नई दिल्ली:
जब भी कभी हमारे जेहन में 'जलियांवाला बाग कांड' की याद आती है, तो पूरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं. साल 1919 में आज ही के दिन यानी 13 अप्रैल को जनरल रेजिनाल्ड एडवार्ड हैरी डायर ने पंजाब के जलियांवाला बाग में निहत्थे नागरिकों पर गोलियां चलाई थीं. यही नहीं, इस कांड के बाद डायर के इस कदम की ब्रिटेन में प्रशंसा भी की गई थी. यह कहानी है उस गुलाम भारत की, जब आजादी के लिए हर कोने में इंकलाब जिंदाबाद के नारे गूंज रहे थे. पंजाब में भी अंग्रेजों का विरोध बढ़ता जा रहा था. तब ब्रिटिश शासन ने दमन का रास्ता अपनाया था.
आइए, पढ़ते हैं 'जलियांवाला बाग कांड' की वे 10 बड़ी बातें जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता...
आइए, पढ़ते हैं 'जलियांवाला बाग कांड' की वे 10 बड़ी बातें जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता...
- भारत में ब्रिटिश हुकूमत ने 13 अप्रैल 1919 में क्रांतिकारी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए रोलेट ऐक्ट लेकर आने का फैसला किया था. इस ऐक्ट के मुताबिक ब्रिटिश सरकार के पास शक्ति थी कि वह बिना ट्रायल चलाए किसी भी संदिग्ध को गिरफ्तार कर सकती थी या उसे जेल में डाल सकती थी.
- रोलेट ऐक्ट के तहत पंजाब में दो मशहूर नेताओं डॉक्टर सत्यपाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू को गिरफ्तार कर लिया गया था. इनकी गिरफ्तारी के विरोध में कई प्रदर्शन हुए और कई रैलियां भी निकाली गईं थी. इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने अपना दूसरा चाल और अमृतसर में मार्शल लॉ लागू कर दिया और सभी सार्वजनिक सभाओं और रैलियों पर रोक लगा दी.
- अमृतसर के जलियांवाला बाग में सिख बैसाखी पर्व पर इसके विरोध में एकत्र हुए थे. इस भीड़ में महिलाएं और बच्चे भी थे. उस दौर में जलियांवाला बाग की चारों तरफ बड़ी-बड़ी दीवारें बनी हुई थी और वैसे में वहां बाहर जाने के लिए सिर्फ एक मुख्य द्वार था.
- यहां जनरल डायर 50 बंदूकधारी सिपाहियों के साथ पहुंचे और बिना किसी पूर्व सूचना के गोली चलाने का आदेश दे दिया. बता दें, यह फायरिंग लगभग 10 मिनट तक चलती रही. इसमें कई बेगुनाहों की जानें गई.
- जलियांवाला बाग में जब अंग्रेजों ने गोलियां चलानी शुरू की, तब वहां उपस्थित लोग अपनी जान बचाने के लिए कुएं में कूद गए. बताया जाता है इस घटना के दौरान लगभग 1650 राउंड की फायरिंग की गई थी और मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे.
- सरकारी आंकड़े को इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते हैं, जबकि अनाधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस घटना में 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए थे.
- जलियांवाला बांग कांड ते बाद देश और दुनिया में भूचाल आ गया. आक्रोश में आए देशवासियों ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना शुरू कर दिया था. फिर इस घटना की जांच के लिए हंटर कमीशन बनाया गया. बताया जाता है कि इस घटना के बाद रवीन्द्रनाथ टैगोर ने विरोधस्वरूप अपनी उपाधि लौटा दी थी.
- इस घटना के बाद जनरल डायर ब्रिटेन लौट गए थे, क्योंकि उन्हें निलंबित कर दिया गया था.
- सरदार ऊधम सिंह ने 13 मार्च 1940 के दिन जनरल डायर की हत्या की, जिसके बाद ऊधम सिंह को 31 जुलाई 1940 को फांसी पर चढ़ा दिया गया.
- 'जलियांवाला बाग कांड' की सूचना मिलते ही भगत सिंह अपने स्कूल से 12 मील पैदल चलकर वहां पहुंच गए थे. इस कांड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था, उस वक्त वह सिर्फ 12 वर्ष की उम्र के थे.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं