अपनी टुक-टुक से साथ नवीन.
लंदन:
भारतीय मूल के एक इंजीनियर ने सौर ऊर्जा से चलित अपने टुक-टुक से करीब 10 हजार किलोमीटर (6200 मील) का सफर पूरा किया. सात महीने का सफर पूरा करके वह सोमवार को ब्रिटेन पहुंचा. भारत में जन्मे नवीन ने ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता ले ली है, वहां वह ऑटोमोटिव इंजीनियर हैं.
नवीन रबेली इस साल फरवरी में भारत निकले थे और वह इंग्लैंड के डॉवर नामक कस्बे में तय समय से पांच दिन पहले ही पहुंच गए क्योंकि फ्रांस में किसी ने उनका पासपोर्ट और पर्स चुरा लिया. इसके बाद उन्हें एमरजेंसी पासपोर्ट दिया गया. नवीन का कहना है कि उनका यह सफर बेहद मजेदार रहा. लेकिन जब वह पेरिस पहुंचे तो कुछ लोगों ने उनका सामान चुरा लिया.
द गार्जियन से बातचीत में नवीन ने बताया, "सफर के दौरान स्थानीय लोगों ने मेरी बहुत मदद की. लोगों को टुक-टुक काफी पसंद आया, खासकर ईरान जैसे देशों में. लोग आते थे और इसके साथ सेल्फी लेते थे. जब मैं उन्हें बताता कि यह बिना पेट्रोल के चलती है तो लोग आश्चर्यचकित हो जाते थे."
अपनी टुक-टुक के साथ फोटो के लिए पोज़ देते हुए उन्होंने कहा कि ब्रिटिश बॉर्डर के अधिकारियों ने उनकी टुक-टुक की अच्छी तरह से तलाशी ली, क्योंकि वह सात महीनों से सफर कर रहे थे और उनके पास एमरजेंसी पासपोर्ट था. अपनी टुक-टुक को उन्होंने खुद ही मोडिफाई किया है. इसमें एक बिस्तर, साथ सफर करने वाले के लिए बैठने की जगह, एक आलमारी और सौर ऊर्जा से चलने वाले कुकर उन्होंने फिट किया है.
क्यों कर रहे सफर
नवीन चाहते हैं कि लोग बिजली और सौर ऊर्जा से चलने वाले वाहनों के बारे में जानें क्योंकि ये यातायात के सस्तो विकल्प बन सकते हैं. वह कहते हैं कि फ्यूल से चलने वाली टुक-टुक को सौर ऊर्जा से चलने वाली टुक-टुक में परिवर्तित करने का ख्याल उन्हें तब आया जब वह अपने एक दोस्त
के साथ एक ट्रैफिक जाम में फंस गए थे और उनके चारों तरफ बड़ी संख्या मे तेज आवाज करने वाले और प्रदूषण फैलाने वाले टुक-टुक थे.
भारत से अपने सफर की शुरुआत करने बाद वह ईरान, तुर्क, बुल्गारिया, सर्बिया, ऑस्ट्रिया, स्विटजरलैंड, जर्मनी और फ्रांस होते हुए इंग्लैंड पहुंचे.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
नवीन रबेली इस साल फरवरी में भारत निकले थे और वह इंग्लैंड के डॉवर नामक कस्बे में तय समय से पांच दिन पहले ही पहुंच गए क्योंकि फ्रांस में किसी ने उनका पासपोर्ट और पर्स चुरा लिया. इसके बाद उन्हें एमरजेंसी पासपोर्ट दिया गया. नवीन का कहना है कि उनका यह सफर बेहद मजेदार रहा. लेकिन जब वह पेरिस पहुंचे तो कुछ लोगों ने उनका सामान चुरा लिया.
द गार्जियन से बातचीत में नवीन ने बताया, "सफर के दौरान स्थानीय लोगों ने मेरी बहुत मदद की. लोगों को टुक-टुक काफी पसंद आया, खासकर ईरान जैसे देशों में. लोग आते थे और इसके साथ सेल्फी लेते थे. जब मैं उन्हें बताता कि यह बिना पेट्रोल के चलती है तो लोग आश्चर्यचकित हो जाते थे."
अपनी टुक-टुक के साथ फोटो के लिए पोज़ देते हुए उन्होंने कहा कि ब्रिटिश बॉर्डर के अधिकारियों ने उनकी टुक-टुक की अच्छी तरह से तलाशी ली, क्योंकि वह सात महीनों से सफर कर रहे थे और उनके पास एमरजेंसी पासपोर्ट था. अपनी टुक-टुक को उन्होंने खुद ही मोडिफाई किया है. इसमें एक बिस्तर, साथ सफर करने वाले के लिए बैठने की जगह, एक आलमारी और सौर ऊर्जा से चलने वाले कुकर उन्होंने फिट किया है.
क्यों कर रहे सफर
नवीन चाहते हैं कि लोग बिजली और सौर ऊर्जा से चलने वाले वाहनों के बारे में जानें क्योंकि ये यातायात के सस्तो विकल्प बन सकते हैं. वह कहते हैं कि फ्यूल से चलने वाली टुक-टुक को सौर ऊर्जा से चलने वाली टुक-टुक में परिवर्तित करने का ख्याल उन्हें तब आया जब वह अपने एक दोस्त
के साथ एक ट्रैफिक जाम में फंस गए थे और उनके चारों तरफ बड़ी संख्या मे तेज आवाज करने वाले और प्रदूषण फैलाने वाले टुक-टुक थे.
भारत से अपने सफर की शुरुआत करने बाद वह ईरान, तुर्क, बुल्गारिया, सर्बिया, ऑस्ट्रिया, स्विटजरलैंड, जर्मनी और फ्रांस होते हुए इंग्लैंड पहुंचे.
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