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This Article is From Aug 29, 2018

National Sports Day: हिटलर भी था ध्यानचंद के खेल का दीवाना, दिया था ये OFFER

'हॉकी के जादूगर' कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) की आज 113वीं जयंती है. 29 अगस्त 1905 में ध्यानचंद का जन्म हुआ था. उनके बर्थडे के दिन भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) मनाया जाता है.

National Sports Day: हिटलर भी था ध्यानचंद के खेल का दीवाना, दिया था ये OFFER
National Sports Day: मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) की आज 113वीं जयंती है.
'हॉकी के जादूगर' कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद (Major Dhyan Chand) की आज 113वीं जयंती है. 29 अगस्त 1905 में ध्यानचंद का जन्म हुआ था. उनके बर्थडे के दिन भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) मनाया जाता है. हर साल इसी दिन खेल में शानदार प्रदर्शन के लिए राजीव गांधी, खेल रत्न के अलावा अर्जुन अवॉर्ड और द्रोणाचार्य अवॉर्ड दिए जाते हैं. उनका एक ऐसा किस्सा है जो काफी चर्चा में रहा. ध्यानचंद के खेल को देखकर हिटलर तक दीवाने हो गए थे. उन्होंने जर्मन सेना के कर्नल बनाने का प्रस्ताव रखा था. आइए जानते हैं क्या हुआ था ऐसा...

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major dhyanchand

जर्मनी को हराया था बुरी तरह
साल 1936 की बात है. तारीख थी 15 अगस्त. दुनिया का सबसे बड़े लोकतंत्र के जन्म में अभी 11 साल बाक़ी थे. बर्लिन ओलिंपिक का हॉकी फ़ाइनल मुकाबले में मेज़बान जर्मनी और भारत आमने-सामने थे. स्टेडियम में एडॉल्फ़ हिटलर भी मौजूद था. जर्मन टीम हर हाल में मैच जीतना चाहती थी. खिलाड़ी धक्का-मुक्की पर उतर आए. जर्मन गोलकीपर टीटो वॉर्नहॉल्त्ज से टकराने से ध्यानचंद के दांत टूट गए. लेकिन वे जल्दी मैदान पर लौटे. ध्यानचंद की कप्तानी में भारत ने जर्मनी को 8-1 से रौंद डाला.

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हिटलर ने ध्यानचंद को दिया ये प्रस्ताव
तीन गोल ध्यानचंद ने और दो गोल उनके भाई रूपसिंह ने किए. ब्रिटिश-इंडियन सेना के एक मामूली मेजर ने उस दिन हिटलर का दर्प कुचल दिया. हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मन नागरिकता और जर्मन सेना में कर्नल बनाने का प्रस्ताव दिया जिसे 31 साल के ध्यानचंद ने विनम्रता से ठुकरा दिया. 

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बर्लिन ओलिंपिक में भारत ने 38 गोल किए और सिर्फ़ एक गोल खाया. ध्यानचंद के स्टिक से 11 गोल निकले. बर्लिन ओलिंपिक के पहले अंतर्राष्ट्रीय दौरों पर ध्यानचंद ने 175 में से 59 गोल किए. बर्लिन ओलिंपिक के करीब एक दशक पहले से ही ध्यानचंद का डंका बजने लगा था. 1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक में ध्यानचंद ने 5 मैचों में 14 गोल ठोक डाले. फ़ाइनल में भारत ने मेज़बान हॉलैंड को 3-0 से हराकर गोल्ड मेडल जीता. दो गोल ध्यानचंद ने किए. तब वे सिर्फ़ 23 साल के थे. अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर में उन्होने 400 से ज़्यादा गोल किए. उनके नाम तीन ओलिंपिक स्वर्ण पदक हैं.

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