प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
दिल्ली और एनसीआर में डेंगू का कहर जारी है और उचित उपचार के अभाव में इस बीमारी के शिकार लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। ऐसे में लोग हर वह उपाय आजमा लेना चाहते हैं जिसके आजमाने से इस बीमारी से उबरने की थोड़ी भी गुंजाइश हो। डेंगू से लड़ने के लिए लोग पपीते की पत्तियां और बकरी के दूध का इस्तेमाल जमकर रहे हैं, जिसके चलते नोएडा में इसकी मांग काफी बढ़ गई है।
हालात तो यह है कि बकरी का दूध एक हजार से दो हजार रुपये प्रति लीटर तक बिक रहा है, जिससे नोएडा जेजे कालोनियो में बकरी पालने वाले की चांदी काट रहे है। आमतौर पर बकरी का दूध 35 से 40 रुपये प्रति लीटर मिल जाता है।
नोएडा के सेक्टर 63 स्थित छिजारसी गांव की रहने वाली उषा देवी जिला अस्पताल में अपने पोते का इलाज करा रही हैं और पोते की तबीयत में हो रहे सुधर से खुश है। उनका कहना है कि अस्पताल की दवाइयों के साथ उन्होंने बकरी का दूध अपने पोते को दिया जिसके कारण उसके प्लेटलेड तेजी से बढे। उनका कहना है कि आज दवाइयां आ गई हैं लेकिन देशी इलाज भी काफी कारगर है। उन्हें दूध 200 रूपये पाव मिला लेकिन मांग बढने कारण लोग पांच से हजार रूपये तक बेच रहे है।
नोएडा के सेक्टर 9 की जेजे कालोनी जहां कुछ दिनों तक बकरी का दूध कोई टके भाव भी नहीं पूछता था, वहां लोग बकरी का दूध लेने पहुंच रहे हैं। बकरी को पालने वाले ग्राहक और डिमांड को देखते हुए हजार से दो हजार रूपये लीटर तक दूध बेच रहे हैं।
दिलचस्प बात तो यह है कि अभी तक विशेषज्ञों या डॉक्टर्स ने इन उपचारों की वैज्ञानिक प्रमाणिकता पर मुहर नहीं लगाई है। लेकिन डॉक्टर का कहना है कि ऐसा कोई शोध नहीं हुआ है और इसकी सलाह भी नहीं देते हैं। वे कहते कि प्लेटलेट्स में गिरावट आने के दो-तीन दिनों बाद इसमें प्राकृतिक रूप से बढ़ोतरी देखी जाती है।
ऐसे में संभव है कि अपने आप होने वाली इस बढ़ोतरी को ही लोग इन उपचारों का प्रभाव मान रहे हों। वहीं, एक अन्य डॉक्टर का कहना है कि इन उपचारों का वास्तव में कितना लाभ हो रहा है इसके बारे में वह निश्चित रूप से कुछ नहीं कह सकते हैं, लेकिन वह अपने मरीजों को इसके इस्तेमाल से रोकना भी नहीं चाहते हैं।
हालात तो यह है कि बकरी का दूध एक हजार से दो हजार रुपये प्रति लीटर तक बिक रहा है, जिससे नोएडा जेजे कालोनियो में बकरी पालने वाले की चांदी काट रहे है। आमतौर पर बकरी का दूध 35 से 40 रुपये प्रति लीटर मिल जाता है।
नोएडा के सेक्टर 63 स्थित छिजारसी गांव की रहने वाली उषा देवी जिला अस्पताल में अपने पोते का इलाज करा रही हैं और पोते की तबीयत में हो रहे सुधर से खुश है। उनका कहना है कि अस्पताल की दवाइयों के साथ उन्होंने बकरी का दूध अपने पोते को दिया जिसके कारण उसके प्लेटलेड तेजी से बढे। उनका कहना है कि आज दवाइयां आ गई हैं लेकिन देशी इलाज भी काफी कारगर है। उन्हें दूध 200 रूपये पाव मिला लेकिन मांग बढने कारण लोग पांच से हजार रूपये तक बेच रहे है।
नोएडा के सेक्टर 9 की जेजे कालोनी जहां कुछ दिनों तक बकरी का दूध कोई टके भाव भी नहीं पूछता था, वहां लोग बकरी का दूध लेने पहुंच रहे हैं। बकरी को पालने वाले ग्राहक और डिमांड को देखते हुए हजार से दो हजार रूपये लीटर तक दूध बेच रहे हैं।
दिलचस्प बात तो यह है कि अभी तक विशेषज्ञों या डॉक्टर्स ने इन उपचारों की वैज्ञानिक प्रमाणिकता पर मुहर नहीं लगाई है। लेकिन डॉक्टर का कहना है कि ऐसा कोई शोध नहीं हुआ है और इसकी सलाह भी नहीं देते हैं। वे कहते कि प्लेटलेट्स में गिरावट आने के दो-तीन दिनों बाद इसमें प्राकृतिक रूप से बढ़ोतरी देखी जाती है।
ऐसे में संभव है कि अपने आप होने वाली इस बढ़ोतरी को ही लोग इन उपचारों का प्रभाव मान रहे हों। वहीं, एक अन्य डॉक्टर का कहना है कि इन उपचारों का वास्तव में कितना लाभ हो रहा है इसके बारे में वह निश्चित रूप से कुछ नहीं कह सकते हैं, लेकिन वह अपने मरीजों को इसके इस्तेमाल से रोकना भी नहीं चाहते हैं।
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