प्रतीकात्मक चित्र
ढाका:
बांग्लादेश की एक अदालत ने देश के मोबाइल उपभोक्ताओं पर भारत और उपमहाद्वीप के अन्य देशों में बनी फिल्मों के गानों के रिंगटोन या वेलकम ट्यून के तौर पर किए जाने वाले इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। अदालत के इस फ़ैसले का असर बांग्लादेश के 121 मिलियन मोबाइल यूज़र्स पर पड़ सकता है।
हाईकोर्ट के इस आदेश की जानकारी न्यूज़ वेबसाइट BDNews24Online की बेवसाइट पर प्रकाशित किया गया। वेबसाइट में छपी ख़बर के अनुसार हाईकोर्ट ने भारतीय फिल्मों के गानों को ‘वैल्यू ऐडेड सर्विसेज़’ यानि VAS के तौर पर मोबाइल ऑपरेटरों द्वारा इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है।
ये फ़ैसला हाईकोर्ट के जजों फराह़ महबूब और काज़ी मोहम्मद इज़ारुल हक़ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया। याचिकाकर्ताओं के वकील मेहदी हसन चौधरी के अनुसार, 'कोर्ट ने अपना फ़ैसला ये कहते हुए सुनाया है कि, आख़िर दूसरे देशों के इन गानों के बांग्लादेश में इस्तेमाल को ग़ैरकानूनी क्यों न कहा जाए।'
चार मंत्रालयों से मांगा जवाब
मेहदी हसन चौधरी के अनुसार, 'कोर्ट ने बांग्लादेश के सांस्कृतिक मंत्रालय और सूचना मंत्रालय के साथ-साथ गृह और क़ानून मंत्रालय को इस सवाल का जवाब अगले चार हफ़्ते में देने का निर्देश दिया है।'
ये रिट-याचिका विदेशी गानों के विरोध में म्यूज़िक इंडस्ट्री ओनर एसोसिएशन के अध्यक्ष ए.के.एम आरिफ़ुर रहमान और मुख़्य सचिव एस के शाहिद अली ने जून महीने में दायर किया था।
अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए याचिकाकर्ताओं के वकील मेहदी हसन चौधरी ने कहा, 'बांग्लादेश की आयात नीति के तहत भारतीय या उपमहाद्वीप की अन्य फ़िल्मों को बांग्लादेश में नहीं दिखाया जा सकता है उसी क़ानून के तहत इन फिल्मों के गानों का रिंग-टोन और वेलकम ट्यून के तौर पर भी इस्तेमाल करना ग़ैरकानूनी होगा।'
बांग्लादेश टेलिकम्यूनिकेशन रेगुलेटरी कमिशन की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार इस साल जनवरी महीने में बांग्लादेश में मोबाइल फोन यूज़र्स की संख्या 121 मिलियन पार कर चुकी है।
हाईकोर्ट के इस आदेश की जानकारी न्यूज़ वेबसाइट BDNews24Online की बेवसाइट पर प्रकाशित किया गया। वेबसाइट में छपी ख़बर के अनुसार हाईकोर्ट ने भारतीय फिल्मों के गानों को ‘वैल्यू ऐडेड सर्विसेज़’ यानि VAS के तौर पर मोबाइल ऑपरेटरों द्वारा इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है।
ये फ़ैसला हाईकोर्ट के जजों फराह़ महबूब और काज़ी मोहम्मद इज़ारुल हक़ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया। याचिकाकर्ताओं के वकील मेहदी हसन चौधरी के अनुसार, 'कोर्ट ने अपना फ़ैसला ये कहते हुए सुनाया है कि, आख़िर दूसरे देशों के इन गानों के बांग्लादेश में इस्तेमाल को ग़ैरकानूनी क्यों न कहा जाए।'
चार मंत्रालयों से मांगा जवाब
मेहदी हसन चौधरी के अनुसार, 'कोर्ट ने बांग्लादेश के सांस्कृतिक मंत्रालय और सूचना मंत्रालय के साथ-साथ गृह और क़ानून मंत्रालय को इस सवाल का जवाब अगले चार हफ़्ते में देने का निर्देश दिया है।'
ये रिट-याचिका विदेशी गानों के विरोध में म्यूज़िक इंडस्ट्री ओनर एसोसिएशन के अध्यक्ष ए.के.एम आरिफ़ुर रहमान और मुख़्य सचिव एस के शाहिद अली ने जून महीने में दायर किया था।
अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए याचिकाकर्ताओं के वकील मेहदी हसन चौधरी ने कहा, 'बांग्लादेश की आयात नीति के तहत भारतीय या उपमहाद्वीप की अन्य फ़िल्मों को बांग्लादेश में नहीं दिखाया जा सकता है उसी क़ानून के तहत इन फिल्मों के गानों का रिंग-टोन और वेलकम ट्यून के तौर पर भी इस्तेमाल करना ग़ैरकानूनी होगा।'
बांग्लादेश टेलिकम्यूनिकेशन रेगुलेटरी कमिशन की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार इस साल जनवरी महीने में बांग्लादेश में मोबाइल फोन यूज़र्स की संख्या 121 मिलियन पार कर चुकी है।
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