होली (Holi 2020) इस साल 10 मार्च को मनाई जाएगी. भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है होली (Happy Holi 2019) जिसे आम तौर पर लोग 'रंगो का त्योहार' भी कहते हैं. हिंदू पंचांग के मुताबिक फाल्गुन माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. देश के दूसरे त्योहारों की तरह होली (Holi) को भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है. ढोल की धुन और घरों के लाउड स्पीकरों पर बजते तेज संगीत के साथ एक दूसरे पर रंग और पानी फेंकने का मजा देखते ही बनता है. होली (Holi 2020) के साथ कई प्राचीन पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हैं और हर कथा अपने आप में विशेष है.
मुगल काल में होली (Holi) को ये कहा जाता था
यह रंगों का त्योहार कब से शुरू हुआ इसका जिक्र भारत की विरासत यानी कि हमारे कई ग्रंथों में मिलता है. शुरू में इस पर्व को होलाका के नाम से भी जाना जाता था. इस दिन आर्य नवात्रैष्टि यज्ञ किया करते थे. मुगल शासक शाहजहां के काल में होली (Holi 2020) को ईद-ए-गुलाबी के नाम से संबोधित किया जाता था.
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होली (Holi 2020) पर शिव पार्वती की कहानी
होली (Holi) को लेकर जिस पौराणिक कथा की सबसे ज्यादा मान्यता है वह है भगवान शिव और पार्वती की. पौराणिक कथा में हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान शिव से हो लेकिन शिव अपनी तपस्या में लीन थे. कामदेव पार्वती की सहायता के लिए आते और प्रेम बाण चलाकर भगवान शिव की तपस्या भंग करते थे.
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शिवजी को उस दौरान बड़ा क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी. उनके क्रोध की ज्वाला में कामदेव का शरीर भस्म हो गया. इन सबके बाद शिवजी पार्वती को देखते हैं पार्वती की आराधना सफल हो जाती है और शिवजी उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लेते हैं. होली (Holi 2020) की आग में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकत्मक रूप से जला कर सच्चे प्रेम के विजय के उत्सव में मनाया जाता है.
होली (Holi 2020) पर हिरण्यकश्यप की कहानी
वहीं, दूसरी पौराणिक कथा हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका की है. प्राचीन काल में अत्याचारी हिरण्यकश्यप ने तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से अमर होने का वरदान पा लिया था. उसने ब्रह्मा से वरदान में मांगा था कि उसे संसार का कोई भी जीव-जन्तु, देवी-देवता, राक्षस या मनुष्य रात, दिन, पृथ्वी, आकाश, घर, या बाहर मार न सके.
वरदान पाते ही वह निरंकुश हो गया. उस दौरान परमात्मा में अटूट विश्वास रखने वाला प्रहलाद उनके पुत्र के रूप में पैदा हुआ. प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उसे भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि प्राप्त थी. हिरण्यकश्यप ने सभी को आदेश दिया था कि वह उसके अतिरिक्त किसी अन्य की स्तुति न करे लेकिन प्रहलाद नहीं माना. प्रहलाद के न मानने पर हिरण्यकश्यप ने उसे जान से मारने का प्रण लिया. प्रहलाद को मारने के लिए उसने अनेक उपाय किए लेकिन वह हमेशा बचता रहा. हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान प्राप्त था. हिरण्यकश्यप ने उसे अपनी बहन होलिका की मदद से आग में जलाकर मारने की योजना बनाई. और होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में जा बैठी. हुआ यूं कि होलिका ही आग में जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद बच गया. तभी से होली (Holi 2020) का त्योहार मनाया जाने लगा.
होली (Holi 2020) पर भगवान श्रीकृष्ण की कथा
इसके अलावा तीसरी पौराणिक कथा है भगवान श्रीकृष्ण की जिसमें राक्षसी पूतना एक सुन्दर स्त्री का रूप धारण कर बालक कृष्ण के पास आती है और उन्हें अपना जहरीला दूध पिला कर मारने की कोशिश की. दूध के साथ साथ बालक कृष्ण ने उसके प्राण भी ले लिये. कहा जाता है कि मृत्यु के पश्चात पूतना का शरीर लुप्त हो गया इसलिए ग्वालों ने उसका पुतला बना कर जला डाला. इसके बाद से मथुरा होली (Holi 2020) का प्रमुख केन्द्र रहा है.
होली (Holi 2020) का त्योहार राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी से भी जुड़ा हुआ है. वसंत के इस मोहक मौसम में एक दूसरे पर रंग डालना उनकी लीला का एक अंग माना गया है. होली (Holi 2020) के दिन वृन्दावन राधा और कृष्ण के इसी रंग में डूबा हुआ होता है.
इसके अलावा होली (Holi 2020) को प्राचीन हिंदू त्योहारों में से एक माना जाता है. ऐसे प्रमाण मिले हैं कि ईसा मसीह के जन्म से कई सदियों पहले से होली (Holi 2020) का त्योहार मनाया जा रहा है. होली (Holi 2020) का वर्णन जैमिनि के पूर्वमीमांसा सूत्र और कथक ग्रहय सूत्र में भी है. प्राचीन भारत के मंदिरों की दीवारों पर भी होली (Holi 2020) की मूर्तियां मिली हैं. विजयनगर की राजधानी हंपी में 16वीं सदी का एक मंदिर है. इस मंदिर में होली (Holi 2020) के कई दृश्य हैं जिसमें राजकुमार, राजकुमारी अपने दासों सहित एक दूसरे को रंग लगा रहे हैं.
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