प्रतीकात्मक तस्वीर
वाशिंगटन:
कहानियों और फिल्मों में तो हमने जासूसों को लिपस्टिक के निशानों से अपराधी तक पहुंचने में सफलता पाते देखा है, लेकिन अब हकीकत में वैज्ञानिकों ने अपराध स्थल से लिपस्टिक के निशान उठाने और उसका विश्लेषण करने की एक नई विधि इजाद की है, जो फोरेंसिक टीम के लोगों को लिपस्टिक के ब्रांड की पहचान करने में मदद कर सकती है, जिससे संदिग्धों की संख्या को कम करने में मदद मिलेगी।
सालों से फोरेंसिक विज्ञानी अपराध स्थल से लिपस्टिक के निशान लेने की अनेक गतिविधियों को अपना रहे हैं और फिर उनके रासायनिक मिश्रण का विश्लेषण करते रहे हैं। मौजूदा दौर में जो विधियां हैं वे काफी महंगी और दुष्कर हैं जैसे कि रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी या एक्स रे। इन विधियों के लिए विशेष उपकरणों और टेस्ट की जरूरत होती है, जिनकी आपूर्ति कम होती है और इससे फोरेंसिक प्रयोगशालाओं का काम बढ़ जाता है।
अमेरिका में वेस्टर्न इलिनॉइस युनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने इसे बदलने के लिए ही नई विधि इजाद की है। यह विधि दो हिस्सों में बंटी है। पहले वे एक जैविक विलय डालते हैं जो कि लिपस्टिक में शामिल अधिकतर तेल और मोम को हटा देता है और उसके बाद वे उसमें साधारण जैविक विलय मिलाते हैं जो बाकी के अवशेषों को वहां से उठा लेता है।
ब्रायन बेलट ने बताया, 'अभी हम केवल कागज पर नमूने इकट्ठे कर रहे हैं, लेकिन भविष्य में अपराध स्थल से अन्य माध्यमों से भी नमूने एकत्र करने की उम्मीद कर रहे हैं।' नमूने एकत्र करने की विधि के बाद शोधार्थियों के इस दल ने कॉस्मेटिकों के विश्लेषण की एक प्रभावी और तेज परिणाम देने वाली विधि पर काम किया।
उलझाऊ प्रशिक्षण की जरूरत वाली विधि से किनारा करने के लिए दल ने तीन तरह की क्रोमेटोग्राफी की जांच की, जिसमें पतली परत क्रोमेटोग्राफी, गैस क्रोमेटोग्राफी और उच्च प्रदर्शन तरल क्रोमेटोग्राफी शामिल हैं। गैस और उच्च तरल प्रदर्शन वाली विधियां सिर्फ एक मशीन में नमूने को लगाने भर से परिणाम दे देती हैं, जिसका परिणाम कंप्यूटर पर देखा जा सकता है वहीं पतली परत क्रोमेटोग्राफी में शोधार्थी एक विशेष तरह की सतह पर पराबैंगनी किरणों (अल्ट्रावायलेट) के माध्यम से विश्लेषण करते हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
सालों से फोरेंसिक विज्ञानी अपराध स्थल से लिपस्टिक के निशान लेने की अनेक गतिविधियों को अपना रहे हैं और फिर उनके रासायनिक मिश्रण का विश्लेषण करते रहे हैं। मौजूदा दौर में जो विधियां हैं वे काफी महंगी और दुष्कर हैं जैसे कि रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी या एक्स रे। इन विधियों के लिए विशेष उपकरणों और टेस्ट की जरूरत होती है, जिनकी आपूर्ति कम होती है और इससे फोरेंसिक प्रयोगशालाओं का काम बढ़ जाता है।
अमेरिका में वेस्टर्न इलिनॉइस युनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने इसे बदलने के लिए ही नई विधि इजाद की है। यह विधि दो हिस्सों में बंटी है। पहले वे एक जैविक विलय डालते हैं जो कि लिपस्टिक में शामिल अधिकतर तेल और मोम को हटा देता है और उसके बाद वे उसमें साधारण जैविक विलय मिलाते हैं जो बाकी के अवशेषों को वहां से उठा लेता है।
ब्रायन बेलट ने बताया, 'अभी हम केवल कागज पर नमूने इकट्ठे कर रहे हैं, लेकिन भविष्य में अपराध स्थल से अन्य माध्यमों से भी नमूने एकत्र करने की उम्मीद कर रहे हैं।' नमूने एकत्र करने की विधि के बाद शोधार्थियों के इस दल ने कॉस्मेटिकों के विश्लेषण की एक प्रभावी और तेज परिणाम देने वाली विधि पर काम किया।
उलझाऊ प्रशिक्षण की जरूरत वाली विधि से किनारा करने के लिए दल ने तीन तरह की क्रोमेटोग्राफी की जांच की, जिसमें पतली परत क्रोमेटोग्राफी, गैस क्रोमेटोग्राफी और उच्च प्रदर्शन तरल क्रोमेटोग्राफी शामिल हैं। गैस और उच्च तरल प्रदर्शन वाली विधियां सिर्फ एक मशीन में नमूने को लगाने भर से परिणाम दे देती हैं, जिसका परिणाम कंप्यूटर पर देखा जा सकता है वहीं पतली परत क्रोमेटोग्राफी में शोधार्थी एक विशेष तरह की सतह पर पराबैंगनी किरणों (अल्ट्रावायलेट) के माध्यम से विश्लेषण करते हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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