न्यूयार्क:
भूखे न होने पर भी कुछ न कुछ खाने की आदत आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है। शिकागो की इलिनोइस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डेविड गाल बताते हैं, 'बार-बार खाना फायदेमंद होता है लेकिन तब जब कोई व्यक्ति भूखा हो। भूख न होने पर भी खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं है।'
वैज्ञानिकों ने इस शोध के लिए स्नातक के 45 छात्रों को शामिल किया। इन छात्रों से सबसे पहले इनके भूख के स्तर की जानकारी ली गई। इसके बाद इन्हें कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन दिया गया।
भोजन की नियमित खुराकें स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव डालती हैं, इसे जानने के लिए शोधार्थियों ने प्रतिभागियों द्वारा भोजन करने के बाद उनके ब्लड सुगर का स्तर मापा गया।
शोधार्थियों ने पाया कि कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन करने के बाद ब्लड सुगर स्तर में वृद्धि हुई। सामान्य तौर पर ब्लड सूगर स्तर में न्यूनतम वृद्धि अच्छी होती है, लेकिन इसकी उच्च स्तर पर वृद्धि से शरीर की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं।
इस अध्ययन का निष्कर्ष है, भूख न लगने पर भोजन करने वाले प्रतिभागियों की तुलना में भूख लगने पर भोजन करने वाले प्रतिभागियों के ब्लड सुगर स्तर में निम्न वृद्धि हुई थी।
वैज्ञानिकों का मत है कि भूख लगने पर ही भोजन को हाथ लगाना चाहिए। इससे ब्लड सुगर स्तर भी सामान्य रहेगा और सेहत भी दुरुस्त रहेगी। यह अध्ययन पत्रिका 'एसोसिएशन फॉर कंस्यूमर रिसर्च' में प्रकाशित किया गया है।
वैज्ञानिकों ने इस शोध के लिए स्नातक के 45 छात्रों को शामिल किया। इन छात्रों से सबसे पहले इनके भूख के स्तर की जानकारी ली गई। इसके बाद इन्हें कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन दिया गया।
भोजन की नियमित खुराकें स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव डालती हैं, इसे जानने के लिए शोधार्थियों ने प्रतिभागियों द्वारा भोजन करने के बाद उनके ब्लड सुगर का स्तर मापा गया।
शोधार्थियों ने पाया कि कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन करने के बाद ब्लड सुगर स्तर में वृद्धि हुई। सामान्य तौर पर ब्लड सूगर स्तर में न्यूनतम वृद्धि अच्छी होती है, लेकिन इसकी उच्च स्तर पर वृद्धि से शरीर की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं।
इस अध्ययन का निष्कर्ष है, भूख न लगने पर भोजन करने वाले प्रतिभागियों की तुलना में भूख लगने पर भोजन करने वाले प्रतिभागियों के ब्लड सुगर स्तर में निम्न वृद्धि हुई थी।
वैज्ञानिकों का मत है कि भूख लगने पर ही भोजन को हाथ लगाना चाहिए। इससे ब्लड सुगर स्तर भी सामान्य रहेगा और सेहत भी दुरुस्त रहेगी। यह अध्ययन पत्रिका 'एसोसिएशन फॉर कंस्यूमर रिसर्च' में प्रकाशित किया गया है।
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