प्रतीकात्मक फोटो.
वैसे तो भारत में आम तौर पर शादियों में वधु के परिवार को वर के परिवार को दहेज देना होता है लेकिन मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में होली उत्सव के दौरान लगने वाले भगोरिया मेले में न सिर्फ युवक और युवतियां अपने जीवन साथी को चुनते हैं बल्कि लड़का, लड़की को भगाकर भी ले जाता है. इसके बाद में शादी होती है जिसमें दहेज लड़के को ही देना होता है. दुनिया के दूसरे कोने में स्थित देश बुल्गारिया में भी इन आदिवासियों से काफी कुछ मिलती-जुलती परंपरा प्रचलन में है. बुल्गारिया में तो वधुओं का बाजार ही सजता है. शादी के इच्छुक युवक यहां लड़की पसंद करते हैं और खरीदकर ले जाते हैं.
बाजार में पसंद आई लड़की के परिवार को लड़के को पैसे देने होते हैं. युवक को पसंद आई जीवनसाथी को उसके परिवार को भी पसंद करना होता है. और उसे बहू मानना होता है. इस नियम का पालन सख्ती से किया जाता है.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बुल्गारिया के स्टारा जागोर नाम के स्थान पर प्रत्येक तीन साल में एक बार दुल्हनों का बाजार सजता है. इस बाजार में आकर शादी के इच्छुक लोग अपनी मनपसंद दुल्हन खरीदकर उसे अपनी जीवनसंगिनी बना सकते हैं.
कई गरीब परिवार बेटी के विवाह का खर्च उठाने की स्थिति में नहीं होते हैं. ऐसे परिवार इस मेला का आयोजन करते हैं. इस दुल्हन बाजार में युवतियां बाकायदा वधु की पोशाक में सजधजकर पहुंचती हैं. बिकने वाली दुल्हनों में करीब सभी उम्र की युवतियां-महिलाएं शामिल होती हैं. आम तौर पर दुल्हन खरीदने के लिए लड़के के साथ उसके परिजन भी पहुंचते हैं.
वर पहले अपनी पसंद की वधु चुनता है. इसके बाद दोनों को आपस में बात करने का अवसर दिया जाता है. यदि उनमें शादी के लिए सहमति बन जाती है तो लड़का, लड़की को अपनी पत्नी स्वीकार कर लेता है. इसके पश्चात लड़की के परिवार के लोगों को निर्धारित रकम दे दी जाती है.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार बुल्गारिया में दुल्हन खरीदने का चलन गरीब परिवारों में कई पुश्तों से चला आ रहा है. इस पर कानूनी रोक भी नहीं है. यह बाजार इस देश का कलाइदझी समुदाय लगाता है. खास बात यह भी है कि इस बाजार में दुल्हन सिर्फ इस समाज का व्यक्ति ही खरीद सकता है. अन्य समाज के लोग यहां स्वीकार नहीं किए जाते.
अलग-अलग देशों में दूरियां होने के बावजूद कई परंपराओं में समानता देखने को मिलती है. बुल्गारिया के कलाइदक्षी समाज और भारत के झाबुआ जिले भील आदिवासी समाज की परंपराओं में भी समानताएं हैं.
बाजार में पसंद आई लड़की के परिवार को लड़के को पैसे देने होते हैं. युवक को पसंद आई जीवनसाथी को उसके परिवार को भी पसंद करना होता है. और उसे बहू मानना होता है. इस नियम का पालन सख्ती से किया जाता है.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बुल्गारिया के स्टारा जागोर नाम के स्थान पर प्रत्येक तीन साल में एक बार दुल्हनों का बाजार सजता है. इस बाजार में आकर शादी के इच्छुक लोग अपनी मनपसंद दुल्हन खरीदकर उसे अपनी जीवनसंगिनी बना सकते हैं.
कई गरीब परिवार बेटी के विवाह का खर्च उठाने की स्थिति में नहीं होते हैं. ऐसे परिवार इस मेला का आयोजन करते हैं. इस दुल्हन बाजार में युवतियां बाकायदा वधु की पोशाक में सजधजकर पहुंचती हैं. बिकने वाली दुल्हनों में करीब सभी उम्र की युवतियां-महिलाएं शामिल होती हैं. आम तौर पर दुल्हन खरीदने के लिए लड़के के साथ उसके परिजन भी पहुंचते हैं.
वर पहले अपनी पसंद की वधु चुनता है. इसके बाद दोनों को आपस में बात करने का अवसर दिया जाता है. यदि उनमें शादी के लिए सहमति बन जाती है तो लड़का, लड़की को अपनी पत्नी स्वीकार कर लेता है. इसके पश्चात लड़की के परिवार के लोगों को निर्धारित रकम दे दी जाती है.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार बुल्गारिया में दुल्हन खरीदने का चलन गरीब परिवारों में कई पुश्तों से चला आ रहा है. इस पर कानूनी रोक भी नहीं है. यह बाजार इस देश का कलाइदझी समुदाय लगाता है. खास बात यह भी है कि इस बाजार में दुल्हन सिर्फ इस समाज का व्यक्ति ही खरीद सकता है. अन्य समाज के लोग यहां स्वीकार नहीं किए जाते.
अलग-अलग देशों में दूरियां होने के बावजूद कई परंपराओं में समानता देखने को मिलती है. बुल्गारिया के कलाइदक्षी समाज और भारत के झाबुआ जिले भील आदिवासी समाज की परंपराओं में भी समानताएं हैं.
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