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This Article is From Dec 02, 2017

अब अपना ही रिकॉर्ड तोड़ने में जुटे छह बार एवरेस्ट फतह करने वाले लवराज सिंह

कई पर्वतारोही दलों का नेतृत्व कर चुके लवराज सिंह दुनिया भर की 51 चोटियों पर चढ़ चुके हैं, पद्मश्री समेत कई सम्मान अर्जित किए

अब अपना ही रिकॉर्ड तोड़ने में जुटे छह बार एवरेस्ट फतह करने वाले लवराज सिंह
छह बार एवरेस्ट पर चढ़ चुके लवराज सिंह धर्मशक्तू.
नई दिल्ली: 'खड़ा हिमालय बता रहा है...' कविता में हिंदी के जाने-माने कवि सोहनलाल द्विवेदी ने लिखा है कि अगर आपके इरादे मजबूत हों तो आप आसमान के तारे भी छू सकते हैं. हिमालय की तरफ मजबूत इरादे वाले लवराज सिंह धर्मशक्तू आसमान के तारे न सही पर छह बार एवरेस्ट को जरूर छू चुके हैं. वैसे तो एवरेस्ट पर छह बार चढ़ने वाले वे पहले और एक मात्र भारतीय हैं लेकिन इसके बावजूद एक बार फिर से वे एवरेस्ट फतह की तैयारी में जुटे हैं.
 
lavraj singh dharmshaktu

उत्तराखंड में कुमाऊं के एक गांव में जन्मे और हिमालय की गोद में पले-बढ़े लवराज सिंह एक सामान्य परिवार से आते हैं पर उनकी असामान्य उपलब्धि के लिए उन्हें पद्मश्री समेत कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं. पर्वतारोहण का शौक पूरा करना कोई आसान काम नहीं है. एवरेस्ट तो फिर भी बहुत दूर है अगर आप कम ऊंचाई वाली चोटियों पर भी चढ़ाई करना कहते हैं तो आपको कम से कम तीन-चार लाख रुपये की जरूरत होती है, पर लवराज सिंह ने अपनी चोटी खुद तय की. उनके शौक और उत्साह को देखकर पर्वतारोहण के इंस्ट्रक्टरों के बीच उन्हें जगह मिल गई और आज वे इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन के आजीवन मानद सदस्य हैं. बीएसएफ में असिस्टेंड कमांडेंट के तौर पर काम करने वाले लवराज सिंह पर्वतारोहण भी सिखाते हैं.
 
lavraj singh dharmshaktu

कई पर्वतारोही दलों का नेतृत्व कर चुके लवराज सिंह दुनिया भर की 51 चोटियों पर चढ़ चुके हैं. एवरेस्ट की छह बार चढ़ाई उन्होंने अलग-अलग रास्तों से की. हालांकि चीन की तरफ से एक बहुत ही कठिन माने जाने वाले रास्ते से वे एवरेस्ट पर नहीं पहुंच पाए हैं, पर वे जहां तक पहुंचे वहां तक भी कोई दूसरा दल नहीं पहुंच पाया.

VIDEO : अनीता कुंडू से खास चर्चा

पहाड़ों और पर्यावरण से प्यार करने वाले लवराज सिंह ने पहाड़ों पर फैले कचरे को साफ़ करने और इसे लेकर लोगों को जागरूक करने में भी बहुत अहम भूमिका निभाई है. सफलता की कई बुलंदियों को छू चुके लवराज ने अपना जीवन जैसे हिमालय और पर्यावरण को सौंप दिया है. नई पीढ़ी को संदेश देते हुए लवराज कहते हैं कि उन्हें भी पर्वतारोहण करना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें नई ऊर्जा मिलेगी और उस ऊर्जा के साथ वो सफलता की नई बुलंदियों को छू सकेंगे.

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