विपिन भगवान राव खड़ने ने अपने फेसबुक पोस्ट पर लिखा है कि जच्चा और बच्चा पूरी तरह ठीक थे
नई दिल्ली:
अब तक शायद आपने तुर्की एयरलाइंस में केबिन क्रू की मदद से एक बच्ची के जन्म होने की खबर पढ़ ली होगी. इसी से कुछ मिलती-जुलती घटना अपने देश में भी हुई है, जहां मेडिकल के फाइनल ईयर के एक छात्र ने एक गर्भवती महिला का चलती ट्रेन में सफल प्रसव कराया. नागपुर के विपिन भगवान राव खड़से ने 7 अप्रैल को फेसबुक पर इस पूरी घटना के बारे में विस्तार से जानकारी पोस्ट की. उन्होंने बताया कि यह काफी जटिल मामला था, लेकिन व्हाट्सऐप ने इस मुश्किल घड़ी में उनका काम आसान कर दिया. उन्होंने व्हाट्सऐप के जरिये दूसरे मेडिकल छात्रों और डॉक्टरों से तुरंत संपर्क किया, जिससे बच्चे का जन्म सकुशल हो सका. फेसबुक पर उन्होंने लिखा डॉक्टर बनने पर जितनी खुशी मुझे हुई थी, उससे 1000 गुना ज्यादा खुशी दो जिंदगियां बचाने पर हुई.
शुक्रवार को फेसबुक पर यह पोस्ट डाले जाने के बाद इसे 5600 लोग लाइक कर चुके हैं और 650 से अधिक बार इसे शेयर किया जा चुका है. अपने पोस्ट में इस मेडिकल स्टूडेंट ने बताया, मैं ट्रेन के जरिये अकोला से नागपुर जा रहा था. सफर के दौरान टिकट चेकर किसी डॉक्टर को ढूंढ रहे थे. मुझे लगा कि शायद कोई अनुभवी डॉक्टर मिल जाएगा, लेकिन जब मुझे महसूस हुआ कि ऐसा कोई डॉक्टर ट्रेन में मौजूद नहीं है, तो फिर मैंने मदद की पेशकश की.
इसके बाद वह जनरल डिब्बे में गए जहां बमुश्किल 22-23 साल की महिला प्रसव पीड़ा में थी. शुरू में इस मेडिकल छात्र को लगा कि महिला नॉर्मल डिलिवरी के जरिये बच्चे को जन्म दे सकती है, लेकिन बाद में उसे महसूस हुआ कि कोई दिक्कत पैदा हो गई है. बच्चे का सिर बाहर आने की बजाय उन्हें उसका कंधा नजर आया. इसके बाद उन्होंने तुरंत ही अपने कॉलेज के रेजीडेंट डॉक्टरों से संपर्क करने का फैसला किया. उन्हें एक खास प्रक्रिया अपनाने को कहा गया जिसे मेडिकल टर्म में एपिसियोटॉमी कहा जाता है, जिसे में एक छोटा चीड़ा लगाकर बच्चे की डिलीवरी कराई जाती है. हालांकि वह डरे हुए थे, लेकिन उन्होंने अकेले दम पर यह प्रक्रिया पूरी की. चूंकि वह एक इंटर्न हैं, इसलिए उनके पास कुछ मेडिकल उपकरण भी थे.
प्रसव के बाद जच्चा और बच्चा दोनों को कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो गई. इसके बाद उन्हें महिला का रक्तस्राव रोकने के लिए पानी की ठंडी बोतलों का इस्तेमाल करना पड़ा. इसके बाद उन्होंने देखा कि बच्चा ठीक से सांस नहीं ले पा रहा है. बिना समय गंवाए उन्होंने तुरंत व्हाट्सऐप के जरिये अपने साथियों और सीनियर रेजीडेंट डॉक्टरों से संपर्क किया और उनके द्वारा बताए निर्देशों पर अमल करने लगे. तब ट्रेन नागपुर पहुंच चुकी थी जहां मां और बच्चे दोनों को समुचित मेडिकल सहायता दी गई. फेसबुक पर विपिन ने लिखा है कि महिला के रिश्तेदारों ने खुशी से मेरे हाथों में 101 रुपये रख दिए. उन्होंने अपने पोस्ट का अंत पूरा सहयोग देने के लिए अपने सहपाठियों, रेजीडेंट्स, ट्रेन के स्टाफ और यात्रियों को धन्यवाद देते हुए किया है.
हालांकि हम इस पोस्ट की सत्यता की पुष्टि नहीं कर सकते हैं, लेकिन यहां क्लिक कर आप इस पोस्ट को पढ़ सकते हैं. फेसबुक पर इस पोस्ट के लिए इस मेडिकल छात्र की खूब तारीफ हो रही है. एक ने कमेंट किया, यह एक लाइफटाइम अचीवमेंट है बॉस. शानदार काम. एक अन्य ने लिखा, आप पर हमें गर्व है.
शुक्रवार को फेसबुक पर यह पोस्ट डाले जाने के बाद इसे 5600 लोग लाइक कर चुके हैं और 650 से अधिक बार इसे शेयर किया जा चुका है. अपने पोस्ट में इस मेडिकल स्टूडेंट ने बताया, मैं ट्रेन के जरिये अकोला से नागपुर जा रहा था. सफर के दौरान टिकट चेकर किसी डॉक्टर को ढूंढ रहे थे. मुझे लगा कि शायद कोई अनुभवी डॉक्टर मिल जाएगा, लेकिन जब मुझे महसूस हुआ कि ऐसा कोई डॉक्टर ट्रेन में मौजूद नहीं है, तो फिर मैंने मदद की पेशकश की.
इसके बाद वह जनरल डिब्बे में गए जहां बमुश्किल 22-23 साल की महिला प्रसव पीड़ा में थी. शुरू में इस मेडिकल छात्र को लगा कि महिला नॉर्मल डिलिवरी के जरिये बच्चे को जन्म दे सकती है, लेकिन बाद में उसे महसूस हुआ कि कोई दिक्कत पैदा हो गई है. बच्चे का सिर बाहर आने की बजाय उन्हें उसका कंधा नजर आया. इसके बाद उन्होंने तुरंत ही अपने कॉलेज के रेजीडेंट डॉक्टरों से संपर्क करने का फैसला किया. उन्हें एक खास प्रक्रिया अपनाने को कहा गया जिसे मेडिकल टर्म में एपिसियोटॉमी कहा जाता है, जिसे में एक छोटा चीड़ा लगाकर बच्चे की डिलीवरी कराई जाती है. हालांकि वह डरे हुए थे, लेकिन उन्होंने अकेले दम पर यह प्रक्रिया पूरी की. चूंकि वह एक इंटर्न हैं, इसलिए उनके पास कुछ मेडिकल उपकरण भी थे.
प्रसव के बाद जच्चा और बच्चा दोनों को कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो गई. इसके बाद उन्हें महिला का रक्तस्राव रोकने के लिए पानी की ठंडी बोतलों का इस्तेमाल करना पड़ा. इसके बाद उन्होंने देखा कि बच्चा ठीक से सांस नहीं ले पा रहा है. बिना समय गंवाए उन्होंने तुरंत व्हाट्सऐप के जरिये अपने साथियों और सीनियर रेजीडेंट डॉक्टरों से संपर्क किया और उनके द्वारा बताए निर्देशों पर अमल करने लगे. तब ट्रेन नागपुर पहुंच चुकी थी जहां मां और बच्चे दोनों को समुचित मेडिकल सहायता दी गई. फेसबुक पर विपिन ने लिखा है कि महिला के रिश्तेदारों ने खुशी से मेरे हाथों में 101 रुपये रख दिए. उन्होंने अपने पोस्ट का अंत पूरा सहयोग देने के लिए अपने सहपाठियों, रेजीडेंट्स, ट्रेन के स्टाफ और यात्रियों को धन्यवाद देते हुए किया है.
हालांकि हम इस पोस्ट की सत्यता की पुष्टि नहीं कर सकते हैं, लेकिन यहां क्लिक कर आप इस पोस्ट को पढ़ सकते हैं. फेसबुक पर इस पोस्ट के लिए इस मेडिकल छात्र की खूब तारीफ हो रही है. एक ने कमेंट किया, यह एक लाइफटाइम अचीवमेंट है बॉस. शानदार काम. एक अन्य ने लिखा, आप पर हमें गर्व है.
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