लोग मांस के लिए सेल्फी बंदर का शिकार कर रहे हैं.
टैंगकोको:
इंडोनेशिया के लंगूर बंदर जो कि सेल्फी खींच कर अचानक चर्चा में आए थे, आज अस्तित्व संकट से जूझ रहे हैं. इंडोनेशिया के सुदूर इलाकों में धुंआ उगलते ज्वालामुखी और घने जंगलों के बीच रहने वाले इन लंगूर प्रजाति के बंदरों का बेतहाशा शिकार किया जा रहा है और यह सब हो रहा है उनके मांस के बेहद स्वादिष्ट होने के कारण. लंगूर प्रजाति के बंदरों को बचाने का अभियान चलाने वाले फाउंडेशन की यूनिता सिवी ने बताया, 'कुछ अन्य स्थानों में निवास स्थलों में कमी होने से यह प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है.
उन्होंने कहा, 'लेकिन यहां आवास के स्थान कम हो रहे हैं और लोग लंगूर बंदरों को खा रहे हैं.' अधिकारी और कार्यकर्ता सुलावेसी द्वीप के लोगों को विलुप्त प्राय: हो रहे इस प्रजाति के बंदरों को खाने से रोकने के लिए अभियान चला रहे हैं. हालांकि यह प्रजाति यहां के स्थानीय समुदाय के लोगों का प्राचीन काल से भोजन रही है.
बंदर को ही मिलना चाहिए उसकी सेल्फी का कॉपीराइट
'नरूटो' नाम के एक काले लंगूर की ओर से एक वन्यजीव फोटोग्राफर डैविड जे स्लेटर के कैमरे से बटन दबाकर ली गई सेल्फी के स्वामित्व अधिकार की लड़ाई अब अदालत पहुंच गई है. पशु अधिकार संगठन 'पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स' (पेटा) ने सैन फ्रांसिस्को की संघीय अदालत में फोटोग्राफर डैविड जे स्लेटर और उसकी कंपनी वाईल्डलाइफ पर्सनेलिटीज लिमिटेड के खिलाफ मुकदमा दायर किया है.
सैन फ्रांसिस्को स्थित प्रकाशन कंपनी बल्र्ब इंक को भी प्रतिवादी करार दिया गया है, जिसने 'नरूटो' द्वारा ली गई दो तस्वीरों को अपने एक संग्रह में प्रकाशित किया था. 2011 में इंडोनेशिया में स्लेटर ने एक कैमरे को ट्राईपॉड पर खुला छोड़ दिया था. काले नर लंगूर ने कौतूहलवश कैमरा उठाकर अपनी और अन्य लंगूरों की तस्वीरें लेनी शुरू कर दीं. ली गई तस्वीरों में मशहूर सेल्फी भी शामिल थी.
इनपुट: IANS
उन्होंने कहा, 'लेकिन यहां आवास के स्थान कम हो रहे हैं और लोग लंगूर बंदरों को खा रहे हैं.' अधिकारी और कार्यकर्ता सुलावेसी द्वीप के लोगों को विलुप्त प्राय: हो रहे इस प्रजाति के बंदरों को खाने से रोकने के लिए अभियान चला रहे हैं. हालांकि यह प्रजाति यहां के स्थानीय समुदाय के लोगों का प्राचीन काल से भोजन रही है.
बंदर को ही मिलना चाहिए उसकी सेल्फी का कॉपीराइट
'नरूटो' नाम के एक काले लंगूर की ओर से एक वन्यजीव फोटोग्राफर डैविड जे स्लेटर के कैमरे से बटन दबाकर ली गई सेल्फी के स्वामित्व अधिकार की लड़ाई अब अदालत पहुंच गई है. पशु अधिकार संगठन 'पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स' (पेटा) ने सैन फ्रांसिस्को की संघीय अदालत में फोटोग्राफर डैविड जे स्लेटर और उसकी कंपनी वाईल्डलाइफ पर्सनेलिटीज लिमिटेड के खिलाफ मुकदमा दायर किया है.
सैन फ्रांसिस्को स्थित प्रकाशन कंपनी बल्र्ब इंक को भी प्रतिवादी करार दिया गया है, जिसने 'नरूटो' द्वारा ली गई दो तस्वीरों को अपने एक संग्रह में प्रकाशित किया था. 2011 में इंडोनेशिया में स्लेटर ने एक कैमरे को ट्राईपॉड पर खुला छोड़ दिया था. काले नर लंगूर ने कौतूहलवश कैमरा उठाकर अपनी और अन्य लंगूरों की तस्वीरें लेनी शुरू कर दीं. ली गई तस्वीरों में मशहूर सेल्फी भी शामिल थी.
इनपुट: IANS
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