जयपुर:
अपने पिता के जुल्म की शिकार हुई बीकानेर की बच्ची का जयपुर के सरकारी अस्पताल में सफल ऑपरेशन किया गया है। इस बच्ची के पिता ने शराब के नशे में बच्ची के होंठ और नाक चबा लिए थे। डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची को अभी दो हफ्ते अस्पताल में रखा जाएगा और उसके बाद उसे छुट्टी दे दी जाएगी, लेकिन एक महीने बाद उसकी फाइनल सर्जरी होगी।
गौरतलब है कि महिला को अपनी घायल बेटी के साथ एंबुलेंस में 400 किलोमीटर का सफर तय कर जयपुर इसलिए आना पड़ा था, क्योंकि उसके गांव के पास बीकानेर में जो अस्पताल है, वहां प्लास्टिक सर्जन नहीं है। महिला को बच्ची के इलाज के बिना जयपुर से लौटा दिए जाने के बाद घर पहुंचने पर राजस्थान बाल अधिकार आयोग ने मामले में दखल दिया और जयपुर के एसएमएस अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन से उसकी मुलाकात तय करवाया और उसके लिए नर्स का भी इंतजाम करवाया गया।
बच्ची की मदद के लिए उसके पिता के घरवालों की ओर से कोई भी सामने नहीं आया। ये लोग बेचारी मां संतोष कंवर को ही दोषी बता रहे हैं, क्योंकि उसने अपने हैवान पति को पुलिस के हत्थे चढ़ा दिया। अब वह अकेली और बेबस है और जयपुर में दो मासूम बच्चियों के साथ उसका संघर्ष जारी है।
संतोष की शादी 14 साल की उम्र में ही कर दी गई थी और शुरुआत से ही उसका पति उसे मारता-पीटता था। 26 जनवरी की रात नशे की हालत में संतोष के पति ने शराब के नशे में अपनी बेटियों पर हमला कर दिया और तीन साल की बेटी की पीठ में काटा और पांच माह की बेटी के नाक और होंठ चबा डाले। पति की इस हरकत के खिलाफ संतोष ने हिम्मत दिखाई और पुलिस में रपट लिखवा दी और उसे गिरफ्तार करवा दिया। इससे नाराज होकर ससुराल वालों ने संतोष को ही घर से निकाल दिया।
ससुराल वालों की बेरुखी के बावजूद संतोष अब सरकार की मदद से बच्चे का इलाज करा रही है। इस पूरी जद्दोजहद में संतोष के पिता हनुमान सिंह उसका साथ दे रहे हैं। हनुमान सिंह का कहना है कि अब बेटी के ससुराल वालों का कहना है कि पहले बेटे को पुलिस से मुक्त कराओ, तब वे समझौता करेंगे। इलाज के लिए पैसे नहीं हैं, लेकिन सरकार से कुछ मदद काम आ रही है।
बच्ची की प्लास्टिक सर्जरी पर आने वाले खर्च का वहन सरकार करेगी, लेकिन अब संतोष बेघर है और उसके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है... यदि आप इस परिवार की मदद करना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए विवरण के मुताबिक अपना चेक या डिमांड ड्राफ्ट भेजें।
द होप ट्रस्ट
बैंक का नाम : सिंडिकेट बैंक
खाता संख्या : 90492010067832
ब्रांच का पता : नंबर 2, कौशल्या पार्क, हौज खास, नई दिल्ली - 110016
चेक निम्नलिखित पते पर भी भेजा जा सकता है -
द होप ट्रस्ट
207, ओखला इंडस्ट्रियल एस्टेट,
फेज-3, नई दिल्ली - 110020
फोन नंबर : 011 - 46176300
ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए अतिरिक्त जानकारी :
आईएफएससी कोड (IFSC Code) : SYNB0009049
एमआईसीआर कोड (MICR Code) : 110025019
ब्रांच कोड (Branch Code) : 009049
नोट : यह समाचार / जानकारी सहज विश्वास की भावना से प्रेरित होकर प्रकाशित किया गया है, तथा इसका कोई व्यापारिक उद्देश्य नहीं है। दान पाने के इच्छुक द्वारा किए गए दावों की सच्चाई को एनडीटीवी प्रमाणित नहीं करता है। न ही एनडीटीवी इसकी गारंटी देता है कि दान में प्राप्त की गई राशि का प्रयोग दान पाने के इच्छुक व्यक्ति द्वारा उसी उद्देश्य के लिए किया जाएगा, जिसका ज़िक्र दान पाने के इच्छुक व्यक्ति ने किया है। आपसे अनुरोध है कि दान करने से पहले स्वतंत्र रूप से आप संपर्क माध्यमों तथा अन्य जानकारियों को सत्यापित कर लें। दान के बाद किसी भी परिस्थिति के लिए एनडीटीवी तथा / अथवा उसके किसी कर्मचारी का कोई उत्तरदायित्व नहीं होगा।
गौरतलब है कि महिला को अपनी घायल बेटी के साथ एंबुलेंस में 400 किलोमीटर का सफर तय कर जयपुर इसलिए आना पड़ा था, क्योंकि उसके गांव के पास बीकानेर में जो अस्पताल है, वहां प्लास्टिक सर्जन नहीं है। महिला को बच्ची के इलाज के बिना जयपुर से लौटा दिए जाने के बाद घर पहुंचने पर राजस्थान बाल अधिकार आयोग ने मामले में दखल दिया और जयपुर के एसएमएस अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन से उसकी मुलाकात तय करवाया और उसके लिए नर्स का भी इंतजाम करवाया गया।
बच्ची की मदद के लिए उसके पिता के घरवालों की ओर से कोई भी सामने नहीं आया। ये लोग बेचारी मां संतोष कंवर को ही दोषी बता रहे हैं, क्योंकि उसने अपने हैवान पति को पुलिस के हत्थे चढ़ा दिया। अब वह अकेली और बेबस है और जयपुर में दो मासूम बच्चियों के साथ उसका संघर्ष जारी है।
संतोष की शादी 14 साल की उम्र में ही कर दी गई थी और शुरुआत से ही उसका पति उसे मारता-पीटता था। 26 जनवरी की रात नशे की हालत में संतोष के पति ने शराब के नशे में अपनी बेटियों पर हमला कर दिया और तीन साल की बेटी की पीठ में काटा और पांच माह की बेटी के नाक और होंठ चबा डाले। पति की इस हरकत के खिलाफ संतोष ने हिम्मत दिखाई और पुलिस में रपट लिखवा दी और उसे गिरफ्तार करवा दिया। इससे नाराज होकर ससुराल वालों ने संतोष को ही घर से निकाल दिया।
ससुराल वालों की बेरुखी के बावजूद संतोष अब सरकार की मदद से बच्चे का इलाज करा रही है। इस पूरी जद्दोजहद में संतोष के पिता हनुमान सिंह उसका साथ दे रहे हैं। हनुमान सिंह का कहना है कि अब बेटी के ससुराल वालों का कहना है कि पहले बेटे को पुलिस से मुक्त कराओ, तब वे समझौता करेंगे। इलाज के लिए पैसे नहीं हैं, लेकिन सरकार से कुछ मदद काम आ रही है।
बच्ची की प्लास्टिक सर्जरी पर आने वाले खर्च का वहन सरकार करेगी, लेकिन अब संतोष बेघर है और उसके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है... यदि आप इस परिवार की मदद करना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए विवरण के मुताबिक अपना चेक या डिमांड ड्राफ्ट भेजें।
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