भारत की महत्वाकांक्षी 'मार्स ऑर्बिटर मिशन' इस महीने के आखिर में मंगल की कक्षा में पहुंचने की तैयारी में है। इसरो ने बताया कि 'एमओएम' अच्छी स्थिति में है और उसने अपनी यात्रा का 95 फीसदी हिस्सा तय कर करीब 2110 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर ली है। 'एमओएम' कई महत्वपूर्ण जानकारियां भेज रहा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने अपने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट पर बताया, 'एमओएम' हमें लगातार अपने सेंसर से विभिन्न मॉड्यूल के स्वास्थ्य तथा माप के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां भेज रहा है। इसे टेलीमेट्री संदेश (किसी पदार्थ की स्थिति के बारे में तरंगों के माध्यम से मिलने वाली जानकारी) कहते हैं।
ताजा टेलीमेट्री संदेश ने 'एमओएम' के अच्छी हालत में होने की पुष्टि की है। इसमें कहा गया है, 'एमओएम' अपनी वर्तमान दूरी 2110 लाख किलोमीटर की दूरी से हमें संदेश भेजने के लिए 2.2 मीटर 'हाई गेन एंटीना' का प्रयोग करता है। इसरो ने बताया कि यान ने मंगल के लिए अपनी हेलिकॉप्ट्रिक यात्रा का 95 फीसदी हिस्सा पूरा कर लिया है और वह उससे (मंगल से) केवल लगभग 40 लाख किलोमीटर ही दूर है।
वैज्ञानिक 24 सितंबर को चुनौतीपूर्ण कार्य शुरू करेंगे, जब वे यान पर स्थित उसके तरल इंजन को फिर से शुरू करेंगे। यह इंजन तकरीबन 10 महीने से स्लीप मोड में है। 'मंगलयान' नाम की 450 करोड़ रुपये की इस परियोजना को आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान के माध्यम से पिछले साल 5 नवंबर को प्रक्षेपित किया गया था।
इसका लक्ष्य 24 सितंबर तक लाल ग्रह के परिमंडल में पहुंचना है। परियोजना का लक्ष्य वैज्ञानिक समुदाय को ग्रह से संबंधित अनुसंधान के क्षेत्र में बेहतर मौके उपलब्ध कराना है।
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