अटलांटा:
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एचआईवी वायरस के साथ जन्मी एक बच्ची का इलाज कर उसे पूरी तरह ठीक कर लेने का दावा किया है। इस शोध से जन्मजात एचआईवी से ग्रस्त बच्चों के इलाज के लिए एक नई आशा का संचार हुआ है।
बच्ची के इलाज में लगे शोधकर्ताओं का कहना है कि एचआईवी के साथ जन्म लेने वाले किसी बच्चे के पूरी तरह से ठीक होने का दुनिया में यह पहला प्रामाणिक मामला है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि इस बच्ची का इलाज 30 दिन की अवस्था में शुरू कर दिया गया था तथा अब उसकी उम्र ढाई वर्ष है। सबसे बड़ी बात यह है कि पिछले एक वर्ष से बच्ची का इलाज बंद है, बावजूद इसके उसमें अब एचआईवी संक्रमण के कोई चिह्न नहीं हैं।
हालांकि इससे पहले 2007 में टिमोथी रे ब्राउन कैंसर से इलाज के जरिए पूरी तरह ठीक होने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति माने जाते हैं। ब्राउन को ल्यूकीमिया था जिसे एचआईवी प्रतिरोधी जीन वाले व्यक्ति के स्टेम सेल ट्रांस्प्लांट द्वारा उनका इलाज किया गया था।
मिसीसिपी विश्वविद्यालय के मेडिकल सेंटर में हुए एचआईवी ग्रस्त नवजात बच्ची का इलाज करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्राउन के अत्यधिक महंगे इलाज की अपेक्षा नवजात बच्ची का इलाज एचआईवी के लिए पहले से इस्तेमाल में आने वाली मौजूदा दवाओं के अनोखे मिश्रण से किया गया।
बच्ची के इलाज में लगे शोधकर्ताओं ने कहा कि बच्ची का इलाज स्टैंडर्ड ड्रग थेरेपी से किया गया। अमेरिका के अटलांटा शहर में रविवार को एड्स पर हुई एक बैठक में विशेषज्ञों ने इसकी घोषणा की।
इस शोध की उपलब्धियों को प्रस्तुत करते हुए जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय, बाल्टिमोर में वायरोलॉजिस्ट देबोराह परसाद ने कहा, "इससे सिद्ध हो गया है कि नवजातों में एचआईवी संक्रमण को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।"
हालांकि परसाद ने कहा कि इसका अन्य एचआईवी संक्रमित नवजातों पर होने वाले असर का परीक्षण अभी किया जाना बाकी है। उन्होंने आगे बताया, "यह भी जरूरी है कि हम जन्मजात बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता का और भी अध्ययन करें। यह जानना जरूरी है कि यह कैसे एक वयस्क के प्रतिरोधक क्षमता से अलग है। फिर, किन कारकों ने बच्चे को ठीक होना संभव बनाया इसका भी पता लगाया जाना अभी बाकी है।"
बच्ची के इलाज में लगे शोधकर्ताओं का कहना है कि एचआईवी के साथ जन्म लेने वाले किसी बच्चे के पूरी तरह से ठीक होने का दुनिया में यह पहला प्रामाणिक मामला है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि इस बच्ची का इलाज 30 दिन की अवस्था में शुरू कर दिया गया था तथा अब उसकी उम्र ढाई वर्ष है। सबसे बड़ी बात यह है कि पिछले एक वर्ष से बच्ची का इलाज बंद है, बावजूद इसके उसमें अब एचआईवी संक्रमण के कोई चिह्न नहीं हैं।
हालांकि इससे पहले 2007 में टिमोथी रे ब्राउन कैंसर से इलाज के जरिए पूरी तरह ठीक होने वाले दुनिया के पहले व्यक्ति माने जाते हैं। ब्राउन को ल्यूकीमिया था जिसे एचआईवी प्रतिरोधी जीन वाले व्यक्ति के स्टेम सेल ट्रांस्प्लांट द्वारा उनका इलाज किया गया था।
मिसीसिपी विश्वविद्यालय के मेडिकल सेंटर में हुए एचआईवी ग्रस्त नवजात बच्ची का इलाज करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्राउन के अत्यधिक महंगे इलाज की अपेक्षा नवजात बच्ची का इलाज एचआईवी के लिए पहले से इस्तेमाल में आने वाली मौजूदा दवाओं के अनोखे मिश्रण से किया गया।
बच्ची के इलाज में लगे शोधकर्ताओं ने कहा कि बच्ची का इलाज स्टैंडर्ड ड्रग थेरेपी से किया गया। अमेरिका के अटलांटा शहर में रविवार को एड्स पर हुई एक बैठक में विशेषज्ञों ने इसकी घोषणा की।
इस शोध की उपलब्धियों को प्रस्तुत करते हुए जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय, बाल्टिमोर में वायरोलॉजिस्ट देबोराह परसाद ने कहा, "इससे सिद्ध हो गया है कि नवजातों में एचआईवी संक्रमण को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।"
हालांकि परसाद ने कहा कि इसका अन्य एचआईवी संक्रमित नवजातों पर होने वाले असर का परीक्षण अभी किया जाना बाकी है। उन्होंने आगे बताया, "यह भी जरूरी है कि हम जन्मजात बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता का और भी अध्ययन करें। यह जानना जरूरी है कि यह कैसे एक वयस्क के प्रतिरोधक क्षमता से अलग है। फिर, किन कारकों ने बच्चे को ठीक होना संभव बनाया इसका भी पता लगाया जाना अभी बाकी है।"