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This Article is From May 15, 2019

ऑटो ड्राइवर ने प्रेग्नेंट महिला को पहुंचाया अस्पताल, बेटी होने के बाद भाग गई मां तो शख्स ने किया ऐसा...

बैंगलुरु में ऐसी घटना सामने आई जिसको सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. एक ऑटो ड्राइवर ने दर्द से तड़प रही प्रेग्नेंट महिला को अस्पताल पहुंचाया. जब बेटी को जन्म दिया तो महिला अस्पताल से भाग निकली.

ऑटो ड्राइवर ने प्रेग्नेंट महिला को पहुंचाया अस्पताल, बेटी होने के बाद भाग गई मां तो शख्स ने किया ऐसा...

बैंगलुरु में ऐसी घटना सामने आई जिसको सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. एक ऑटो ड्राइवर ने दर्द से तड़प रही प्रेग्नेंट महिला को अस्पताल पहुंचाया. जब बेटी को जन्म दिया तो महिला अस्पताल से भाग निकली. जिसके बाद ऑटो ड्राइवर ने बच्ची की देख भाल की. लेकिन 18 दिन बाद बच्ची की मौत हो गई. एक तरफ लोग मां पर गुस्सा कर रहे हैं तो वहीं ऑटो ड्राइवर की तारीफ कर रहे हैं. Indiatimes की खबर के मुताबिक, बाबू मुदर्प्पा को बैंगलुरु के वाइटफील्ड रोड पर लेबर पेन के दर्द में एक महिला नजर आई. 

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दर्द से तड़प रही महिला को देख ऑटो ड्राइवर बाबू रुक गया और महिला की मदद करने की. बाबू सबसे पहले महिला को पास के अस्पताल में ले गए. जहां से महिला को सीवी रमन अस्पताल में भर्ती कराया गया. बाबू ने कहा- 'महिला बहुत दर्द में थी. मैंने उनसे कोई सवाल नहीं पूछा और एडमीशन फॉर्म पर अपनी डीटेल्स भरकर उन्होंने एडमिट किया.' एडमीशन प्रोसेस में पता चला कि महिला का नाम नंदिता है. इसके अलावा उनके पास महिला के बारे में कोई और जानकारी नहीं थी. 

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एक दिन के बाद महिला ने बच्ची को जन्म दिया. जो प्रीमेच्योर थी. उसका वजन 850 ग्राम ही था. बाबू को इलाज के लिए शिशु को बॉरिंग अस्पताल ले जाने के लिए कहा गया. वो सीवी रमन अस्पताल रिलीज पेपर भरने पहुंचा. लेकिन उसे पता चला कि मां अस्पताल से निकल चुकी है और बच्ची अस्पताल में ही है. 

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ये खबर सुनने के बाद बाबू हैरान रह गया. उसको बच्ची के लिए बहुत बुरा लगा. बाबू ने बच्ची को गोद लेने का फैसला लिया. उसने सोच लिया था कि वो बच्ची को अपनी बेटी की तरह पालेगा. बाबू शादीशुदा है और उनके दो बच्चे भी हैं. बाबू ने कहा- 'बच्ची को देखकर मुझे अपने बच्चे की याद आ गई. मैं बच्ची को छोड़ नहीं सकता है. मैंने अस्पताल का खर्च देने का फैसला लिया.'

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जिसके बाद बाबू अगले दिन सुबह काम के लिए निकल गया और रात को बच्ची से मिलने पहुंचा. रिपोर्ट्स में पता चला कि बच्ची को सांस लेने में परेशानी आ रही है. लेकिन बताया गया कि बच्ची सुधार कर सकती है और जल्द ठीक हो सकती है. बाबू बच्ची के लिए खाना और दवाइयां लाया. लेकिन 18 दिन तक संघर्ष करने के बाद बच्ची की मौत हो गई. 

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बाबू ने किसी को नहीं बताया कि अस्पताल में उसके कितने रुपये खर्च हुए. उन्होंने कहा- 'वो वक्त और पैसा जो मैंने खर्च किया, उसके बारे में बताना ठीक नहीं है. वो मेरी बच्ची की तरह थी. हम कभी अपने बच्चों के ऊपर खर्चे के बारे में नहीं बताते या गिनते.'

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