इस लड़की ने अपने ही शव को फ्रीज़ करवाया, कहा 'क्या पता 100 साल बाद फिर जाग जाऊं'

इस लड़की ने अपने ही शव को फ्रीज़ करवाया, कहा 'क्या पता 100 साल बाद फिर जाग जाऊं'

क्रायोथेरेपी के तहत ऐसे कंटेनर में शव को रखा जाता है (प्रतीकात्मक तस्वीर)

लंदन:

बात ब्रिटेन की है जहां एक 14 साल की लड़की की एक गंभीर बीमारी से मौत हो गई लेकिन जाते जाते उसने एक अभूतपूर्व अधिकार हासिल कर लिया. शुक्रवार को लंदन की एक अदालत ने इस लड़की के शव को फ्रीज़ (बर्फ में जमा) करने के फैसले पर मुहर लगा दी. बता दें कि मरने से पहले लड़की ने जज को एक चिट्ठी में लिखा था कि वह कैंसर से पीड़ित है और वह 'लंबा जीने' के लिए एक और मौका चाहती है.

पीड़ित लड़की ने काफी रिसर्च के बाद क्रायोनिक्स से गुज़रने का फैसला किया था जिसके तहत मौत के बाद व्यक्ति के शरीर को फ्रीज़ कर लिया जाता है ताकि भविष्य में मेडिकल प्रगति की मदद से शरीर को जिंदा करने की उम्मीद रहती है.

लड़की ने जज को लिखे पत्र में कहा था कि 'मैं सिर्फ 14 साल की हूं और मैं मरना नहीं चाहती लेकिन मैं जानती हूं कि मैं मरने वाली हूं.' चिट्ठी में आगे लिखा गया है कि 'मुझे लगता है कि क्रायो प्रक्रिया मुझे ठीक होने और वापस उठने का एक और मौका दे सकती है, फिर उसमें 100 साल का समय ही क्यों न लग जाए.'

पीड़ित ने कानूनी कार्यवाही के तहत अपनी मां को यह अधिकार भी दिया है कि आने वाले वक्त में अगर वह चाहे तो अपनी बेटी का अंतिम संस्कार कर सकती है. वैसे इस फैसले में मां ने अपनी बेटी का साथ ही दिया है. हालांकि लड़की के माता पिता तलाक लेकर अलग रहते हैं और पहले पहल लड़की के पिता ने उसके इस  फैसले पर आपत्ति भी जताई थी.

कोर्ट ने लड़की के पक्ष में फैसला अक्टूबर में लिया था जिसके बाद उसकी मौत हो गई और अब उसके शव को क्रायो प्रक्रिया के लिए ले जाया जाएगा. फैसला लेने वाले जज पीटर जैकसन का कहना है कि यह अपने आप में एक अद्भुत आवेदन है जो इस देश में  क्या दुनिया में पहले कभी भी नहीं दिया गया होगा. जैकसन ने कहा कि 'विज्ञान जिस तरह कानून के सामने नए नए सवाल खड़ा करता है यह उसी की एक मिसाल है.'

जज ने इस केस को बच्ची की बीमारी और पारिवारिक क्लेश का 'दुखद मिश्रण' बताया, वहीं वह लड़की के बहादुरी की दाद देने से पीछे भी नहीं हटे. उन्होंने बताया कि बच्ची के पिता ने उनसे कहा था कि 'अगर यह इलाज सफल हो जाता है और मेरी बेटी लौट आती है, मान लीजिए 200 साल बाद तो उसे कौन मिलेगा और उसे क्या कुछ याद भी रहेगा.' हालांकि केस के दौरान पिता का झुकाव अपनी बेटी के फैसले के प्रति होता चला गया.


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