
छह बार एवरेस्ट पर चढ़ चुके लवराज सिंह धर्मशक्तू.
- पर्वतारोहण भी सिखाते हैं बीएसएफ में कार्यरत लवराज सिंह
- इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन के आजीवन मानद सदस्य हैं लवराज
- पहाड़ों पर फैले कचरे को साफ़ करने में भी अहम भूमिका निभाई
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उत्तराखंड में कुमाऊं के एक गांव में जन्मे और हिमालय की गोद में पले-बढ़े लवराज सिंह एक सामान्य परिवार से आते हैं पर उनकी असामान्य उपलब्धि के लिए उन्हें पद्मश्री समेत कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं. पर्वतारोहण का शौक पूरा करना कोई आसान काम नहीं है. एवरेस्ट तो फिर भी बहुत दूर है अगर आप कम ऊंचाई वाली चोटियों पर भी चढ़ाई करना कहते हैं तो आपको कम से कम तीन-चार लाख रुपये की जरूरत होती है, पर लवराज सिंह ने अपनी चोटी खुद तय की. उनके शौक और उत्साह को देखकर पर्वतारोहण के इंस्ट्रक्टरों के बीच उन्हें जगह मिल गई और आज वे इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन के आजीवन मानद सदस्य हैं. बीएसएफ में असिस्टेंड कमांडेंट के तौर पर काम करने वाले लवराज सिंह पर्वतारोहण भी सिखाते हैं.

कई पर्वतारोही दलों का नेतृत्व कर चुके लवराज सिंह दुनिया भर की 51 चोटियों पर चढ़ चुके हैं. एवरेस्ट की छह बार चढ़ाई उन्होंने अलग-अलग रास्तों से की. हालांकि चीन की तरफ से एक बहुत ही कठिन माने जाने वाले रास्ते से वे एवरेस्ट पर नहीं पहुंच पाए हैं, पर वे जहां तक पहुंचे वहां तक भी कोई दूसरा दल नहीं पहुंच पाया.
VIDEO : अनीता कुंडू से खास चर्चा
पहाड़ों और पर्यावरण से प्यार करने वाले लवराज सिंह ने पहाड़ों पर फैले कचरे को साफ़ करने और इसे लेकर लोगों को जागरूक करने में भी बहुत अहम भूमिका निभाई है. सफलता की कई बुलंदियों को छू चुके लवराज ने अपना जीवन जैसे हिमालय और पर्यावरण को सौंप दिया है. नई पीढ़ी को संदेश देते हुए लवराज कहते हैं कि उन्हें भी पर्वतारोहण करना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें नई ऊर्जा मिलेगी और उस ऊर्जा के साथ वो सफलता की नई बुलंदियों को छू सकेंगे.
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