भारतरत्न से सम्मानित स्वर-कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) की गिनती अनमोल गायिकाओं में होती है. संगीत की मलिका कहलाने वाली लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) को कई उपाधियों से नवाजा जा चुका है. लता मंगेशकर का नाम सुनते ही हम सभी के कानों में मीठी-मधुर आवाज शहद-सी घुलने लगती है. लता मंगेशकर 30 हजार से ज्यादा गाने गा चुकी हैं. लता ही एकमात्र ऐसी जीवित शख्सियत हैं, जिनके नाम पर पुरस्कार दिए जाते हैं. हम आपको बताने जा रहे हैं लता मंगेशकर की ऐसी बातें, जो बहुत कम लोग जानते हैं.
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Unknown Facts Of Lata Mangeshkar:
1. लता मंगेशकर का पहला नाम था हेमा...
लता का जन्म 28 सितंबर, 1929 को एक मध्यमवर्गीय मराठा परिवार में हुआ. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर, थियेटर एक्टर और सिंगर थे. लता का पहले नाम हेमा था, लेकिन उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर के एक नाटक 'भावबंधन' में एक चरित्र लतिका से प्रभावित होकर उनका नाम लता कर दिया गया.
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2. लता मंगेशकर को इस फिल्म में कास्ट करना चाहते थे राज कपूर
लता मंगेशकर ने यतींद्र मिश्र की किताब ‘लता सुर गाथा' में कहा है, “हां, राजकपूर जी ने सत्यम शिवम सुंदरम की पटकथा मुझे ही आधार बनाकर लिखी थी. बहुत शुरू में वह चाहते थे कि मैं मुख्य किरदार को परदे पर निभाऊं, जिसकी आवाज ही पूरी पटकथा का सबसे अहम पक्ष है. मुझे यह सही नहीं लगता था, इसलिए मैंने उन्हें फिल्म बनाने के लिए तो नहीं रोका, पर अपने खुद के जुड़ाव को साफ मना कर दिया था. बहुत बाद में अस्सी के दशक में फिर उन्होंने दोबारा से जब इसे बनाने की सोची , तो जीनत अमान से यह रोल करवाया.”
3. लता जी की पहली कमाई थी 25 रुपये
लता को पहली बार मंच पर गाने के लिए 25 रुपये मिले थे. इसे वह अपनी पहली कमाई मानती हैं. लता ने पहली बार 1942 में मराठी फिल्म 'किती हसाल' के लिए गाना गाया. लता के भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनें ऊषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपना करियर चुना.
4. जब लता से गुस्सा हो गए दिलीप कुमार
कुमार दिलीप कुमार लता मंगेशकर को अपनी छोटी बहन मानते हैं. लता भी बताती हैं कि बॉलीवुड में वो जिसे सबसे करीब मानती हैं तो वो दिलीप कुमार ही हैं. एक बार दिलीप कुमार लता मंगेशकर से गुस्सा हो गए थे. 1974 में लंदन के रॉयल एल्बर्ट हॉल में लता मंगेशकर अपना पहला कार्यक्रम कर रही थीं तो उसकी शुरुआत करने के लिए दिलीप कुमार को बुलाया गया था. दिलीप कुमार अपने काम को बड़े सलीके से अंजाम देते थे और छोटी बातों पर बेहद ध्यान देते थे. पाकीजा के गाने इन्ही लोगों ने ले लिया दुपट्टा मेरा के साथ इस कार्यक्रम की शुरुआत करने के विचार से वह नाराज हो गए थे. यह गाना आप क्यों गाना चाहती हैं, जबकी इसके बोल उतने शाईस्ता नहीं हैं? इस पर लता ने दिलीप कुमार को समझाने की कोशिश भी की यह गाना लोकप्रिय है और लोग सुनना चाहेंगे, लेकिन दिलीप इससे सहमत नहीं हुए और गुस्सा हो गए थे.
5. जब सिर्फ पानी पीकर ही पूरा दिन गुजार लेती थीं लता मंगेशकर
यतींद्र मिश्र की किताब ‘लता सुर गाथा' में उन्होंने बताया, ''मैं अक्सर रेकॉर्डिंग करते-करते थक जाती थी और मुझे बड़ी तेज भूख भी लग जाती थी . उस समय रेकॉर्डिंग स्टूडियो में कैंटीन होती थी, मगर खाने के लिए कुछ बेहतर मिलता हो ऐसा मुझे याद नहीं. सिर्फ चाय और बिस्किटर वगैरह मिल जाते थे और एक दो कप चाय या ऐसे ही दो-चार बिस्किटों पर पूरा दिन निकल जाता था. कई बार तो सिर्फ पानी पीते हुए ही दिन बीता और यह ध्यान ही नहीं रहा कि कैंटीन जाकर मुझे चाय भी पी लेनी चाहिए. हमेशा यह बात दिमाग में घूमती थी कि किसी तरह बस मुझे अपने परिवार को देखना है.''
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