Google ने एक खूबसूरत फ्लोरल डूडल के साथ सभी को नवरोज़ (Nowruz) की शुभकामनाएं दीं. आज का डूडल इस प्राचीन अवकाश पर प्रकाश डालता है जो वसंत की शुरुआत का प्रतीक है. पुनर्जन्म के मौसम का जश्न मनाने के लिए प्रत्येक वर्ष इस दिन दुनिया भर में 300 मिलियन से अधिक लोग इकट्ठा होते हैं.
डूडल, जिसमें ट्यूलिप, जलकुंभी, डैफोडिल्स और मधुमक्खी ऑर्किड जैसे वसंत के फूल हैं, पूरी तरह से नवरोज़ थीम का प्रतिनिधित्व करते हैं.
यह उस समय के आसपास मनाया जाता है जब दिन लंबे होने लगते हैं, इस घटना को वसंत विषुव के रूप में जाना जाता है. भौगोलिक रूप से, त्योहार उत्तरी गोलार्ध में वसंत के आगमन का प्रतीक है और आमतौर पर 21 मार्च के आसपास होता है.
Google डूडल पेज में यह भी उल्लेख किया गया है कि संयुक्त राष्ट्र ने त्योहार को अंतर्राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया है.
New Google Doodle has been released: "Nowruz 2023" :)#google #doodle #designhttps://t.co/xifH7Yk4US pic.twitter.com/RBk49XUgmX
— Google Doodles EN (@Doodle123_EN) March 20, 2023
संयुक्त राष्ट्र नवरोज़ को अंतर्राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मान्यता देता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि परिवार मध्य पूर्व, दक्षिण काकेशस, काला सागर बेसिन और उत्तरी, पश्चिमी, मध्य और दक्षिण एशिया में इस खुशी के त्योहार को मनाते हैं.
कई संस्कृतियों में, नवरोज़ एक नए साल की शुरुआत का भी प्रतीक है - अतीत को प्रतिबिंबित करने, भविष्य के लिए इरादे तय करने और प्रियजनों के साथ संबंधों को मजबूत करने का समय. कुछ सामान्य परंपराओं में शामिल हैं: नए जीवन का सम्मान करने के लिए अंडे को सजाना, एक नई शुरुआत के लिए अपने घर को साफ करना, और वसंत ऋतु की सब्जियों और जड़ी-बूटियों का आनंद लेना.
नौरोज़ या नवरोज़ ईरानी नववर्ष का नाम है, जिसे फारसी नया साल भी कहा जाता है और मुख्यतः ईरानियों द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है. भारत में भी ऐसे ही एक और चैत्र मास प्रतिपदा को अखंड भारत में मनाया जाता है. जिसे हिंदू नववर्ष के नाम से जाना जाता है. मूलत: प्रकृति प्रेम का उत्सव है. प्रकृति के उदय, प्रफुल्लता, ताज़गी, हरियाली और उत्साह का मनोरम दृश्य पेश करता है.
प्राचीन परंपराओं व संस्कारों के साथ नवरोज़ का उत्सव न केवल ईरान ही में ही नहीं बल्कि कुछ पड़ोसी देशों में भी मनाया जाता है. इसके साथ ही कुछ अन्य नृजातीय-भाषाई समूह जैसे भारत में पारसी समुदाय भी इसे नए साल की शुरुआत के रूप में मनाते हैं. पश्चिम एशिया, मध्य एशिया, काकेशस, काला सागर बेसिन और बाल्कन में इसे 3,000 से भी अधिक वर्षों से मनाया जाता है. यह ईरानी कैलेंडर के पहले महीने (फारवर्दिन) का पहला दिन भी है.
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