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टीम मीटिंग के बीच लैपटॉप लेकर जूते खरीदने पहुंचीं बेंगलुरु की महिला, 'एक पंथ दो काज' की वायरल तस्वीर पर बंटी यूजर्स की राय

वायरल तस्वीर में महिला एक जूते की दुकान पर चप्पल और सैंडल को देखते समय हाथ में लैपटॉप पकड़े हुए दिखाई दे रही हैं. इस तस्वीर ने सोशल मीडिया पर यूजर्स के बीच वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर बहस तेज कर दी है.

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टीम मीटिंग के बीच लैपटॉप लेकर जूते खरीदने पहुंचीं बेंगलुरु की महिला, 'एक पंथ दो काज' की वायरल तस्वीर पर बंटी यूजर्स की राय
टीम मीटिंग के दौरान जूते खरीदने लगी महिला.

बेंगलुरु की महिला ने लैपटॉप पर ऑनलाइन टीम मीटिंग करते हुए शॉपिंग भी निपटा ली. 'एक पंथ दो काज' यानी लैपटॉप लेकर जूते खरीद रहीं महिला की तस्वीर वायरल होने के बाद इंटरनेट पर यूजर्स की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही हैं. वायरल तस्वीर में महिला एक जूते की दुकान पर चप्पल और सैंडल को देखते समय हाथ में लैपटॉप पकड़े हुए दिखाई दे रही हैं. इस तस्वीर ने सोशल मीडिया पर यूजर्स के बीच वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर बहस तेज कर दी है.

ऑनलाइन टीम मीटिंग में के दौरान जूते की खरीदारी

हाल ही में माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स पर एक यूजर ने अपने लैपटॉप पर जूते-चप्पल की खरीदारी करते हुए टीम मीटिंग में ज्वाइन एक महिला की तस्वीर शेयर की, जिसमें एक कामकाजी महिला को एक जूते की दुकान पर चप्पल और सैंडल को देखते हुए और एक लैपटॉप पकड़े हुए देखा जा रहा है. यूजर कार्तिक भास्कर ने अपने पोस्ट में लिखा, ''आज @पीकबेंगलुरु में मैंने एक शख्स को अपने लैपटॉप पर टीम मीटिंग में भाग लेने के दौरान जूते की खरीदारी करते देखा.''

यहां देखें वायरल पोस्ट

वर्क लाइफ बैलेंस पर यूजर्स ने की बहस

इस वायरल तस्वीर ने इंटरनेट को बांट दिया है. कुछ लोग इस तस्वीर से खुश हुए और चुटकुले सुनाने लगे. वहीं दूसरी तरफ लोगों ने इस कल्चर के निगेटिव असर के बारे में बताते हुए इसे ''दुखद'' कहा. एक यूजर ने लिखा, ''मीटिंग और जूते की शॉपिंग दोनों के बीच फोन पर भी बात हो सकती थी.'' दूसरे यूजर ने कमेंट किया, ''यह महिला ही वजह है कि कंपनियां कर्मचारियों को ऑफिस वापस आने और डब्ल्यूएफएच पॉलिसी को खत्म करने के लिए कह रही हैं. समस्या यह है कि किसी बैठक में सौ फीसदी मौजूद हुए बिना उसमें भाग लेना, उसमें बिल्कुल गैरमौजूद होने की तरह है...''

लोगों ने इस तरह किया रिएक्ट

एक तीसरे यूजर ने कहा, ''ये ऐसे लोग हैं जिन्होंने कंपनियों से वर्क फ्रॉम होम की नीतियों को रद्द करवाया. कितनी दुखद स्थिति है. इससे यह धारणा बनती है कि भारत में लोगों के पास कोई कामकाजी नैतिकता नहीं है.'' चौथे यूजर ने मजाक में कहा, ''मेरी राय यह है कि किसी को उन्हें ब्लूटूथ हेडफ़ोन नामक इस अनोखे आविष्कार से परिचित कराना चाहिए.'' पांचवें यूजर ने लिखा, ''इस तरह की बेकार मीटिंग के आयोजक पर कौन सा जूता फेंकना है, उन्हें शायद यह तय करना होगा.''

"पीक बेंगलुरु मोमेंट"

दरअसल, बेंगलुरु का अपना सोशल मीडिया ट्रेंड है, जिसे "पीक बेंगलुरु मोमेंट" कहा जाता है. यहां यूजर्स शहर में रोजाना होने वाली अजीब घटनाओं को आपस में शेयर करते हैं. भारत की आईटी राजधानी में होने वाले "पीक बेंगलुरु मोमेंट" की कई स्टोरी इंटरनेट पर देखी जा सकती हैं. अपनी हलचल भरी संस्कृति के लिए मशहूर इस शहर में ऐसे कई अनोखे वाकए सामने आते रहते हैं. कई तस्वीरों और वीडियो से यह साफ होता है. इनमें सभी तरह के मुश्किल हालातों के बावजूद काम करने वाले लोगों को दिखाया गया है. ऐसे पोस्टों ने वर्क लाइफ बैलेंस और काफी लंबे वर्किंग ऑवर्स पर भी बहस छेड़ दी है.

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