डीडीसी उपाध्यक्ष आशीष खेतान (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सफेद दीवारों, शानदार बनावट और साज सज्जा वाले दिल्ली संवाद आयोग (डीडीसी) के नए पते 33 श्यामनाथ मार्ग को देखकर शायद ही इस बात का पता चले कि यह इमारत ‘भूत बंगले’ के तौर पर कुख्यात है और पिछले काफी समय से यह अधिकतर समय खाली रहा है।
राष्ट्रीय राजधानी के सिविल लाइंस इलाके में स्थित यह विशाल बंगला एक समय दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री ब्रह्म प्रकाश का घर था और बाद के सालों में इसकी बेरंग दीवारों से पलस्तर झड़ने के साथ ही इसे ‘मनहूस’ और ‘भूतहा’ करार दिया गया।
डीडीसी के उप प्रमुख आशीष खेतान ने कहा, ‘‘दो महीने पहले मुझे पता चला कि इस सरकारी संपत्ति में किसी की रूचि नहीं है क्योंकि इसे भूतहा माना जाता है। इसमें कोई भी मंत्री या नौकरशाह रहने के लिए तैयार नहीं है जबकि किसी समय यहां दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते थे। इसलिए मैंने सरकार से डीडीसी कार्यालय के लिए मुझे यह बंगला आवंटित करने का अनुरोध किया।’
बंगले का दरवाजा एक बड़े परिसर में खुलता है। बंगले में चार शयनकक्ष, एक बड़ा ड्राइंग सह डाइनिंग रूम, दो गैराज, नौकरों के क्वार्टर, एक बड़ा भंडारघर और सुरक्षाकर्मी का एक कमरा है।
दिल्ली में इस तरह के विशाल बंगलों में रहने के लिए प्रभावशाली लोगों में होड़ रहती है, यहां तक की अकसर सरकारी बंगले खाली कराने में सरकार को दिक्कतें आती हैं। इसके बावजूद पिछले दशक में अधिकतर समय यह बंगला खाली था।
हालांकि 2013 में तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार के बिजली एवं वित्त विभागों के प्रधान सचिव शक्ति सिन्हा यहां रहने आए लेकिन उन्होंने केवल चार महीने में इसे खाली कर दिया।
राष्ट्रीय राजधानी के सिविल लाइंस इलाके में स्थित यह विशाल बंगला एक समय दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री ब्रह्म प्रकाश का घर था और बाद के सालों में इसकी बेरंग दीवारों से पलस्तर झड़ने के साथ ही इसे ‘मनहूस’ और ‘भूतहा’ करार दिया गया।
डीडीसी के उप प्रमुख आशीष खेतान ने कहा, ‘‘दो महीने पहले मुझे पता चला कि इस सरकारी संपत्ति में किसी की रूचि नहीं है क्योंकि इसे भूतहा माना जाता है। इसमें कोई भी मंत्री या नौकरशाह रहने के लिए तैयार नहीं है जबकि किसी समय यहां दिल्ली के मुख्यमंत्री रहते थे। इसलिए मैंने सरकार से डीडीसी कार्यालय के लिए मुझे यह बंगला आवंटित करने का अनुरोध किया।’
बंगले का दरवाजा एक बड़े परिसर में खुलता है। बंगले में चार शयनकक्ष, एक बड़ा ड्राइंग सह डाइनिंग रूम, दो गैराज, नौकरों के क्वार्टर, एक बड़ा भंडारघर और सुरक्षाकर्मी का एक कमरा है।
दिल्ली में इस तरह के विशाल बंगलों में रहने के लिए प्रभावशाली लोगों में होड़ रहती है, यहां तक की अकसर सरकारी बंगले खाली कराने में सरकार को दिक्कतें आती हैं। इसके बावजूद पिछले दशक में अधिकतर समय यह बंगला खाली था।
हालांकि 2013 में तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार के बिजली एवं वित्त विभागों के प्रधान सचिव शक्ति सिन्हा यहां रहने आए लेकिन उन्होंने केवल चार महीने में इसे खाली कर दिया।
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