Know All About Indore Coconut Lord Ganesha: हिंदू धर्म में जब भी कोई पूजा-पाठ या शुभ-मांगलिक कार्यों का आयोजन होता है, तो नारियल का इस्तेमाल जरूर किया जाता है. पूजा-पाठ और शुभ-मांगलिक कार्यों में नारियल चढ़ाने का महत्व है. यही नहीं नए बिजनेस, दुकान का शुभारंभ हो, नया वाहन, गृह प्रवेश, तीज-त्योहार, शादी-विवाह हो या फिर साप्ताहिक व्रत सभी मौके पर नारियल का महत्व होता है. नारियल का इस्तेमाल रसोई में भी किया जाता है, जो खाने के स्वाद को बढ़ा देता है. हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के एक अनोखे गणेश मंदिर में गणेश प्रतिमा के स्थान पर एक विशेष नारियल स्थापित किया जाता है, जिसे नारियल गणेश कहा जा रहा है. हाल ही में इस नारियल को अमेरिका स्थित ट्रांसोसियाना वर्ल्ड रिकॉर्ड्स (Transoceana World Records) नाम की रिकॉर्ड संस्था से मान्यता मिली है. जानिए क्या है इसके पीछे की वजह.
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दरअसल, इंदौर के प्रसिद्ध 39 वर्षीय नारियल वाले गणेशजी के चमत्कारिक स्वयंभू एकाक्षी माने जाने वाले श्रीफल में गजमुख गणेश की आकृति का निर्माण स्वयं होने और 21 वर्षों से नारियल में जल रहने के कारण ही ट्रांसओशियाना वर्ल्ड रिकार्ड (यूएसए) में दर्ज किया गया, ऐसा अनोखा रिकॉर्ड पूरे विश्व में एकमात्र इंदौर के श्रीफल वाले गणेश जी के नाम पर दर्ज किया गया है, जिसका सर्टिफिकेट भी श्रीफल वाले गणेश जी को मिल चुका है.
बता दें की शहर के जूनी इंदौर शनि मंदिर मेन रोड (Juni Indore Shani Mandir main road) पर गणपति बप्पा का एक अद्भुत, अनोखा और प्राचीन मंदिर स्थापित है, जहां गणपति बप्पा एकाक्षी श्रीफल के रूप में दर्शन देते हैं, जिनका नाम ही श्रीफल सिद्धि विनायक गणेश है. 'एकाक्षी श्रीफल गणेश' (Ekakshi Shreefal Ganesh) के नाम से मशहूर यह अनोखा मंदिर इंदौर (unique temple is situated in Indore) में स्थित है, जिसकी स्थापना को 39 वर्ष पूरे हो गए हैं.
एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि, यह मंदिर जूनी इंदौर शनि मंदिर मुख्य मार्ग पर स्थित है. संयुक्त राज्य अमेरिका (USA), ऑस्ट्रेलिया (Australia), इंग्लैंड (England) और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से भक्त इस अनोखे नारियल गणेश (unique coconut Ganesha) का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर में आते हैं. उपासक भगवान को श्रद्धांजलि के रूप में पानी से भरा नारियल, सुपारी और अन्य प्रसाद चढ़ाते हैं.
मंदिर की स्थापना के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है. ट्रांसोसियाना वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, पंडित मुरलीधर व्यास को पूजा करते समय नारियल या 'श्रीफल' मिला. जब वह नारियल का बाहरी भाग हटा रहे थे, तो उन्होंने देखा कि, उसके अंदर एक बीज जैसी आकृति है. बाद में गणेश चतुर्थी के अवसर पर पंडित व्यास ने देखा कि, नारियल के बीज के अंदर एक तने जैसी संरचना बन गई है. इसके अलावा, नारियल ने लगभग चार दशकों तक बिना सूखने के अपना पानी बरकरार रखा, जो किसी चमत्कार से कम नहीं है.
बताया जा रहा है कि, नारियल वाले गणेशजी का पूर्ण आकार 21 वर्षों में निर्मित हुआ है. इसमें एक-एक दिन विकास करते हुए एकदंत, मस्तक, मुकुट, नेत्र, कान, गर्दन, मुंड, मुंह ने आकार लिया, तब तक इस नारियल में जल भरा रहा, जबकि साधारण नारियल सूखकर गोला हो जाता है.
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