तहत स्कूल खुलने और बंद होने के दौरान ट्रैफिक नियंत्रित किया जाता है.
वह कहती हैं कि आज भले ही 79 साल की हो गई हैं, लेकिन वो शरीर के साथ देने तक ये सारे काम जारी रखेंगी. उन्हें ड्राइविंग करना बेहद पसंद है. उन्होंने बताया कि 1970 में पहली बार उन्होंने स्कूटर रैली में हिस्सा लिया था. कई प्रतियोगिताओं में उन्होंने पुरस्कार भी जीते. मुंबई और नागपुर में आयोजित कई रैलियों में भी हिस्सा लिया.
अपने अनुभव को साझा करते हुए वह कहती हैं कि उस जमाने में वेस्पा स्कूटर से 896 किलोमीटर की यात्रा करने वाली वह भारत की पहली प्रतीभागी थीं. उन्होंने 1934 मॉडल के आस्टिन जीप से अपने ड्राइविंग के शौक को पूरा किया है. वह विदर्भ, मुंबई हैदराबाद तक ड्राइविंग कर चुकी हैं. उनकी अपनी एक एंबेसडर कार भी है.
इस महिला की जिंदगी खुले ख्यालों की लड़कियों के लिए मिसाल है. वो कहती हैं कि जीवन को अपने तरीके से जीयो, शादी लड़की अंतिम लक्ष्य नहीं है.
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