वाशिंगटन:
माता-पिता एक बात पर गौर करें कि ऐसे बच्चे, जो बचपन में चुस्त और शरारती होते हैं, वे बड़े होकर अधिक खुशहाल जिंदगी जीते हैं। एक शोध में पाया गया है कि बड़े होने पर ऐसे बच्चों के अवसाद या बेचैनी का शिकार होने की आशंका कम ही रहती है। डेइकिन यूनिवर्सिटी की अगुवाई में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने पाया कि बचपन में शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से बाद की जिंदगी में निराशा से बचने में मदद मिलती है। यह जानकारी 2,152 ऑस्ट्रेलियाई बच्चों का अध्ययन करने के बाद दी गई है। शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक चुस्त और शरारतों भरा जीवन जीने वाले बच्चों की तुलना में शारीरिक रूप से कम सक्रिय रहने वाले बच्चों के बड़े होकर अवसाद की चपेट में आने की आशंका 35 फीसदी अधिक रही। प्रमुख शोधकर्ता फेलिस जेका ने बताया, "बचपन वह अवस्था होती है, जब दिमाग का विकास बेहद तेजी से होता है और बचपन में अधिक शारीरिक गतिविधियों का मस्तिष्क के विकास पर लाभकारी असर पड़ता है।" डॉ जेका के अनुसार खेलकूद में व्यस्त रहने से बच्चों में तनाव प्रबंधन कौशल के विकसित होने में मदद मिलती है और ऐसे बच्चे किशोरावस्था में भावनात्मक रूप से अधिक संतुलित रहते हैं।
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