यह ख़बर 09 मई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

बिहार में भाजपा भी कूदी अति पिछड़ों को लुभाने की रेस में...

खास बातें

  • भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि पार्टी का संदेश नीचे तक जाना चाहिए कि जब हम सरकार में शामिल हुए हैं तभी इस राज्य में पिछड़ों को उनका अधिकार मिला है।
पटना:

बिहार में जैसे जैसे नरेंद्र मोदी के मुद्दे पर जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं वैसे-वैसे दोनों दलों के बीच उनके आधार वोट में सेंध मारने की होड़ लग गई है। खासकर राज्य में 25 प्रतिशत से अधिक अति पिछड़े वोटरों के ऊपर अपना हक जमाने के लिए...

भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि पार्टी का संदेश नीचे तक जाना चाहिए कि जब हम सरकार में शामिल हुए हैं तभी इस राज्य में पिछड़ों को उनका अधिकार मिला है।

इन दिनों, बिहार में नीतीश कुमार और उनके सहयोगी भाजपा के बीच रिश्ते सामान्य नहीं रहे हैं। इन दिनों भाजपा अपने हर राजनीतिक कार्यक्रम में नीतीश पर निशाना साधने से नहीं चूकती। भाजपा का मानना है कि अति-पिछड़ों और महादलित वोटों पर नीतीश का एकाधिकार नहीं है।

वहीं, जनता दल यूनाइटेड के नेता रामनाथ ठाकुर का कहना है  कि भाजपा या जनसंघ ने अतिपिछड़ी जाति से आने वाले करपूरी ठाकुर की सरकार 1979 में गिराई थी। तब भाजपा अति पिछड़ों की हिमायती कैसे हो सकती है।

बता दें कि करपूरी ठाकुर ने आरक्षण लागू किया था जिसमें अति-पिछड़ी जाति के लिए 12 प्रतिशत, पिछड़ी जाति के लिए आठ प्रतिशत और महिला और अगड़ी जाति के गरीबों के लिए तीन प्रतिशत के आरक्षण का प्रावधान किया। इसे करपूरी फार्मूला के नाम से जाना गया।

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वहीं, करपूरी फार्मूले का भाजपा या कहें तत्कालीन जनसंघ ने पुरजोर विरोध किया था। वहीं, अब भाजपा नेता विक्रम केऊर का तर्क है कि करपूरी ठाकुर को सत्ता में बिठाने का काम भी भाजपा ने किया था। उन्होंने कहा कि करपूरी ठाकुर से हमलोगों को कोई परहेज नहीं था। ऊपर की राजनीति की वजह से मतभेद हुआ और सरकार गिर गई।