सोफिया ने सुरक्षा घेरा तोड़कर पोप को अपनी चिट्ठी थमाई (फोटो सौजन्य : एपी)
वॉशिंगटन:
एक 5 साल की बच्ची ने पोप फ्रांसिस से मिलने के लिए जो हिम्मत दिखाई उसके चर्चे दुनिया भर में हो रहे हैं। अमेरिका के वॉशिंगटन शहर में जब पोप को देखने के लिए हज़ारों की भीड़ उमड़ पड़ी थी, तब सोफिया क्रूज़ नाम की एक छोटी बच्ची ने सुरक्षा घेरे की चिंता किए बगैर अपनी बात पोप तक पहुंचा दी।
सीक्रेट सर्विस एजेंट को दरकिनार करके सोफिया बैरियर पर चढ़कर पोप की तरफ बढ़ने लगी तभी सुरक्षा गार्ड ने उसे धर लिया लेकिन तब तक पोप की नज़र उस बच्ची तक पड़ चुकी थी। उन्होंने सोफिया को अपने पास बुलाया, उसे चूमा और गले लगा लिया। यह देखकर लोग काफी उत्साहित हो गए थे और इसी बीच सोफिया ने अपनी चिट्ठी भी पोप के हवाले कर दी।
सोफिया की चिट्ठी...
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक सोफिया ने इस चिट्ठी के ज़रिए पोप से निवेदन किया है कि वह अमेरिका में बिना दस्तावेज़ के रहने वाले प्रवासियों को वैध घोषित करने की मुहीम का समर्थन करें। ब्रिटेन के अख़बार गार्डियन ने इस बच्ची से बात की जिसमें उसने कहा कि चिट्ठी में लिखा हर एक शब्द उसे अंग्रेज़ी और स्पैनिश में कंठस्थ है।
अपने माता-पिता के बारे में बात करते हुए सोफिया ने कहा 'मैं आपको बताना चाहती हूं कि मेरा दिल बहुत दुखी है। मेरे पिता जैसे कई प्रवासी इस देश के लिए काम करते हैं। उन्हें मर्यादा और सम्मान के साथ जीने का हक़ है। वह अप्रवासी सुधार का हक़ रखते हैं।'
सीक्रेट सर्विस एजेंट को दरकिनार करके सोफिया बैरियर पर चढ़कर पोप की तरफ बढ़ने लगी तभी सुरक्षा गार्ड ने उसे धर लिया लेकिन तब तक पोप की नज़र उस बच्ची तक पड़ चुकी थी। उन्होंने सोफिया को अपने पास बुलाया, उसे चूमा और गले लगा लिया। यह देखकर लोग काफी उत्साहित हो गए थे और इसी बीच सोफिया ने अपनी चिट्ठी भी पोप के हवाले कर दी।
सोफिया की चिट्ठी...
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक सोफिया ने इस चिट्ठी के ज़रिए पोप से निवेदन किया है कि वह अमेरिका में बिना दस्तावेज़ के रहने वाले प्रवासियों को वैध घोषित करने की मुहीम का समर्थन करें। ब्रिटेन के अख़बार गार्डियन ने इस बच्ची से बात की जिसमें उसने कहा कि चिट्ठी में लिखा हर एक शब्द उसे अंग्रेज़ी और स्पैनिश में कंठस्थ है।
अपने माता-पिता के बारे में बात करते हुए सोफिया ने कहा 'मैं आपको बताना चाहती हूं कि मेरा दिल बहुत दुखी है। मेरे पिता जैसे कई प्रवासी इस देश के लिए काम करते हैं। उन्हें मर्यादा और सम्मान के साथ जीने का हक़ है। वह अप्रवासी सुधार का हक़ रखते हैं।'
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