दुनिया में बढ़ते रबड़ की खपत को पूरा करने के लिए घास और पेड़ के पत्तों से टायर बनाने की तकनीक का ईजाद किया गया है. तस्वीर: प्रतीकात्मक
वाशिंगटन:
घर के गार्डन में घास बढ़ जाने पर हम परेशान हो जाते जाते हैं कि इसे कहां ले जाकर नष्ट किया जाए. आपको जानकर ताज्जुब होगा कि जल्द ही इस घास से आपके कार का टायर तैयार होने लगेगा. यानी आपकी कार घास से बने टायर से चलती दिखेगी. दुनिया में बढ़ते रबड़ की खपत को पूरा करने के लिए घास और पेड़ के पत्तों से टायर बनाने की तकनीक का ईजाद किया गया है.
मिनिसोटा यूनिवर्सिटी के केमिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर पॉल डेनह्यूअर ने बताया कि बायोमास संसाधनों से टायर बनाने की विधि का ईजाद किया गया है. इससे टायर बनाने के काम आने वाले एक महत्वूपर्ण मोलेक्यूल (कण) का उत्पादन हो सकता है. फिलहाल ज्यादातर टायर पर्यावरण के अनुकूल नहीं होते हैं, क्योंकि ये जीवाश्म ईंधन से तैयार किए जाते हैं.
प्रोफेसर पॉल ने बताया, 'हमारी टीम ने प्राकृतिक उत्पादों जैसे पेड़, घास और मक्के से आइसोप्रीन बनाने के लिए नई रासायनिक विधि तैयार की है. यह टायरों का अहम मोलेक्यूल है. इस शोध का अरबों रुपये के ऑटोमोबाइल टायर के उद्योग पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है.'
प्रोफेसर पॉल ने बताया कि नई तकनीक में जैव ईंधन से टायर तैयार किए जाएंगे. पेड़ और घास जैव ईंधन होते हैं. ऐसे में ये जैव ईंधन मौजूदा कार टायरों के लिए आदर्श हो सकता है. उन्होंने बताया कि घास और पेड़ों से बनने वाले टायर की क्षमता में कोई कमी नहीं होगी. ये उसी रंग के होंगे.
मिनिसोटा यूनिवर्सिटी ने इस तकनीक को पेटेंट करा लिया है. जो भी कंपनी इस तकनीक से टायर निर्माण शुरू करना चाहती है वह इस यूनिवर्सिटी से लाइसेंस ले सकते हैं.
एक अनुमान के मुताबिक इस तकनीक से टायर बनाने से दुनिया में अरबों रुपए बचाए जा सकते हैं, जिसका उपयोग दूसरे कामों में किया जा सकेगा.
मिनिसोटा यूनिवर्सिटी के केमिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर पॉल डेनह्यूअर ने बताया कि बायोमास संसाधनों से टायर बनाने की विधि का ईजाद किया गया है. इससे टायर बनाने के काम आने वाले एक महत्वूपर्ण मोलेक्यूल (कण) का उत्पादन हो सकता है. फिलहाल ज्यादातर टायर पर्यावरण के अनुकूल नहीं होते हैं, क्योंकि ये जीवाश्म ईंधन से तैयार किए जाते हैं.
प्रोफेसर पॉल ने बताया, 'हमारी टीम ने प्राकृतिक उत्पादों जैसे पेड़, घास और मक्के से आइसोप्रीन बनाने के लिए नई रासायनिक विधि तैयार की है. यह टायरों का अहम मोलेक्यूल है. इस शोध का अरबों रुपये के ऑटोमोबाइल टायर के उद्योग पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है.'
प्रोफेसर पॉल ने बताया कि नई तकनीक में जैव ईंधन से टायर तैयार किए जाएंगे. पेड़ और घास जैव ईंधन होते हैं. ऐसे में ये जैव ईंधन मौजूदा कार टायरों के लिए आदर्श हो सकता है. उन्होंने बताया कि घास और पेड़ों से बनने वाले टायर की क्षमता में कोई कमी नहीं होगी. ये उसी रंग के होंगे.
मिनिसोटा यूनिवर्सिटी ने इस तकनीक को पेटेंट करा लिया है. जो भी कंपनी इस तकनीक से टायर निर्माण शुरू करना चाहती है वह इस यूनिवर्सिटी से लाइसेंस ले सकते हैं.
एक अनुमान के मुताबिक इस तकनीक से टायर बनाने से दुनिया में अरबों रुपए बचाए जा सकते हैं, जिसका उपयोग दूसरे कामों में किया जा सकेगा.
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