प्रतीकात्मक फोटो
वाशिंगटन:
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के कैसिनी अंतरिक्ष यान ने पहली बार सौर मंडल में आने वाले धूल कणों का पता लगाया है। यह यान शनि ग्रह की कक्षा (ऑरबिट) में चक्कर लगा रहा है। शनि ग्रह की कक्षा से गुजरने वाले धूल कणों की तीव्रता 72,000 किलोमीटर प्रति घंटा है। कैसिनी ने पहली बार किसी धूल की संरचना का विश्लेषण किया है, जो बर्फ नहीं है, बल्कि खनिजों का एक बहुत ही विशेष मिश्रण है।
क्या बताया नासा ने?
धूल कणों का कैसिनी के विशेष ब्रह्मांडीय धूल विश्लेषक (कॉस्मिक डस्ट एनालाइजर) उपकरण ने पता लगाया गया है। नासा के मार्सिया बर्टन ने बताया, 'कैसिनी की इस खोज से हम काफी रोमांचित हैं। हमारा यह विशेष उपकरण शनि ग्रह के भीतरी तंत्र के धूल मापने के लिए ही निर्मित किया गया था। हालांकि जरूरत के मुताबिक यह अंतरिक्ष यान की अन्य जरूरतें भी पूरी करेगा।'
चन्द्रमाओं का भी कर रहा है शोध
कैसिनी हमारे सौर मंडल के दूसरे सबसे बड़े ग्रह शनि और उसके प्राकृतिक उपग्रहों का अध्ययन कर रहा है। वह शनि की कक्षा का चक्कर लगाकर विशाल ग्रह, उसके छल्ले और उसकी चन्द्रमाओं का शोध कर रहा है। इस यान ने अपने विशेष ब्रह्मांडीय धूल विश्लेषक उपकरण की सहायता से बर्फ युक्त धूल के लाखों कणों की भी जांच की है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) से कैसिनी मिशन के वैज्ञानिक निकोलस अल्टोबेली ने कहा, 'हमें उम्मीद थी कि एक दिन हम कैसिनी की मदद से शनि ग्रह के तारों का अध्ययन कर पाएंगे और हमारी इस खोज ने साबित कर दिया है कि हम सही दिशा में जा रहे हैं।'
क्या बताया नासा ने?
धूल कणों का कैसिनी के विशेष ब्रह्मांडीय धूल विश्लेषक (कॉस्मिक डस्ट एनालाइजर) उपकरण ने पता लगाया गया है। नासा के मार्सिया बर्टन ने बताया, 'कैसिनी की इस खोज से हम काफी रोमांचित हैं। हमारा यह विशेष उपकरण शनि ग्रह के भीतरी तंत्र के धूल मापने के लिए ही निर्मित किया गया था। हालांकि जरूरत के मुताबिक यह अंतरिक्ष यान की अन्य जरूरतें भी पूरी करेगा।'
चन्द्रमाओं का भी कर रहा है शोध
कैसिनी हमारे सौर मंडल के दूसरे सबसे बड़े ग्रह शनि और उसके प्राकृतिक उपग्रहों का अध्ययन कर रहा है। वह शनि की कक्षा का चक्कर लगाकर विशाल ग्रह, उसके छल्ले और उसकी चन्द्रमाओं का शोध कर रहा है। इस यान ने अपने विशेष ब्रह्मांडीय धूल विश्लेषक उपकरण की सहायता से बर्फ युक्त धूल के लाखों कणों की भी जांच की है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) से कैसिनी मिशन के वैज्ञानिक निकोलस अल्टोबेली ने कहा, 'हमें उम्मीद थी कि एक दिन हम कैसिनी की मदद से शनि ग्रह के तारों का अध्ययन कर पाएंगे और हमारी इस खोज ने साबित कर दिया है कि हम सही दिशा में जा रहे हैं।'
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