प्रतीकात्मक फोटो
बक्सर.:
बिहार में 10 वीं कक्षा की कई छात्राओं ने तब तक स्वर्ण आभूषण नहीं पहनने की शपथ ली है जब तक खुले में शौच करने की शर्मिंदगी से बचाने के लिए उनके अभिभावक उनके घरों में शौचालय का निर्माण नहीं कराएंगे. स्वच्छता, सुरक्षा और लगातार शर्मिदगी से रक्षा हेतु शौचालय निर्माण के लिए अभिभावकों पर दबाव बनाने को रिचा, ज्योति, रंजू, रबिना, खुशबू और पूजा कुमारी ने केवल तब अपने सोने के लॉकेट नहीं पहनने का निर्णय किया है जब वे खुले में शौच करने को मजबूर नहीं होंगी.
जिले के एक अधिकारी ने कहा कि बक्सर जिले के एक सरकारी बालिका उच्च विद्यालय की दसवीं कक्षा की 18 में से ये छह छात्राएं हैं जिन्हें अब भी खुले में शौच करने के लिए कहा जाता है, क्योंकि इनके घरों में शौचालय नहीं हैं. स्कूल के निरीक्षण के दौरान जब जिले के एक अधिकारी अनुपम सिंह ने लड़कियों से पूछा कि कितने के घरों में शौचालय नहीं है तो 18 लड़कियों ने अपने हाथ उठाए.
एक अन्य अधिकारी ने कहा, "लड़कियों ने यह भी कहा कि वह चाहती हैं कि शौचालय बने ताकि उन्हें खुले में शौच नहीं करना पड़े और उन्होंने अपनी शर्म और पीड़ा जाहिर की. उन्होंने सोने के अपने लॉकेट उतार दिए और सिंह को सौंप दिए और उनकी मांगें पूरी होने तक उसे नहीं पहनने की शपथ ली." दिलचस्प है कि लड़कियों के अनुसार, उनके अभिभावक न तो गरीब हैं और न ही उन्हें पैसे की कमी है, लेकिन उनकी योजना में शौचालय निर्माण कभी नहीं रहा.
खुशबू ने कहा, "बिना शौचालय के जीने पर हम शर्मिदा हैं जो हम लोगों और हमारी माताओं को खुले में शौच करने को मजबूर करता है." विगत कुछ महीनों में बिहार में अकेली महिला द्वारा उनके घरों में शौचालयों के निर्माण के लिए उठाए गए कदमों के साथ कई रिपोर्ट प्रकाशित हुई हैं. इस तरह की गरीब एक महिला रोहताश जिले के एक गांव की शांति देवी हैं जिन्होंने घर में शौचालय निर्माण के लिए अपने चार बकरे बेच दिए.
एक अन्य उदाहरण रोहताश जिले के बारहखन्ना गांव की फूल कुमारी देवी हैं जिनकी उम्र 20 से 30 साल के बीच है और उन्होंने घर में शौचालय निर्माण के लिए अपने सोने और चांदी के गहने बंधक रख दिए. कुछ मामलों में नवविवाहिता दुल्हन ने तो घर में शौचालय नहीं होने पर अपने पति को तलाक तक दे दिया और अपने सास-ससुर के घरों को छोड़कर चली गईं.बिहार में लाखों लोग अब भी बिना शौचालय के जीवन बिता रहे हैं. विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा के अनुसार, राज्य में 1.60 करोड़ परिवारों को उनके घरों में शौचालय नहीं है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
जिले के एक अधिकारी ने कहा कि बक्सर जिले के एक सरकारी बालिका उच्च विद्यालय की दसवीं कक्षा की 18 में से ये छह छात्राएं हैं जिन्हें अब भी खुले में शौच करने के लिए कहा जाता है, क्योंकि इनके घरों में शौचालय नहीं हैं. स्कूल के निरीक्षण के दौरान जब जिले के एक अधिकारी अनुपम सिंह ने लड़कियों से पूछा कि कितने के घरों में शौचालय नहीं है तो 18 लड़कियों ने अपने हाथ उठाए.
एक अन्य अधिकारी ने कहा, "लड़कियों ने यह भी कहा कि वह चाहती हैं कि शौचालय बने ताकि उन्हें खुले में शौच नहीं करना पड़े और उन्होंने अपनी शर्म और पीड़ा जाहिर की. उन्होंने सोने के अपने लॉकेट उतार दिए और सिंह को सौंप दिए और उनकी मांगें पूरी होने तक उसे नहीं पहनने की शपथ ली." दिलचस्प है कि लड़कियों के अनुसार, उनके अभिभावक न तो गरीब हैं और न ही उन्हें पैसे की कमी है, लेकिन उनकी योजना में शौचालय निर्माण कभी नहीं रहा.
खुशबू ने कहा, "बिना शौचालय के जीने पर हम शर्मिदा हैं जो हम लोगों और हमारी माताओं को खुले में शौच करने को मजबूर करता है." विगत कुछ महीनों में बिहार में अकेली महिला द्वारा उनके घरों में शौचालयों के निर्माण के लिए उठाए गए कदमों के साथ कई रिपोर्ट प्रकाशित हुई हैं. इस तरह की गरीब एक महिला रोहताश जिले के एक गांव की शांति देवी हैं जिन्होंने घर में शौचालय निर्माण के लिए अपने चार बकरे बेच दिए.
एक अन्य उदाहरण रोहताश जिले के बारहखन्ना गांव की फूल कुमारी देवी हैं जिनकी उम्र 20 से 30 साल के बीच है और उन्होंने घर में शौचालय निर्माण के लिए अपने सोने और चांदी के गहने बंधक रख दिए. कुछ मामलों में नवविवाहिता दुल्हन ने तो घर में शौचालय नहीं होने पर अपने पति को तलाक तक दे दिया और अपने सास-ससुर के घरों को छोड़कर चली गईं.बिहार में लाखों लोग अब भी बिना शौचालय के जीवन बिता रहे हैं. विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा के अनुसार, राज्य में 1.60 करोड़ परिवारों को उनके घरों में शौचालय नहीं है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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