IIM में पढ़ रहे बेटे को मां ने लिखी चिट्ठी, हुई वायरल, पढ़कर लोगों की आंखों से छलके आंसू

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक मां की अपने बेटे के लिए लिखी चिट्ठी खूब वायरल हो रही है, जिसे पढ़कर लोग इमोशनल हो रहे हैं.

IIM में पढ़ रहे बेटे को मां ने लिखी चिट्ठी, हुई वायरल, पढ़कर लोगों की आंखों से छलके आंसू

IIM Alumnus Shares Pic Of Letter His Mother: अक्सर पढ़ाई या फिर नौकरी के चक्कर में कुछ लोग घर से कोसों दूर रहते हैं. ऐसे में कई बार घर की याद तड़पा देती है. खास कर मां की यादें आंखों से आंसू छलका देती है. पहले के समय में जब मोबाइल और व्हाट्सएप नहीं थे, तब लोग अपनों को खत के जरिए अपना प्यार शब्दों में पिरो कर पहुंचाते थे. हाल ही में इंटरनेट पर एक ऐसी ही मां की अपने बेटे के लिए लिखी चिट्ठी खूब वायरल हो रही है, जिसे पढ़कर कुछ लोग इमोशनल हो रहे हैं, तो कुछ लोग प्रतिक्रियाएं देते हुए अपने दिल का हाल बयां कर रहे हैं.

मां ने बेटे के नाम लिखी चिट्ठी

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक मां द्वारा अपने बेटे के नाम लिखी चिट्ठी वायरल हो रही है, जिसे पढ़कर हर कोई अपना दिल हार बैठा है. दरअसल, यह पत्र एक मां ने आईआईएम में पढ़ रहे अपने बेटे को सालों पहले लिखा था, जो अब सामने आया है और लोगों को भावुक कर रहा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के एक पूर्व छात्र ने अपनी मां की सालों पहले लिखी चिट्ठी की एक तस्वीर अपने अकाउंट @swamikrish2001 से शेयर की है. एक दिन पहले शेयर किए गए इस पोस्ट को खूब देखा और पसंद किया जा रहा है.

यहां देखें पोस्ट

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पोस्ट शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा गया है कि, 'अम्मा द्वारा मुझे आईआईएम के पहले साल में लिखा गया खत. घर फोन करो, पढ़ाई पर ध्यान लगाओ, समय बर्बाद मत करो, भगवान के बारे में सोचो और हर बुधवार को गायत्री मंत्र का जाप किया करो. अप्पा ठीक हैं.' खत में एक मां का अपने बेटे के प्रति प्यार और चिंता जाहिर हो रही है. देखा जा सकता है कि,  तमिल भाषा में लिखे इस खत में मां का प्यार और अनमोल सलाह भी है, जिसे पढ़कर लोग भावुक हो रहे हैं. पोस्ट पर यूजर्स जमकर प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. एक यूजर ने लिखा, 'सिंपल और पावरफुल शब्द श्री.' दूसरे यूजर ने लिखा, 'शानदार..मुझे 1984 से 1988 तक मेरे कॉलेज के दिनों की याद आ गई. न फोन, न ईमेल, न व्हाट्सएप का युग, हम कमरे का दरवाजा खोलने के बाद फर्श की ओर देखते थे कि हमें कोई पत्र मिला है या नहीं.'