अखिलेश चांदोरकर (फाइल फोटो)
मुंबई:
उम्र 11 साल, पता नागपुर, महाराष्ट्र और... आईक्यू 160 !! अब आप कहेंगे इसमें कौन सी बड़ी बात है... तो जनाब सुनिए यह स्कोर क्यों खास है...। यह आंकड़ा महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन और स्टीफन हॉकिंग्स के बराबर है। यूके में दुनिया भर के विलक्षण बौद्धिक स्तर वाले लोगों की संस्था है मेंसा। इसकी परीक्षा में नागपुर में रहने वाले 11 साल के अखिलेश चांदोरकर को आईक्यू टेस्ट में 160 का स्कोर मिला।
स्कॉटलैंड में दिया था टेस्ट
यह बौद्धिक स्तर अलबर्ट आइंस्टीन और स्टीफन हॉकिंग्स जैसा है। अपने परिवार के साथ स्कॉटलैंड में छुट्टियां बिताने गए अखिलेश ने यह टेस्ट दिया था। दो माह बाद जब घर पर स्कोर आया तो परिवार खुशी से झूम उठा। इस उपलब्धि के बाद अखिलेश ने कहा " जब खत आया तब मैं घर पर नहीं था। वापस लौटने पर मम्मी-पापा ने जब यह बताया तो मुझे यकीन नहीं हुआ कि मेरा स्कोर 160 है। लेकिन जब चिट्ठी दिखाई तो मैं बहुत खुश हुआ।''
पालने में ही दिखने लगे थे 'पूत के पांव'
ऑक्सफॉर्ड में 1946 में गठित संस्था मेंसा दुनिया भर में विलक्षण बौद्धिक स्तर के सिर्फ 2 फीसदी लोगों को शामिल करती है। संस्था को रोलेंड बैरिल और डॉ लैंस वेयर ने बनाया था। अखिलेश के पिता का कहना है कि उनके पूत के पांव पालने में ही दिखने लगे थे। उनके पिता ऋत्विक ने कहा "बचपन मैं ही वह कोई भी पैम्फलेट या किताब पढ़ने लगता था। खाली वक्त में भी वह सिर्फ पढ़ता था। पहले मुझे लगता था कि वह सिर्फ दिखाने के लिए पढ़ता है लेकिन बाद में हमने देखा कि वह न सिर्फ पढ़ता है बल्कि उसे बहुत सारी चीजें याद भी रहती हैं।"
हैरी पॉटर का फैन अखिलेश फिलहाल ब्लैक होल थ्योरी पर काम कर रहा है। वह बड़ा होकर अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनना चाहता है।
स्कॉटलैंड में दिया था टेस्ट
यह बौद्धिक स्तर अलबर्ट आइंस्टीन और स्टीफन हॉकिंग्स जैसा है। अपने परिवार के साथ स्कॉटलैंड में छुट्टियां बिताने गए अखिलेश ने यह टेस्ट दिया था। दो माह बाद जब घर पर स्कोर आया तो परिवार खुशी से झूम उठा। इस उपलब्धि के बाद अखिलेश ने कहा " जब खत आया तब मैं घर पर नहीं था। वापस लौटने पर मम्मी-पापा ने जब यह बताया तो मुझे यकीन नहीं हुआ कि मेरा स्कोर 160 है। लेकिन जब चिट्ठी दिखाई तो मैं बहुत खुश हुआ।''
पालने में ही दिखने लगे थे 'पूत के पांव'
ऑक्सफॉर्ड में 1946 में गठित संस्था मेंसा दुनिया भर में विलक्षण बौद्धिक स्तर के सिर्फ 2 फीसदी लोगों को शामिल करती है। संस्था को रोलेंड बैरिल और डॉ लैंस वेयर ने बनाया था। अखिलेश के पिता का कहना है कि उनके पूत के पांव पालने में ही दिखने लगे थे। उनके पिता ऋत्विक ने कहा "बचपन मैं ही वह कोई भी पैम्फलेट या किताब पढ़ने लगता था। खाली वक्त में भी वह सिर्फ पढ़ता था। पहले मुझे लगता था कि वह सिर्फ दिखाने के लिए पढ़ता है लेकिन बाद में हमने देखा कि वह न सिर्फ पढ़ता है बल्कि उसे बहुत सारी चीजें याद भी रहती हैं।"
हैरी पॉटर का फैन अखिलेश फिलहाल ब्लैक होल थ्योरी पर काम कर रहा है। वह बड़ा होकर अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनना चाहता है।
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